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उद्धव ठाकरे को अच्छी विदाई भी नसीब नहीं, बारी-बारी नाराज होते गए साथी और 'सैनिक'

   मुंबई.  'मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं, मैं यहां रहूंगा और मैं एक बार फिर शिवसेना भवन में बैठूंगा...' यह कहते हुए शिवसेना सुप...

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 मुंबई.  'मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूं, मैं यहां रहूंगा और मैं एक बार फिर शिवसेना भवन में बैठूंगा...' यह कहते हुए शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। करीब 10 दिन चले इस सियासी संघर्ष में शिवसेना के अलावा महाविकास अघाड़ी के साथी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी ठाकरे के साथ डटे रहे, लेकिन सत्ता के अंतिम दिनों में लिए गए कुछ फैसलों ने कई लोगों को नाराज करने का काम किया है। 

MVA में शामिल नेता कहते हैं कि आप केवल ठाकरे परिवार के 'सवालों का जवाब दे सकते हैं और आप उन्हें सलाह नहीं दे सकते।' अब हाल ऐसे हो चुके हैं कि कई साथी और पहले सहयोग करने वाले मुखर होकर सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। इनमें औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने और इस्तीफे में देरी की बात शामिल है।

नाम बदलने पर नाराज हुए कांग्रेस और AIMIM
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने से कांग्रेस का एक वर्ग नाखुश नजर आ रहा है। पार्टी के वर्ग का मानना है कि ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल पार्टी के मंत्रियों को फैसले से दूरी बनानी चाहिए थी, अपना असंतोष दिखाना चाहिए था।

रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेता इस मुद्दे को लेकर केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे तक भी पहुंचे थे, लेकिन दावा किया गया कि मामले में आलाकमान दखल नहीं देगा। अब खबर है कि नाम बदलने से नाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहसिन अहमद ने भी इस्तीफा देने का मन बना लिया है।

पार्टी के एक नेता ने कहा, 'उन्होंने कांग्रेस को इसमें शामिल कर लिया।' उन्होंने बताया, 'सेना हिंदुत्व को लेकर अच्छी नजर आना चाहती थी। अब कांग्रेस भी इस फैसले का हिस्सा बन गई है। हम इस निर्णय में फंस गए। हमें परिणाम भुगतने होंगे।'

राज्यसभा चुनाव में MVA की मदद करने वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता इम्तियाज जलील ने भी सवाल उठाए और इसे 'घटिया राजनीति' करार दे दिया। बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान AIMIM नेता ने कहा, 'यह कांग्रेस और एनसीपी नेताओं पर थूकने का समय है। हमने मुख्यमंत्री का सम्मान किया, लेकिन वह अच्छे ढंग से जा सकते थे। कुछ दिनों पहले सीएम ने कहा था कि सरकार औरंगाबाद का नाम बदलने से पहले उसका विकास करेगा। क्या विकास हो गया?'

शरद पवार भी बनते दिख रहे विलेन
इंडियन एक्सप्रेस की ही एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि ठाकरे ने हालात नियंत्रण से बाहर जाते देख इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था, लेकिन पवार ने उन्हें लड़ाई जारी रखने के लिए मनाया। पार्टी के सूत्र का कहना है कि एक 'अच्छी विदाई' की योजना थी। उन्होंने कहा, 'पवार ने उन्हें रुकने के लिए और जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेने के लिया कहा। यह भी दिखाया गया कि महाविकास अघाड़ी भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ेगी।'

पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि उद्धव ने पद पर बने रहकर शायद गलती की। इससे यह नजर आया कि अगुवाई NCP कर रही है। खास बात है कि शिवसेना और MVA के खिलाफ बगावत करने वाले विधायक भी यह आरोप लगाते रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उद्धव के एक वफादार ने कहा, 'निजी तौर पर, उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए था, जैसी उन्होंने योजना बनाई थी। यह न केवल अच्छी विदाई सुनिश्चित करता, बल्कि लोगों से समर्थन भी मिलता।'