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भाजपा ने किया सेतुसमुद्रम परियोजना का विरोध, कहा- नहीं टूटने देंगे रामसेतु

   नई दिल्ली। भाजपा ने भारत और श्रीलंका में फैली सेतुसमुद्रम जलमार्ग परियोजना का खुलकर विरोध किया है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने ...

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 नई दिल्ली। भाजपा ने भारत और श्रीलंका में फैली सेतुसमुद्रम जलमार्ग परियोजना का खुलकर विरोध किया है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा है कि इससे सिर्फ कुछ डीएमके नेताओं की शिपिंग कंपनियों को लाभ पहुंचेगा। भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर निशाना साधते हुए और सेतुसमुद्रम परियोजना के विरोध में कई ट्वीट किए हैं। इसके अलावा कुछ हिंदू साधुओं ने जलमार्ग परियोजना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे रामसेतु को नुकसान पहुंचेगा।

नहीं तोड़ने देंगे रामसेतु: भाजपा नेता
अन्नामलाई ने अपने ट्वीट में लिखा है, "बीजेपी ने तमिलनाडु के लोगों को स्पष्ट करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। बीजेपी ने यह बताया है कि कैसे तमिलनाडु के सीएम ने इस मामले पर विधानसभा को गुमराह किया और सेतु समुद्रम परियोजना के बारे में झूठ बोला है।" अन्नामलाई ने आगे लिखा, "बीजेपी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम इस परियोजना के लिए रामसेतु को तोड़ने की अनुमति नहीं देंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना का अध्ययन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बनाई गई टीम ने अभी तक रामसेतु पर अपनी बात नहीं रखी है।

रामसेतु टूटा तो आएगी सुनामी
सीएम स्टालिन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सुनामी विशेषज्ञ की सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया है। अन्नामलाई ने कहा, "तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने सुनामी विशेषज्ञ प्रोफेसर टाड एस मूर्ति की सलाह को भी नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने कहा था कि रामसेतु को तोड़ने से सुनामी आ सकती है।"

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "सेतुसमुद्रम परियोजना से केवल डीएमके नेताओं टीआर बालू और कनिमोझी के स्वामित्व वाली शिपिंग कंपनियों को लाभ हो सकता है।"

स्टालिन ने विधानसभा में पास कराया प्रस्ताव
स्टालिन ने गुरुवार को विधानसभा में सेतुसमुद्रम परियोजना पर एक प्रस्ताव पारित किया था। डीएमके अध्यक्ष ने कहा, "सेतुसमुद्रम परियोजना से 50,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। हमारे पूर्व मुख्यमंत्री कलैनार करुणानिधि ने भी यही कहा था।" स्टालिन ने कहा, "सेतुसमुद्रम अन्ना और कलिंगार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। भाजपा की सरकार के दौरान सेतुसमुद्रम परियोजना का अब तक केवल एक जलमार्ग की योजना बनाई गई है। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए इसके लिए धन आवंटित किया था।''

उन्होंने आगे कहा, ''केवल राजनीतिक कारणों से भाजपा ने सेतुसमुद्रम परियोजना का विरोध किया। तत्कालीन सीएम जयललिता सेतुसमुद्रम परियोजना के पक्ष में थीं, लेकिन अचानक उन्होंने भी अपना रुख बदल लिया और इसके खिलाफ मामला दर्ज कराया।"

साधुओं ने किया स्टालिन के प्रस्ताव का विरोध
विधानसभा के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए हिंदू संतों ने कहा कि यह परियोजना 'सनातन धर्म' के खिलाफ है। संत दिवाकर आचार्य ने शुक्रवार को कहा, "अगर सरकार रामसेतु को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगी तो हम हमारे सीने में गोलियां खाएंगे। यह हमारा गौरव है।" उन्होंने कहा, "राम सेतु को नुकसान पहुंचाने की किसी भी कोशिश का संतों के द्वारा कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा। हम इस तरह के प्रयासों को विफल करने के लिए देश भर से पवित्र स्थल पर इकट्ठा होंगे।" वहीं, अयोध्या के संत महंत चंद्रभूषण ने कहा, "सरकार देश के कुछ लोगों को खुश करने के लिए वोट बैंक की राजनीति का सहारा ले रही है।"