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महिला सशक्तीकरण: रेशम के धागों से गूथ रहीं खुशियां

  रायपुर. छत्तीसगढ़ में सरकार ने कोकून पालन और रेशम के धागे बनाने पर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। इसका असर यह है कि बस्तर के गांव...

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में सरकार ने कोकून पालन और रेशम के धागे बनाने पर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। इसका असर यह है कि बस्तर के गांव-गांव में कोकून का उत्पादन शुरू हो गया है। सरकार ने कोकून से रेशम बनाने के लिए गांधी ग्राम की स्थापना की है। यहां ग्रामीण महिलाओं को काम दिया जा रहा है। वे घर की जिम्मेदारियां संभालने के साथ ही यहां रेशम के धागे तैयार कर हर माह आठ से दस हजार रुपये कमा रही हैं। इससे उनके जीवन में काफी बदलाव आया है। यहां प्रशिक्षण से लेकर बिक्री तक की व्यवस्था की गई है। सरकार का दावा है कि वह गांवों को महात्मा गांधी के आदर्श गांव के रूप में विकसित कर रही है। कांकेर के गांधी ग्राम कुलगांव की संस्करण यूनिट भी इसी दिशा में एक पहल है।

कुलगांव में कोसा धागाकरण प्रशिक्षण यूनिट स्थापित किया गया है। यहां गांव की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रेशम धागा तैयार कराया जा रहा है। प्रशिक्षण यूनिट में महिलाओं को मशीनों के जरिए सिल्क निकालने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिर सिल्क से रेशमी धागे निकाले जाएंगे। महिलाओं को धागा बनाने रैली कोकून भी दिया जा रहा है। रेशम पालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाजार में रेशमी धागे की कीमत 4700 स्र्पये प्रति किलोग्राम है। इससे महिलाओं को कम से कम महीने में दस हजार रुपये की आय होगी। साथ ही रेशम के धागों के जरिए ग्रामीण महिलाएं अपनी तरक्की के सूत्र पिरोएंगी।

बस्तर में प्रति वर्ष पांच से सात करोड़ रुपये का कोकून उत्पादन होता है और 25 करोड़ का व्यापार होता है। कुलगांव की महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष शकुंतला कुंजाम ने बताया कि पहले व्यापारी कम दाम में उत्पादकों से कोकून खरीदते थे। अब रेशम विभाग खरीदी कर रहा है और प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं को दे रहा है। हम लोग इसमें वैल्यू एडीशन कर रहे हैं।

-जगदलपुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर, नारायणपुर, गरियाबंद, मुंगेली, बिलासपुर और जशपुर में होता है उत्पादन

-व्यापारिक रूप से टशर उत्पादन के लिए विभाग की ओर से सिर्फ दो स्र्पये में किसानों को उपलब्ध कराया जाता है डिम्ब समूह

-150 कोसा धागाकरण स्व-सहायता समूह के सदस्यों ने सात हजार किलोग्राम रील्ड, स्पन और घींचा धागा का उत्पादन किया

-मलाबारी रेशम विकास योजना में 610 एकड़ में हुआ पौधारोपण राज्य में 66 मलबरी रेशम/बीज एवं अनुसंधान केंद्र संचालित