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कोई नहीं उतरा चुनाव मैदान में, नहीं हट सका 'ग्रहण'

00 पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने करने होंगे अभी और उपाय  00 दुर्ग जैसे  विकसित माने जाने वाले जिले में सरपंच पद के लिए नहीं मिल रहे है...

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00 पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने करने होंगे अभी और उपाय 

00 दुर्ग जैसे विकसित माने जाने वाले जिले में सरपंच पद के लिए नहीं मिल रहे हैं अभ्यर्थी  
00 तीन ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के उपचुनाव में किसी ने नहीं भरा नामांकन 
00 राजनीतिक दलों की जागरूकता और सक्रियता पर भी उठ रहा है सवाल

दुर्ग,भिलाई ।
असल बात न्यूज़।। 

       00 विशेष रिपोर्ट 
         00 अशोक त्रिपाठी

दुर्ग जिले में ये वे ग्राम पंचायत है, जहां इस उपचुनाव में भी कोई नहीं चुना जा सकेगा, मतलब कोई नहीं निर्वाचित हो सकेगा। दुर्ग जिले में हो रहे सरपंच पद के उपचुनाव में इस बार भी तीन स्थानों पर कोई निर्वाचित नहीं हो सकेगा। यहां निर्वाचित नहीं होने का ग्रहण हट नहीं सका है। असल में यहां तीन ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के लिए उपचुनाव कराए जा रहे हैं लेकिन इस पद हेतु चुनाव लड़ने के लिए अंतिम तारीख तक भी किसी ने नामांकन दाखिल नहीं किया। ऐसे में यहां उपचुनाव के निर्वाचन की औपचारिकता तो पूरी हो जाएगी लेकिन सरपंच पद पर नामांकन नहीं भरने की वजह से कोई भी निर्वाचित नहीं हो सकेगा।इन ग्राम पंचायतों में पिछले लगभग 2 वर्षों से चुनाव, उपचुनाव तो विधि के अनुसार  लगातार कराए जा रहे हैं लेकिन यहां सरपंच पद के चुनाव के लिए कोई भी नामांकन दाखिल नहीं करता जिससे इस पद पर कोई निर्वाचित नहीं होता और  निर्वाचन की औपचारिकता बस पूरी होती है। 
वर्तमान समय में जबकि  त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हर जगह प्रयास किए जा रहे हैं कदम उठाए जा रहे हैं,तथा पंचायतों को ढेर सारे अधिकार दिए गए हैं और ग्रामीण सत्ता को  मजबूत बनाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं, सरपंचों को भी काम करने के लिए ढेर सारे अधिकार दिए गए हैं तब विश्वास नहीं होता कि किसी गांव में सरपंच पद का चुनाव लड़ने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। लेकिन अभी भी यह स्थिति बनी हुई है। छत्तीसगढ़ राज्य में अभी 57 ग्राम पंचायत क्षेत्र में सरपंच के पद पर  उपचुनाव कराया जा रहा है लेकिन इनमें से इतने ग्राम पंचायतों में किसी ने भी इस पद पर चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया। यह समझ से परे है कि राजनीतिक  तथा प्रशासनिक जागरूकता में कमी की वजह से ऐसा हो रहा है लेकिन इस पर कुछ सवाल तो उठ ही रहे कि आखिर ऐसा  क्यों हो रहा है ? लोग यहां सरपंच पद का चुनाव लड़ने नामांकन भरने आगे क्यों नहीं आ रहे हैं ? इन ग्राम पंचायतों में यह बात भी सामने आई है कि जिस वर्ग के लिए यहां सरपंच का पद आरक्षित किया गया है उनकी जनसंख्या, यहां ना के बराबर है। यह कंफर्म नहीं हो सका है कि यह जनसंख्या कही जीरो,शून्य तो नहीं है। उस आरक्षित वर्ग के लोग वहां के निवासी नहीं होंगे तो वे साधारणतया चुनाव नहीं लड़ सकते। 

दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड के  ग्राम पंचायत बसनी, ग्राम पंचायत खर्रा, और ग्राम पंचायत पथरिया डोमा में अभी सरपंच पद पर उपचुनाव कराया जा रहा है। इन तीन स्थानों में से  ग्राम बसनी में सरपंच का पद अनुसूचित जाति मुक्त के लिए सुरक्षित है।ग्राम पंचायत खर्रा में सरपंच का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए सुरक्षित है। पथरिया डोमा में सरपंच का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए सुरक्षित है। वहां भी इस वर्ग से किसी ने नामांकन दाखिल किया  है। 
लोकतंत्र का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण अंग है और चुनाव, किसी भी वजह से नहीं कराया जा सकेगा तो लोकतंत्र के मजबूत होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिलहाल तो इन ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के लिए किसी ने नामांकन दाखिल किया है।

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