रायपुर. छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन से विष्णुदेव साय की विदाई के साथ अटल-आडवाणी युग के नेताओं का युग खत्म हो गया है। प्रदेश में अरुण साव को ...
रायपुर. छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन से विष्णुदेव साय की विदाई के साथ अटल-आडवाणी युग के नेताओं का युग खत्म हो गया है। प्रदेश में अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही मोदी-शाह माडल की पूरी तरह एंट्री हुई है। दरसअल, अब तक प्रदेश में जो भी नेता शीर्ष पद पर रहे, वह सभी अटल-आडवाणी के समय में प्रभावशाली रहे।
पहली बार 54 साल के अरुण साव को जिम्मेदारी दी गई है, जिनकी गिनती अटल-आडवाणी नहीं, बल्कि टीम मोदी-शाह के रूप में की जा रही है। साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद पूरी भाजपा को बदलने की तैयारी चल रही है। प्रदेश महामंत्री पद पर युवा नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके साथ ही युवा मोर्चा, महिला मोर्चा में भी बड़ा बदलाव किया जाएगा। इसमें जातिगत समीकरण काफी अहम रहेगा।
महाराष्ट्र में फडनवीस और हरियाणा में खट्टर की तरह अरुण साव को बनाया प्रदेश अध्यक्ष
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में देवेंद्र फडनवीस और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की तर्ज पर अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। दरसअल, अरुण साव को अमित शाह की खोज माना जाता है। लोकसभा चुनाव के समय जब पार्टी ने साव को बिलासपुर से प्रत्याशी बनाया, उस समय साव सक्रिय राजनीति से काफी दूर थे। वकालत में हाथ जमा रहे अरुण साव को लोकसभा की टिकट मिली और वह भारी अंतर से जीत गए।
इसके बाद साव को केंद्रीय संगठन ने परखने के लिए कई कार्यक्रमों का प्रभारी बनाया। भाजपा कोर ग्रुप में साव की एंट्री के साथ ही यह तय हो गया था कि उनको बड़ी जिम्मेदारी मिलेगा। साव ऐसे नेता हैं, जो छत्तीसगढ़ के जातिगत समीकरण में फिट बैठते हैं। प्रदेश की 90 में से 32 विधानसभा सीट पर साहू समाज के वोटर प्रभावी भूमिका में है। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने ओबीसी वोट को अपने पाले में करने का बड़ा दांव खेला है।