रायपुर । असल बात न्यूज़।। 00 कृषि डायरी अभी गलन पैदा करने वाली ठंड पड़ रही है। खरीफ के धान की फसल की कटाई का काम लगभग पूरा हो ...
रायपुर ।
असल बात न्यूज़।।
00 कृषि डायरी
अभी गलन पैदा करने वाली ठंड पड़ रही है। खरीफ के धान की फसल की कटाई का काम लगभग पूरा हो गया है और ज्यादातर क्षेत्रों में धान बेचने का काम भी अंतिम समय में है। किसान अब रबी की फसल की तैयारियों में जुड़ गए हैं। अभी जो मौसम है वह रबी की फसल के लिए काफी उपयुक्त माना जा रहा है। अच्छी ठंड पड़ने से खेतों में नमी बनी हुई है। यह चना दलहन की फसलों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है। छत्तीसगढ़ में भी अब चना,सरसों दलहन, तीवड़ा की फसलों को लेने पर जोर दिया जा रहा है। हम अगर छत्तीसगढ़ के ज्यादातर इलाकों में घूमते हैं तो इस सीजन में यहां के ज्यादातर खेत सरसों के पीले फूल से लगाते नजर आ जाएंगे। अनुमान है कि अब यहां चना और दलहन की फसलें दोगुनी होने जा रही हैं। रबी की फसल के लिए भी किसानों को ऋण तथा कृषि आदान प्रदान किए जा रहे हैं। अब नहीं जानकारी के अनुसार यहां के किसानों को उद्यानिकी फसलों के लिए भी ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जा रहा है। स्वाभाविक है कि यह योलना किसानों को उद्यानिकी की फसल लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया गया है, जिसके तहत राज्य शासन द्वारा मिलेट फसल जैसे कोदो कुटकी, रागी के फसल के क्षेत्र को बढ़ाने जोर दिया जा रहा है, तो प्रदेश में आम किसानों में भी मिलेट फसल को लेकर उत्सुकता बनी हुई है।
सिंचाई की सुविधा पढ़ने के साथ छत्तीसगढ़ राज्य में ज्यादातर इलाकों में दो फसले ली आने लगी हैं। जहां नहरे हैं वहां नहरों से इन फसलों के लिए पानी मिल जाता है वहीं ज्यादातर किसानों ने सिंचाई की सुविधा को सेल्फ डिवेलप किया है। आप देखेंगे कि खेतों तक बिजली कनेक्शन पहुंचाया जा रहे हैं जिससे वहां बोर से पानी लिया जा रहा है। वहीं जहां बिजली की सुविधा नहीं है उन दूरस्थ स्थानों में सौर ऊर्जा से बिजली ली जा रही है और बोर चलाकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से राज्य सरकार ने किसानों को धान की फसल के बजाए दलहन फसलों को लेने के लिए अधिक प्रोत्साहित किया है।
प्रदेश में चालू रबी मौसम मे सहकारी बैंकों के माध्यम से एक लाख 85 हजार किसानों को अब तक 415 करोड़ रूपए का ऋण वितरित किया जा चुका है। वितरित ऋणों में गेंहू की फसल के लिए 110.50 करोड़ रूपए, चने की फसल के लिए 181.36 करोड़ रूपए, उद्यानिकी फसलों के लिए 14 करोड़ रूपए एवं अन्य फसलों के लिए 110 करोड़ रूपए के ऋण किसानों को दिए गए है।
राज्य शासन द्वारा निरंतर गेंहू, चना एवं उद्यानिकी फसलों को प्रोत्साहित करने हेतु चलाए गये अभियान के कारण ही इन फसलों के रकबे और ऋण वितरण में वृद्धि हुई है। कृषि के फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों के लिए भी राज्य शासन द्वारा ब्याज मुक्त (शून्य प्रतिशत) कृषि ऋण की व्यवस्था सहकारी समितियों के माध्यम से पहली बार की गई है। गतवर्ष इसी अवधि में एक लाख 9 हजार किसानों को 239 करोड़ रूपए के ऋण वितरित किये गये थे। चना एवं गेंहू की फसलों के लिए ऋणों में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है।
