नई दिल्ली. देश में आटा की बढ़ती कीमतों और निर्यात की गुणवत्ता को देखते हुए सरकार ने गेहूं के आटे के निर्यात पर सख्ती बढ़ा दी है। विदेश ...
नई दिल्ली. देश में आटा की बढ़ती कीमतों और निर्यात की गुणवत्ता को देखते हुए सरकार ने गेहूं के आटे के निर्यात पर सख्ती बढ़ा दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है। इसके मुताबिक गेहूं के आटे का निर्यात मुक्त रहेगा लेकिन यह अंतर-मंत्रालयी समिति की सिफारिश के अधीन होगा। इसके तहत अब सभी निर्यातकों को शिपमेंट से पहले गेहूं निर्यात पर अंतर-मंत्रालयी समिति से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। पहले इस तरह के नियम नहीं थे।
क्या है वजह: नोटिफिकेशन में लिखा गया है, "गेहूं और गेहूं के आटे में वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान ने कई नए प्लेयर्स मार्केट में आ गए हैं। इस वजह से कीमतों में उतार-चढ़ाव और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों पर गौर करने की जरूरत हो गई है। भारत से गेहूं के आटे के निर्यात की गुणवत्ता बनाए रखना जरूरी है। इसके अलावा कीमतों पर भी काबू रखना अनिवार्य है।"
नोटिफिकेशन के मुताबिक गेहूं के आटे की निर्यात नीति मुक्त रहती है और इस पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।यह प्रावधान मैदा और अन्य तरह के आटों के निर्यात पर भी लागू होगा। वहीं, यह फैसला 12 जुलाई से प्रभावी होने वाला है।
पिछले महीने खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने गेहूं के आटे के निर्यात पर संभावित अंकुश लगाने का संकेत दिया था। उन्होंने सुझाव दिया गया था कि गेहूं को निर्यात के लिए ज्यादा मात्रा में आटे में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि गेहूं एक रेग्युलेटेड कमोडिटी है। आपको बता दें कि बीते मई माह में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी।