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मुख्यमंत्री जी तक को भी हुई होगी निराशा ?.. संदर्भ बैंक के अध्यक्ष का बदला जाना....

" राज्य में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक किसानों को सुविधाएं प्रदान करने वाले बड़े केंद्र के रूप में विकसित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भू...

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" राज्य में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक किसानों को सुविधाएं प्रदान करने वाले बड़े केंद्र के रूप में विकसित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार, कतई नहीं चाहेगी कि ऐसे केंद्र भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बनते नजर आए।"


रायपुर, दुर्ग।
असल बात न्यूज़।। 

   00  विशेष संवाददाता 
    00  अशोक त्रिपाठी 

दुर्ग जिले में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष को बदला जाना,सिर्फ इस जिले में ही नहीं अभी पूरे प्रदेश में राजनीतिक गलियारे के साथ आम लोगों  की जुबान पर है। राजनीतिक गलियारे में माना जा रहा है कि यह निश्चित रूप से कोई सामान्य घटना नहीं है। दूर के किसी जिले अथवा विकासखड में ऐसी बात हुई होती तो शायद बहुत अधिक सुर्खियों में नहीं होती ।यह मुख्यमंत्री जी के जिले की घटना है और निश्चित रूप से इसमें जो कुछ भी हुआ होगा उसकी एक एक पल की पूरी रिपोर्ट, मुख्यमंत्री तक पहुंचती रही होगी और उसके बाद ही इस पर कोई कार्यवाही हुई होगी, निर्णय लिया गया होगा।  मुख्यमंत्री जी के जिले में आखिर इस मामले में इतना बड़ा कठोर निर्णय क्यों लेना पड़ा ?ढेर सारे लोगों के मन में यह सवाल लंबे दिनों तक कौंधता रहेगा । राजनीति के जानकार लोग जरूर इसके तह तक पहुंचने की कोशिशों में लग गए हैं। यह सर्वमान्य सत्य है कि कोई भी स्वयं होकर किसी पद पर से तो कतई हटना नहीं चाहता। किसी पद को पाने और वहां तक पहुंचने के लिए कितनी मारामारी मची हुई है यह सब जानते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अभी, पूरे प्रदेश में घूम घूम कर प्रदेश  सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने और उसका कहां कितना लाभ पहुंच रहा है, योजनाओं का लाभ पहुंचाने में कहां दिक्कत आ रही है इसकी जानकारी लेने के साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने, मजबूत बनाने, दूर-दूर तक दौरा करने में जुटे हुए हैं। ऐसे समय में वे निश्चित रूप से चाहते होंगे कि, कहीं भी उनके अपने ही लोगों के द्वारा राजनीतिक तौर पर अथवा किसी भी तरीके से, कोई परेशानी खड़ी ना की जाए। वे यह भी जरूर चाहते होंगे कि उनके अपने ही लोगों के द्वारा कोई भी विकट दिक्कत ना पैदा कर दी जाए कि, वे जिन विभिन्न योजनाओं पर आगे बढ़ रहे हैं, जिन कामों को आगे बढ़ा रहे हैं, उसमें आगे बढ़ने में दिक्कत होने लगे, उनकी एकाग्रता भंग हो, उन्हें अपने ही लोगों को समझाने, उनकी समस्याओ को निपटाने दो चार करना ना पड़े, उसी में उलझे रहने में व्यर्थ समय जाया करना ना पड़े। और वह ऐसा तो तब बिल्कुल भी नहीं चाहते होंगे जबकि अब, विधानसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं। सिर्फ एक साल बाद राज्य में चुनाव होने वाले हैं। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के अध्यक्ष को आखिर किस कारण से बदलने की जरूरत पड़ी इसे तवज्जो नहीं दिया जा रहा है । लेकिन निश्चित रूप से इस असामान्य घटना से जो सवाल खड़े हो रहे हैं उनके उत्तर दे पाना आसान नहीं रहेगा। लोगों को समझ में आ रहा है कि इतना बड़ा निर्णय कोई बड़ी दिक्कत पैदा होने के बिना नहीं लिया गया होगा। जरूर, बड़े विचार-विमर्श के बाद ही इस बारे में  निर्णय किया गया होगा। जब विधानसभा चुनाव सिर पर आने वाले हैं तो कोई भी नहीं चाहेगा कि किसी के भी किसी कृत्य से सरकार के खिलाफ आम जनता के बीच कोई नकारात्मक मैसेज जाने वाली घटना ना हो। जब एक बड़े पद पर बदलाव किया गया है तो माना जा रहा है कि ऐसे ही किसी कृत्य को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया होगा। 

यह आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार से जुड़ा हुआ कोई भी नहीं चाहेगा कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र अथवा जिले में उनकी अपनी ही पार्टी में कोई राजनीतिक विवाद पैदा हो। अथवा किसी पद को लेकर कोई विवाद होने की स्थिति निर्मित होने दी जाए। अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरे प्रदेश में जिस तरह से काम कर रहे हैं उन्होंने ज्यादातर लोगों को जोड़ने का काम किया है, लोगों का विश्वास जीतने की कोशिशों में लगे हुए हैं और काम कर रहे हैं और अभी उनके सामने आगे बढ़ने के लिए यही  काम करने की चुनौती भी है। यह भी माना जाता है कि जब पद देने की बारी आई, लोगों को जिम्मेदारी देने का अवसर मिला तो उन्होंने अपने विश्वासपात्र लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया है। संभवत उन्होंने अपने विश्वास पात्र लोगों को आगे बढ़ाने का काम इस सोच के साथ भी किया होगा कि वे जिस  सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जिन योजनाओं पर उन्हें काम करना है, आगे बढ़ना है, जनता तक पहुंचना है विश्वास पात्र लोगों का उन्हें, हर मामले में सहयोग मिलता रहेगा। ऐसे लोग, उनकी उम्मीदों पर हमेशा खरे उतरते रहेंगे। कोई भी नेतृत्वकर्ता यही चाहता है और  अवसर मिलने पर इसी प्लानिंग के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जमीन से जुड़े हुए नेता माने जाते हैं और उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में जब अवसर मिला है तो उन्होंने आम लोगों की आर्थिक समृद्धि, गांव गांव की दशा को सुधारने के लिए ही प्राथमिकता पूरा बीड़ा उठाया है। पदों पर नियुक्तियों के समय बहुत अधिक ठोक बजाकर निर्णय लेने का अवसर नहीं होता। बस, जिसे पद पर बिठाया जाता है उससे उम्मीद की जाती  है कि वह उम्मीदों पर खरा उतरेगा। अपेक्षाओं के अनुरूप काम करेगा। यह तो सभी जानते हैं कि पद पर बिठाया गया व्यक्ति, अपेक्षाओ पर खरा नहीं उतरता, उम्मीदों के अनुरूप काम करता नहीं दिखता, तभी परिवर्तन, बदलने का निर्णय लेने की जरूरत पड़ती है। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष को बदला जा रहा है तब भी ऐसे मुद्दों को हवा मिलनी स्वभाविक है कि कहीं ना कहीं उम्मीदों पर खरा उतारने में चूक हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार, जिला सहकारी बैंकों को भ्रष्टाचार का अड्डा बनते देखना तो कतई नहीं चाहेगी। ।