रायपुर जिले में किसानों के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से 98 हजार 279 मिटरिक टन रासायनिक उर्वरकों का भण्डारण किया गया है और 36 हजार 794 मिटरिक टन का खाद वितरण किसानों को किया गया है। इसी अवधि में गतवर्ष समितियों के माध्यम से 14 हजार 855 मिटरिक टन रासायनिक खाद का वितरण किसानों किया गया था। इस वर्ष रबी मौसम में 80 हजार 609 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का वितरण किसानों को किया गया है।गौरतलब है कि राज्य शासन की ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत सहकारी समितियों के माध्यम से इस वर्ष अब तक 15.88 लाख किसानों को 5978 करोड़ रूपए का ऋण वितरण किया जा चुका है। गत वर्ष इसी अवधि में 4986 करोड़ रूपए का ऋण वितरण किसानों को किया गया था। सहकारी समितियों के माध्यम से इस वर्ष लगभग 1000 करोड़ रूपए से अधिक के ऋण वितरित किए गए है।
प्रदेश के ज्यादातर इलाकों से जानकारी आ रही हैं कि उन इलाकों में पहली बार रबी सीजन में रागी फसल लेने पर जोर दिया जा रहा है। किसान इसे, ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में लगा रहे है। ग्रीष्मकालीन धान में ज्यादा पानी, खाद व कीटनाशक आदि की आवश्यकता होती है। किसानों को धान की कीमत भी अधिक नहीं मिल पाती। इस सीजन में धान की कीमत 1300 से 1400 प्रति क्विंटल ही मिलता है।, अब तक जो जानकारियां सामने आई है उसमें रागी फसल में कम पानी, खाद व कीटनाशक की आवश्यकता होती है।, रागी फसल की खेती समय पर कृषि कार्य पूर्ण कर लिया जावे तो 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही फसल का समर्थन मूल्य 3578 रुपए प्रति क्विंटल पर विक्रय किया जा सकता है। रागी फसल में कीट- बीमारी भी नहीं के बराबर लगती है, जिससे फसल उत्पादन में कोई परेशानियां नहीं होती है। रागी फसल के रकबा को बढ़ाने शासन स्तर पर भी जोर दिया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप विभागीय योजनांतर्गत क्षेत्रवार प्रदर्शन लगाए जा रहे है तथा कृषि विभाग गरियाबंद के अधिकारियों द्वारा कृषकों का बैठक लेकर रागी फसल के खेती के बारे में विस्तृत जानकारी देकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। रागी फसल के उपार्जन हेतु वन धन समिति द्वारा समर्थन मूल्य 3578 प्रति क्विंटल पर खरीदी की व्यवस्था है। बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत बीज निगम गरियाबंद में पंजीयन करवाकर रागी फसल के सभी उत्पाद को बीज निगम द्वारा उपार्जन किया जावेगा जिससे कृषकों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सकता है। कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि विभाग कड़ी मेहनत कर रहीं है। राज्य स्तर पर भी रागी फसल को बढ़ाने हेतु कांकेर जिले में मिलेट प्लांट की स्थापना किया गया है।
मिलेट्स के फायदे - मिलेट्स में पोषक मूल्य उच्च होते है जिसमें कैल्शियम, आयरन, एमीनो एसिड, प्रोटीन, फास्फोरस एवं अन्य तत्व प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह सभी के लिए गुणकारी होते है। कोदो- कुटकी, रागी के रेगुलर उपभोग से डायबिटीज पेशेंट, एनिमिक पेसेंट, कुपोषित, उच्च रक्तचाप आदि बीमारियों में फायदेमंद होता है। मिलेट्स के गुणों को बताने कृषि विभाग द्वारा व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। मैदानी अधिकारियों द्वारा उच्चतर माध्यमिक शाला तथा कॉलेज छात्रों को सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को मिलेट्स के खेती व मिलेट्स के उपभोग करने हेतु व्याख्यान दिया जा रहा है।