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स्पॉटिंग और पीरियड्स के बीच में क्या है बड़ा फर्क? ह कई गंभीर समस्याओं का लक्षण भी हो सकता है

   नई दिल्ली . आपने अक्सर कई महिलाओं को कहते हुए सुना होगा कि उन्हें पीरियड्स खत्म होने के बाद भी कई बार बीच में स्पॉटिंग हो जाती है। क्या...

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 नई दिल्ली. आपने अक्सर कई महिलाओं को कहते हुए सुना होगा कि उन्हें पीरियड्स खत्म होने के बाद भी कई बार बीच में स्पॉटिंग हो जाती है। क्या आप जानते हैं, पीरियड्स के अतिरिक्त ब्लीडिंग होना सामान्य नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर समस्याओं का लक्षण भी हो सकता है। स्‍पॉट‍िंग के पीछे सेहत से जुड़ी कई समस्‍याएं भी हो सकती हैं इसल‍िए लक्षण नजर आते ही बीमारी का पता लगाना जरूरी है।

स्पॉटिंग क्या है-
आमतौर पर जब आपके पीरियड्स नियमित रहते हैं और पीरियड्स जाने के कुछ दिन बाद दोबारा से हल्की-हल्की ब्लीडिंग हो रही है, तो यही स्पॉटिंग है। स्पॉटिंग हल्की ब्लीडिंग होती है, जिसके लिए आपको पैड या टैम्पॉन्स की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि स्पॉटिंग हर बार परेशानी का विषय नहीं होती, लेकिन कई बार इसके पीछे गंभीर बीमारी हो सकती है, इसे पीरियड समझने की भूल न करें। 

पीरियड्स और स्पॉटिंग में अंतर-
पीरियड्स और स्पॉटिंग में सबसे बड़ा अंतर वजाइना से निकलने वाले खून की मात्रा है। पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा होती है। पीरियड की अवधि कई दिनों तक होती है। पीरियड्स की ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए सैनेटरी पैड्स और टैम्पोन की आवश्यकता होती है। हालांकि, स्पॉटिंग में बहुत कम खून निकता है जिसे रोकने के लिए इन प्रॉडक्ट्स की ज़रूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग का रंग स्पॉटिंग से थोड़ा गहरा होता है। स्पॉटिंग के दौरान ब्रेस्ट टेंडरनेस और पीरियड्स क्रैंप जैसे लक्षण नहीं होते हैं। पीरियड्स से पहले अमूमन इस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं, जो सामान्य हैं।

स्पॉटिंग के कारण-
बॉडी फैट-

अगर बॉडी वेट ज्यादा होगा तो आपको स्पॉटिंग की परेशानी हो सकती है। वहीं अगर लेप्टिन हार्मोन की कमी होगी तो मिस पीरियड या लाइट पीरियड की समस्या हो सकती है। इसलिए आपको बालों का झड़ना, सिर दर्द, हार्मोनल मुंहासे, योनि का सूखापन, निप्पल डिस्चार्ज, स्पॉटिंग जैसी समस्याएं हो, तो डॉक्टर को दिखाएं।

तनाव या स्ट्रेस का अनुभव-
अगर आप तनाव या स्ट्रेस का अनुभव कर रहे हैं तो इससे आपके हार्मोन्स भी प्रभावित हो सकते हैं। यही हार्मोन आपके ब्लड फ्लो के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। अगर आपको भी महसूस हो रहा है कि यह स्पॉटिंग स्ट्रेस की वजह से है तो आप गहरी सांस लें, जॉगिंग करें और वह सारे काम करें जिससे आपके शरीर और मन को शांति और सुकून मिल सके। 

चोट भी हो सकती है कारण-
गर्भाशय की एंट्री को सर्विक्स कहते हैं।  ये बहुत नाज़ुक होती है। अगर आपको यहां कोई अंदरूनी चोट लग जाए तो इसमें ब्लीडिंग हो सकती है। ये स्पॉटिंग चोट लगने के फौरन बाद या कुछ समय बाद भी हो सकती है।

इन्फेक्शन -
कभी कभी किसी इन्फेक्शन के कारण भी स्पॉटिंग हो सकती हैं। ये इन्फेक्शन वैजाइनल इन्फेक्शन के अलावा यूट्रस, सर्विक्स, फेलोपियन ट्यूब में भी हो सकता है। कुछ गंभीर बीमारियों जैसे सर्वाइकल कैंसर, एंडोमैट्रीओसिस, या बच्चेदानी की दीवार में घाव भी स्पॉटिंग का कारण हो सकता है।

थायरॉइड -
वैजाइनल ब्लीडिंग का एक अन्य कारण एक थायरॉइड ग्रंथि का कम सक्रिय होना भी हो सकता है, इसकी वजह से हार्मोंस में असंतुलन होता है जिसके कारण वैजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है।

दवा- 
कुछ स्टेरॉयड्स, गर्भनिरोधक गोलियां और खून को पतला करने वाली दवाएं भी स्पॉटिंग के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। 

रजोनिवृत्ति-
रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण भी स्पॉटिंग हो सकती है। 

स्पॉटिंग से कैसे करें बचाव-
 हॉर्मोन्स को नियंत्रित रखें-

 एक सही वजन और खानपान हॉर्मोनल इम्बैलेंस की संभावनाओं को कम कर सकता है। जो जंक फ़ूड आप अभी तक खा रहे हैं उसे छोड़ें और उसकी जगह हरी सब्ज़ियों और अनाज का सेवन करें।

बहुत ज़्यादा कसरत ना करें-
 महिलाओं का ज़्यादा कसरत करना भी स्पॉटिंग का एक ख़ास कारण है। बहुत ज़्यादा शारीरिक कसरत से भी पेल्विक एरिया पर दबाव पड़ सकता है, जिससे कभी-कभी स्पॉटिंग और डिस्चार्ज होने लगता है।

कॉन्ट्रासेप्टिव का सेवन अधिक न करें-
जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, उनमें आगे चलकर अबनॉर्मल स्पॉटिंग देखने को मिलती है। खुद डॉक्टर बनने और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ध्यान ना देते हुए इन दवाइयों को लेते रहने से आपके पीरियड कई महीनों के लिए बंद हो सकते हैं।

भोजन में आयरन की चीजें शामिल करें-
 खाने में ऐसे आइटम खाएं जिनमें आयरन की मात्रा ज़्यादा हो जैसे केले, फलियां, पालक आदि। जिस शरीर में खून की कमी होती है वो हर महीने रक्त स्त्रावण नहीं कर सकता है जिसके फलस्वरूप पीरियड स्पॉटिंग होती है।

योग का लें सहारा-
स्ट्रेस लेवल या तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें। हॉर्मोनल इम्बैलेंस का पहला कारण है मानव शरीर का ज़्यादा से ज़्यादा तनाव लेना।

कब लें डॉक्टर की मदद-
कभी-कभी होने वाली स्पॉटिंग को नजरअंदाज किया जा सकता है लेकिन इनमें से कोई भी कारण दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सपंर्क करें।
-जब स्पॉटिंग लगातर होती रहे और ज्यादा खून बहने लगे। 
- रजोनिवृत्ति के बाद गुप्तांग से किसी भी तरह का रक्तस्त्राव चिंता का कारण हो सकता है।
-स्पॉटिंग के साथ बुखार, सिर चकराना, पेट या पेल्विक एरिया में दर्द महसूस होना। 
-आप लगातार कोई दवा ले रही हैं और आपको लगे कि यही दवा स्पॉटिंग का कारण हो सकती है।