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पहले स्वदेशी पोत आइएनएस विक्रांत में लगा है भिलाई इस्पात संयंत्र का स्टील

  भिलाई। देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित एयर क्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत में भिलाई इस्पात संयंत्र का विशेष ग्रेड का स्टील लगा है। इस...

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भिलाई। देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित एयर क्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत में भिलाई इस्पात संयंत्र का विशेष ग्रेड का स्टील लगा है। इस पोत के निर्माण में भिलाई इस्पात संयंत्र सहित सेल की दो अन्य यूनिट से कुल 30 हजार टन विशेष स्टील की आपूर्ति की गई है।

यह स्वदेशी एयर क्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड से 2 सितंबर को चालू होगा। देश को सामरिक रूप से और मजबूत बनाने की दिशा में भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपना एक और योगदान दिया है। भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी एयर क्राफ्ट कैरियर के निर्माण के लिए करीब 30 हजार टन डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की जरूरत थी।

इसे पूरा करने देश की सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील उत्पादक कंपनी स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के भिलाई इस्पात संयंत्र, बोकारो इस्पात संयंत्र एवं राउरकेला इस्पात संयंत्र को जिम्मेदारी दी गई थी। कंपनी की इस तीनों यूनिट ने इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने के साथ आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में भागीदारी निभाई।

भिलाई इसपात संयंत्र ने डीएमआर ग्रेड के विशेष प्लेट्स को भारतीय नौसेना और डीएमआरएल के सहयोग से विकसित किया है। इस युद्धपोत के पतवार और पोत के अंदरूनी हिस्सों के लिए विशेष ग्रेड 249 ए और उड़ान डेक के लिए ग्रेड 249 बी की डीएमआर प्लेटों का उपयोग किया गया। इस युद्धपोत के लिए बल्ब बार को छोड़कर, स्पेशियलिटी स्टील की पूरी सेल के तीनों यूनिट द्वारा की गई है।

इंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण

भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत चालू होना भारत की आजादी के 75 साल के अमृतकाल के दौरान देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और यह देश के आत्मविश्वास और कौशल का प्रतीक भी है। यह स्वदेशी विमानवाहक पोत देश के तकनीकी कौशल एवं इंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण है। आइएनएस विक्रांत के चालू होने के साथ, हमारा देश विश्व के उन विशिष्ट देशों के क्लब में प्रवेश कर गया है जो स्वयं अपने लिए विमान वाहक बना सकते हैं