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स्वरूपानंद महाविद्यालय में ‘‘महिलाओं का संरक्षण’’ सुरक्षा एवं अधिकार विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन

  भिलाई। असल बात न्यूज़।।    स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई के शिक्षा विभाग एवं महिला प्रकोष्ठ द्वारा महिलाओं एवं बच...

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 भिलाई।

असल बात न्यूज़।। 

 स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई के शिक्षा विभाग एवं महिला प्रकोष्ठ द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के संरक्षण सुरक्षा एवं अधिकार विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग की संरक्षण अधिकारी  प्रीति बाला शर्मा के द्वारा व्याख्यान दिया गया जिसमें महिलाओं एवं बच्चों के समस्याओं से संबंधित जानकारी प्रदान की गई ।

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम की प्रभारी डॉ दुर्गावती मिश्रा ने कहा एक ओर जहां महिलाओं की समानता तथा दूसरी ओर बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने उनकी बेहतरी को प्रोत्साहित करने और उनके बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करना देश की महिलाओं तथा बच्चों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए बनाए गए  कानून भी पारित हैं  जिसकी जानकारी प्रदान कर महिलाओं व बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सकता है

अतिथि वक्ता प्रीति बाला शर्मा ने अपने उद्बबोधन में कहा महिलाएं अपनी समस्या एवं सुरक्षा के लिए स्वयं आवाज उठाएं जिस महिला के साथ घरेलू हिंसा, लैंगिक प्रताड़ना, कार्य स्थल पर शोषण आदि अत्याचार हो रहे हैं तो उनके निवारण के लिए संविधान में बहुत से कानून बने हैं, 2013 से पहले महिलाओं के लिए  इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं था किंतु 2013 के बाद महिलाओं की विभिन्न प्रकार की समस्याओं के लिए दंड का प्रावधान है दहेज की मांग के विरुद्ध दहेज प्रतिषेध अधिनियम  1961 के तहत जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, बाल विकास परियोजना, दहेज प्रतिषेध अधिकारी को सलाह देने एवं प्रकरणों की समीक्षा करने के लिए दहेज प्रतिबंध सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है किसी महिला पर टोनही कहकर  मानसिक प्रताड़ना देने पर  उसको दूर करने के लिए टोनही प्रताड़ना निवारण कानून है यदि कोई  व्यक्ति, किसी व्यक्ति की, किसी भी माध्यम से टोनही  के रूप में पहचान करता है वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि 3 वर्ष तक हो सकती है। यदि कोई महिला  साझे घर में मॉं, बहन, पत्नी, विधवा अथवा साझेदार के रूप में रह रही हो कोई भी महिला जिसके साथ प्रतिवादी द्वारा घरेलू हिंसा की जा रही हो या उसकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है कोई बच्चा भी घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत राहत का पात्र है ऐसे बच्चे की मां अपने अवयस्क बच्चे की ओर से आवेदन कर सकती है वह न्याय पा सकती है। 

‘सखी’ वन स्टॉप सेंटर पीड़ित महिलाओं की सहायता हेतु बनाई गई है जिसमें पीड़ित महिला को पांॅंच  दिन रहने की व्यवस्था है तथा केंद्र में आवेदन या सूचना दिए जाने तथा केंद्र द्वारा की जाने वाली संरक्षण कार्यवाही के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 181 पर संबंधित जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग से संपर्क कर न्याय की गुहार कर सकती है कार्यक्षेत्र में लैंगिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना, अत्याचार के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 213 प्रदान की गई है यदि किसी व्यक्ति को कहीं पर भी लावारिस नवजात शिशु मिले तो 9018 टोल फ्री नंबर पर कॉल कर संपर्क कर जानकारी दे सकते हैं बच्चे स्वयं के पास ना रखकर महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचित करें जिससे आवश्यक कार्यवाही हो सके।  भीख मांग रहे बच्चों की लिए  1098 पर सूचित कर सकते हैं जिससे कि भिक्षावृत्ति पर रोक लगाई जा सके ।

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी  डॉ दीपक शर्मा ने  ज्ञानवर्धक कार्यक्रम के लिए शिक्षा विभाग को बधाई दी इस तरह की जागरूकता के कार्यक्रम समयण्समय पर विद्यार्थियों के लिए अवश्य कराना चाहिए जिससे कि उनको फायदा हो महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर हंसा शुक्ला ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम द्वारा समग्र रूप से न्याय के तीव्र व प्रभावी प्रशासन के माध्यम से और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सकता है।  महाविद्यालय के उप प्राचार्य डॉ अजरा हुसैन ने कहा यह कार्यक्रम विद्यार्थी व प्राध्यापकों के लिए बहुत ही लाभकारी व उद्देश्य पूर्ण है । 

डॉक्टर शैलजा पवार ने वक्ता से  पूछा यदि कोई पालक अपनी संपत्ति प्रेमवश अपने बच्चों के नाम कर देता है किंतु बाद में बच्चे पालक के साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो पालक उनके विरुद्ध क्या कदम उठाए  इस प्रश्न के उत्तर में प्रीति बाला मैडम ने बताया अधिनियम 125 का उपयोग करते हुए न्याय मिल सकता है। 

बी एड प्रथम सेमेस्टर की विद्यार्थी आस्था मेश्राम ने पूछा गुड टच एवं बैड टच से छोटे बच्चे  को कैसे जागरूक किया जा सकता है उत्तर में प्रीति बाला मैडम ने कहा इस तरह की घटना के लिए पास्को एक्ट के तहत कार्यवाही होगी और अपराधी व्यक्ति को सजा का भी प्रावधान होगा इसके लिए छोटे बच्चों को गुड टच बैड टच की जानकारी देने के लिए समय-समय पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा स्कूलों में जाकर बच्चों को जागरूक किया जाता है

  बी एड प्रथम सेमेस्टर के छात्र पुकेश्वर  ने प्रश्न पूछा क्या पिता का कर्ज बेटियां भी चुका सकती हैं उत्तर में प्रीति बाला मैडम ने कहा जब संपत्ति पर बेटा और बेटी दोनों का अधिकार होता है तब दोनों ही कर्ज  चुका सकते हैं यदि बेटा सक्षम नहीं है और बेटी सक्षम है तो बेटी भी अपने पिता का कर्ज चुका सकती है। 

इस अवसर पर शिक्षा विभाग के समस्त प्राध्यापक उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉक्टर शैलजा पवार द्वारा किया गया।