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बिल्किस बानो महिला हैैं या मुसलमान, महुआ मोइत्रा ने मीडिया पर भी निकाला गुस्सा

  गुजरात सरकार की पॉलिसी के तहत बिल्किस बानो से बलात्कार के दोषियों को जेल से रिहा किए जाने पर टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा लगातार हमलावार ...

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गुजरात सरकार की पॉलिसी के तहत बिल्किस बानो से बलात्कार के दोषियों को जेल से रिहा किए जाने पर टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा लगातार हमलावार हैं। गुरुवार सुबह ही उन्होंने एक और ट्वीट करते देश से सवाल पूछा है। महुआ मोइत्रा ने लिखा है कि देश को यह तय करना चाहिए कि बिल्किस बानो महिला या फिर सिर्फ एक मुसलमान है। बिल्किस बानो से 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप किया गया था। उन्होंने भी दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाया है और बयान जारी करते हुए कहा इससे न्यायिक व्यवस्था में मेरा भरोसा खत्म हुआ है। उन्होंने गुजरात से कहा कि वह उन्हें हुई पीड़ा को कैसे खत्म करेगी और कैसे उन्हें जीवन जीने का अधिकार मिल सकेगा।

बिल्किस बानो ने कहा, 'मैं तो आज यही कह सकती हूं कि किसी महिला को कैसे इस तरह न्याय मिलेगा? मैं देश की सर्वोच्च अदालतों और सिस्टम पर भरोसा करती हूं। मैं धीरे-धीरे अपने कष्ट के साथ ही जीना सीख रही हूं। इन दोषियों की रिहाई ने मेरा चैन छीन लिया है और मेरा भरोसा भी हिल गया है। मेरा दुख सिर्फ मेरा नहीं है बल्कि यह हर उस महिला का है, जो न्याय के लिए अदालतों में भटक रही है।' बिल्किस बाने के दोषियों की रिहाई पर महुआ मोइत्रा बेहद आक्रामक हैं। उन्होंने टीवी मीडिया पर भी वाल उठाते हुए कहा है कि आखिर अब वे इस मसले पर डिबेट क्यों नहीं करते हैं। 

बिल्किस बानो केस में महुआ ने मीडिया पर भी साधा निशाना

महुआ ने ट्वीट किया, 'खुद को सच्चा बताकर चिल्लाने वाले टीवी एंकर आज कहां हैं? क्या हुआ? क्या बिग डैडीज की ओर से बिल्किस बानो पर पैनल डिस्कशन की मंजूरी नहीं मिली? देश यह जानना चाहता है।' बिल्किस बानो 2002 के दंगों के दौरान करीब 20 साल की थीं और कई माह की प्रेगनेंट भी थीं। जब गुजरात दंगे भड़के तो उसी दौरान वह गैंगरेप का शिकार हुईं और इनमें से ज्यादातर लोगों से वह परिचित थीं। 

गुजरात दंगों के दौरान बिल्किस के साथ क्या हुआ था

यहां तक कि एक शख्स को तो वह चाचा और कुछ लोगों को भाई कहती थी। कहा जाता है कि गैंगरेप के बाद दोषी उन्हें मृत समझकर भाग गए थे। बिल्किस बानो की तीन साल की बेटी की भी दर्दनाक हत्या कर दी गई थी। बिल्किस बानो ने होश में आने के बाद एक आदिवासी महिला से कपड़े लिए थे और फिर लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज कराई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनसे गैंगरेप के मामलो को गुजरात से बाहर मुंबई में ट्रांसफर किया गया था।