नगर निगम आयुक्त के सामने हैं ऐसी बड़ी बेशकीमती जमीनों को बचाने की चुनौती

 भिलाई, दुर्ग।

असल बात न्यूज़।। 

नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से यहां की जमीनों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। यहां जमीन की कीमतों में 20 से 30% तक बढ़ोतरी हो गई है। औद्योगिक शहर भिलाई दुर्ग में जो जमीन की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ भूमाफिया तत्व, बेशकीमती जमीनों पर कब्जा करने बुरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। एक एक इंच की जमीन पर अतिक्रमण करने की कोशिश की जा रही है। स्थानी शिक्षित बेरोजगार रोजगार के लिए प्लान कर रहे हैं लेकिन उन्हें स्वयं का व्यवसाय करने के लिए जगह नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ दूर-दूर से बाहर से आने वाले लोगों को भूमाफिया के लोग यहां कब्जा कराते जा रहे हैं। 



चित्र में आप जो जमीन देख रहे हैं वाह सुपेला गुरुद्वारा रोड के किनारे की बेशकीमती जमीन है। बाजार मूल्य के अनुसार इसकी कीमत ₹20000 प्रति स्क्वायर फुट तक बताई जाती है। इतनी महंगी जमीन खुली पड़ी है तो स्वाभाविक तौर पर भूमाफिया अतिक्रमणकारियों के द्वारा इस पर कब्जा जमाने की पूरी कोशिश शुरू कर दी गई है। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसी बेशकीमती भूमि को सुरक्षित रखने के लिए बार-बार निर्देश दिया है। इसके बाद निगम प्रशासन के द्वारा यहां बुलडोजर चलाकर अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने का बड़ा अभियान चलाया गया। दूसरी तरफ माफिया तत्व भी ऐसी बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं और कब्जा बने देने रहने के लिए हर तरफ से सिफारिश भी लगवा रहे हैं।

बीस हजार स्क्वायर फीट से महंगी जमीन को कौन भू माफिया तत्व छोड़ना चाहेगा। इसलिए इस बेशकीमती जमीन को सुरक्षित रख पाना कितना चुनौतीपूर्ण काम है इसे समझा जा सकता है। जमीन की कीमतें बढ़ाए जाने के साथ नगर निगम भिलाई में चारों तरफ अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। जीई रोड के किनारे भी अतिक्रमण अंधाधुंध बढ़ गए हैं। यहां की जमीन कितनी बेशकीमती होगी ? उसकी कीमत कितनी अधिक हो गई है इसे समझा जा सकता है। लेकिन कहीं-कहीं निगम प्रशासन के समरक्षण में भी अतिक्रमण बढ़ने की शिकायतें सामने आ रही हैं।ऐसे क्षेत्रों में बेशकीमती जमीनों पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है और निगम प्रशासन के लोग आंख मूंद कर बैठे हुए हैं। 

बेशकीमती जमीनों को किराए पर देकर निगम के राजस्व में बढ़ोतरी की जा सकती है। लेकिन अतिक्रमण को बढ़ावा देने से खुद की जेब को भरने का मौका मिलता है। ऐसी करतूतों और कोई नीति नहीं  होने की वजह से भिलाई नगर निगम की आर्थिक हालत आज ऐसी हो गई है कि कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ने लगे हैं। संचित निधि से वेतन देने की नौबत आ गई है। वैसे कहा जाता है कि भिलाई निगम के कई कर्मचारी इतने समृद्ध हो गए हैं कि उन्हें वेतन की जरूरत भी नहीं है।

ऐसे में अतिक्रमण का रुकना आसान नहीं है। तो निगम आयुक्त के सामने चुनौती बढ़ जाना स्वाभाविक है।

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