राज्य में इस समय सभी जगह, जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के माध्यम से ही किसानों को लगभग सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। हालांकि बीच में माध्यम सोसाइटीयां  होती हैं लेकिन उस पर सीधा सीधा,नियंत्रण जिला सहकारी बैंक का ही होता है। किसानों को कर्जमाफी में कर्ज का पैसा वापस दिलाने का काम  भी जिला सहकारी बैंक के माध्यम से ही किया गया है। किसानों को खाद बीज लोन बांटने काम भी इसी बैंक के मदद से किया जा रहा है। किसानों के हितों के लगभग प्रत्येक मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। राज्य में समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू हो गई है। राज्य सरकार धान की खरीदी के मुद्दे पर कहीं भी किसानों को नाराज नहीं करना चाहेगी, असंतुष्ट नहीं होने देना चाहती। इसके लिए तमाम तरह की योजनाएं भी बनाई गई है और लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। इसका बड़ा काम भी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के माध्यम से ही किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि दुर्ग में बैंक के अध्यक्ष को बदलने की जो नौबत आई, उसके पीछे भी धान खरीदी की व्यवस्था में कतिपय कई गड़बड़ियां, व्यवधान पैदा हो जाने की शिकायतें सामने के बाद ही इस मामले में कठोर निर्णय लेना पड़ा है। राज्य सरकार पूरे देश में सबसे अधिक समर्थन मूल्य पर धान करने का दावा कर रही है। सरकार, धान खरीदी के मामले में किसानों का विश्वास जीतने में कहीं भी पीछे भी नहीं हटना चाहती। ऐसे समय में विपक्ष भी कहीं पीछे नहीं है और वह सबको मालूम है कि इस दौरान सरकार को कटघरे में खड़े करने का एक एक मुद्दा तलाशने में पीछे नहीं रहेगी। ऐसे में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की कमियों की वजह से विपक्ष को बड़ा मजा मिलने लगे तो इससे सरकार को बड़ी चोट पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। घोर संकट के बीच से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब राज्य में आगे बढ़ने की कोशिशों में लगे हुए हैं तो वह निश्चित रूप से कहीं नहीं चाहेंगे कि उनके अपने ही जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के द्वारा कोई ऐसा कृत्य किया जाए जिससे सरकार की छवि को नुकसान पहुंचने लगे। कहा जा सकता है कि पानी जब सिर के ऊपर होने लगा तब अंततः पद से हटाना ही उपयुक्त समझा गया। यह मानव स्वभाव है कि जब पद पर आसीन हो जाता है तो कई सारी खामियां स्वयंमेव उसके भीतर पैदा होने लगती हैं। अहंकार से भी कई सारी कठिनाइयां, पैदा होने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति अपने मनमाने तरीके से ही कोई काम करना चाहता है। वह दूसरों की क्या नीतियां है क्या पानी है सरकार क्या चाहती है इससे तालमेल नहीं बिठा पाता। उसके आसपास भी ऐसे लोगों की भीड़ जमा हो जाती है जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए उसके अहंकार को ही बढ़ाने का काम करने में लग जाते हैं। लेकिन यह खामियां, पार्टी और यहां तक की सरकार को नुकसान पहुंचाने काम करने लग जाती हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जरूर चाहेंगे कि उनके जिले में ही इस तरह की खामियां, कमियां ना पैदा होने दी जाए। खास तौर पर किसानों के हितों के मार्ग पर  व्यवधान पैदा करने वाला तो कोई काम ना किया जाए । राजनीति में किसी को जिम्मेदारियां बड़ी उम्मीदों के साथ भी आती है। यह उम्मीद है किसी व्यक्ति विशेष, किस नेता विशेष, से ही लगी नहीं होती अथवा उस पूरी पार्टी से लगी होती है जिसके द्वारा यह जिम्मेदारी प्रदान की जाती है। राजनीतिक पार्टी के लिए अपना एक एक कार्यकर्ता महत्वपूर्ण होता है और किसी को कार्यकर्ता को बड़े छानबीन कर आगे बढ़ाने का निर्णय लिया जाता है।पद पर आना जाना लगा रहता है। और जिस सौभाग्यशाली कार्यकर्ता को पद पाकर आगे बढ़ने का मौका मिलता है उसके पास भी अवसर होता है कि वह अपनी योग्यता को साबित कर सके, उनके भरोसे पर खरा उतर सके जिन्होंने उसे यहां तक पहुंचाने की योग्य समझा है। दुर्ग में जो कुछ भी इस मामले में हुआ है माना जा सकता है कि कहीं ना कहीं कुछ कमियां रह गई होगी। जो पद पर आगे बढ़ाने वाले लोग होते हैं वह कभी नहीं सोचते होंगे कि किसी को पद से वापस बुलाना पड़ेगा। ऐसा करने का निर्णय लेना पड़ता है तो जरूर निराशा होती है। जिसका पद छिन जाता है उसे निराशा होती है और  पद मिलने पर नई खुशियां पैदा होती हैं। किसका पद गया और किसे पद मिला इसमें नाम कोई महत्वपूर्ण नहीं है।यह उम्मीद की जा सकती है कि बड़े कठोर निर्णय, आगे चलकर सुधार के नए रास्ते पैदा करेंगे। इससे आम जनता के विश्वास को टूटने नहीं देने का रास्ता बनेगा। दुर्ग जिले में बड़ी संख्या वाले किसानों से जुड़ी संस्था बैंक के बोर्ड की शक्तियों के अधिकार का उपयोग करने प्राधिकृत अधिकारी को बदलने के मामले में जो  निर्णय लिया गया है उसका संदेश पूरे प्रदेश में स्वाभाविक तौर पर दूर-दूर तक जाएगा।

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