दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
अठारह वर्ष से कम उम्र की बालिका के साथ शादी करने का झांसा देकर बार-बार कृकृत्य करने के मामले में न्यायालय ने आरोपी को 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अभियुक्त को ₹50,000 अर्थदंड भी अदा करना होगा अन्यथा एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतना होगा। चतुर्थ एफटीएससी विशेष न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 506बी और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012की धारा 6 के मामले में यह सश्रम सजा सुनाई है।
अभियुक्त को ₹10 हजार रुपए का अर्थदंड भी अदा करना होगा। यह मामला आरक्षी केंद्र धमधा, जिला दुर्ग का 17 जुलाई 2020 का है। पीड़िता और अभियुक्त एक ही गांव के निवासी हैं। आरोपी पीड़िता को उससे प्यार करता हूं और शादी करना चाहता हूं कह कर बार-बार परेशान करता था। आरोपी ने पीड़िता को बहला-फुसलाकर अपने घर ले जाकर दुष्कर्म किया। पीड़िता ने घटना की जानकारी अपने माता-पिता को दी तो आरोपी का विरोध किया गया। सामाजिक बैठक बुलाई गई जिसमें आरोपी ने गलती करना स्वीकार किया तब समाज के सदस्यों ने उस पर ₹30000 का अर्थदंड भी अधिरोपित किया था। समाज के लोगों ने आरोपी को समझाया भी था कि अभी उसकी उम्र नहीं हुई है तो आरोपी ने कह दिया कि अभी मैं अभियोक्त्री को अपने घर में रख लूंगा जब उम्र हो जाएगी तो शादी करूंगा। वह पीड़िता को अपने घर ले गया और गाली गुप्तार कर वहां उससे फिर जबरदस्ती दुष्कर्म किया। जिसकी जानकारी पीड़िता ने अपने माता पिता को दी।
मामले में डंडे सुनाते हुए न्यायालय ने कहा है कि ऐसे अपराध के लिए उपयुक्त को दिए जाने वाले दंड के प्रति सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाना न्यायोचित नहीं होगा। अभियुक्त का कृत्य ना केवल राज्य के प्रति वरन समाज के प्रति भी अपराध है।
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पक्ष रखा।