दुर्ग । असल बात न्यूज़।। 00 विधि संवाददाता ज्ञान दूर कुछ, क्रिया भिन्न है। इच्छा क्यों पूरी हो, मन की । एक दूसरे से ना, मिल सके।...
दुर्ग ।
असल बात न्यूज़।।
00 विधि संवाददाता
ज्ञान दूर कुछ, क्रिया भिन्न है।
इच्छा क्यों पूरी हो, मन की ।
एक दूसरे से ना, मिल सके।
यह विडंबना है जीवन की
ये हमारे देश के प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्र
साद के कविता की कुछ पंक्तियां है। विशेष न्यायाधीश शैलेश कुमार तिवारी के न्यायालय के द्वारा बहुचर्चित रावलमल जैन में आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है और उन्होंने इस फैसले की शुरुआत इन पंक्तियों से ही की है।
रावल मल जैन की, जैन समाज के साथ-साथ पूरे प्रदेश में विशिष्ट पहचान थी। वे समाज सेवा के कार्यों से जुड़े हुए थे और कमजोर वर्ग की सेवा करन भी उनका मिशन था। उनकी हत्या के मामले में फैसले की और निश्चित रूप से पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश के साथ दूर दर के लाखों लोगों की नजर लगी हुई थी। ऐसी परिस्थितियों में इस मामले के एक एक पक्ष के सभी तर्कों को बारीकी से सुना जाना जरूरी था और विशेष न्यायाधीश शैलेश कुमार तिवारी ने लंबे विचारण और सुनवाई में इस मामले में एक एक पक्ष को पूरी बारीकी से सुना और उन्हें तथ्य रखने का पूरा समय और अवसर दिया।