रायपुर ।
असल बात न्यूज़।।
00 विधि संवाददाता
यहां लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत आरोपी को दोष सिद्ध पाए जाने पर न्यायालय ने 20-20 वर्ष सश्रम कारावास एवं तीन- तीन ₹3000 अर्थदंड की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विधि फास्टट्रैक विशेष न्यायाधीश पॉक्सो रायपुर राकेश कुमार सोम के न्यायालय ने सजा सुनाई है। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्त को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत दंड देना उचित माना है। न्यायालय के द्वारा वहीं पीड़िता को शारीरिक, मानसिक हानि और पुनर्वास के लिए प्रतिकार प्रदान करने का भी आदेश सुनाया गया है।
रायपुर जिले के गुढ़ियारी थाना क्षेत्र के अंतर्गत की यह घटना मई 2021 की है। न्यायालय के द्वारा प्रकरण में एक साल 6 महीने के भीतर प्रकरण में निर्णय सुनाया गया है। मामले में पीड़िता के पिता के द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। अभिलेख अभियोग पत्र एवं अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार पीड़िता के पिता ने थाना गुढ़ियारी में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी पुत्री पीड़िता फैंसी स्टोर जा रही हूं कहकर 25मई 2021 को घर से निकली थी और वापस घर नहीं आई। आसपास तलाश करने पर भी कुछ पता नहीं चला।
न्यायालय ने विचारण में पाया कि आरोपी के द्वारा 16 वर्ष से कम आयु की पीड़िता को उसके विधि पूर्ण संरक्षक की संरक्षकता से सम्मति के बिना बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाने के लिए विवश कर उसका व्यपहरण/अपहरण कर बार-बार शारीरिक संभोग कर गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमले का अपराध कारित किया है। अभियोग पत्र में यह भी अभियोग है कि आरोपी ने शादी का प्रलोभन देकर जबरदस्ती शारीरिक संबंध स्थापित किया।
बचाव में अभियुक्त की ओर से किसी भी साक्षी का परीक्षण नहीं कराया गया। आरोपी हुरवी केश कुमार उम्र 19 वर्ष कोटा स्टेडियम के पास थाना सरस्वती नगर जेल में निरूद्ध है। बचाव पक्ष ने उसकी उम्र तथा पहले अपराध को देखते हुए उसे न्यूनतम दंड देने का निवेदन किया। न्यायालय के द्वारा अर्थदंड का भुगतान न करने पर अभियुक्त को एक-एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतान का भी निर्देश दिया गया है।