रायपुर। असल बात न्यूज़।। 00 विधि संवाददाता लगभग 2 साल 9 महीने पहले खम्हारडीह में घटित हत्याकांड के मामले में न्यायालय का फैसला ...
रायपुर।
असल बात न्यूज़।।
00 विधि संवाददाता
लगभग 2 साल 9 महीने पहले खम्हारडीह में घटित हत्याकांड के मामले में न्यायालय का फैसला आ गया है। अपर सत्र न्यायाधीश रायपुर श्रीमती विभा पांडेय के न्यायालय ने मामले में सात आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने घटना में मृत व्यक्ति के विधिक प्रतिनिधियों को पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के अंतर्गत क्षतिपूर्ति दिलाने की अनुशंसा भी की है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष, न्यायालय के समक्ष धारा 307/ 149 के अपराध के आवश्यक तत्व को प्रमाणित करने में असफल रहा है।
मामले के तथ्य इस प्रकार है कि खामहरडीह रायपुर में आरोपियों ने 28 अगस्त 2020 को रात में लगभग 10:30 बजे, पीड़ित के घर के सामने विधि विरुद्ध जमाव किया और विधि विरुद्ध जमाव के सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में बल तथा हिंसा का प्रयोग कर बलवा कारित किया। उस दिन वहां उत्कल समाज का नुआखाई का पर्व मनाया जा रहा था और यह पर्व मनाते हुए, लगनी बाघ के घर के सामने बहुत सारे लोग नाच गाना कर रहे थे। उसी दौरान आरोपीगण, फूलचंद बाघ,दिनेश बाघ, चिंटू बघेल इत्यादि को जबरदस्ती मां बहन की अश्लील गालियां देने लगे। मना करने पर आरोपियों ने एक राय होकर हत्या करने की नियत से फूलचंद बाघ, दिनेश बाघ,चिंटू बघेल को हाथ मुक्के से मारपीट करते हुए जान से मारने की धमकी दी। मारपीट में फूलचंद् बाघ बेहोश हो गया जिसे उपचार हेतु नारायणा अस्पताल ले जाया गया। उपचार के दौरान फूलचंद बाघ की 24 अगस्त 2020 को अस्पताल में मृत्यु हो गई। घटना की शिकायत खमहरदीह थाने में की गई थी।
न्यायालय ने प्रकरण में अभियुक्तों कन्हैया विभार उम्र 38 वर्ष, सुमित जगत उम्र 24 वर्ष, रवि जगत, परमानंद बाघ, छोटू जगत, संतोष उर्फ सैम तांडी और बिट्टू जगत को धारा 302/ 149 के अपराध के तहत आजीवन कारावास एवं ₹100 के अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसके साथ धारा 147 हेतु 1 वर्ष के सश्रम कारावास, धारा 323/149 हेतु छह माह के सश्रम कारावास और धारा 506 में 3 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। यह सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। न्यायालय ने प्रकरण में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि अपराध का हेतुक गंभीर नहीं है। अभियुक्तों का अपराध विरलतम से विरलतम अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। न्यायालय ने यह भी माना कि अभियोजन पक्ष इस मामले में धारा 307/ 149 के अपराध के आवश्यक तत्वों को प्रमाणित करने में असफल रहा है, लेकिन धारा 323/ 149 के अपराध के आवश्यक तत्व को संदेह से परे प्रमाणित किया गया है।