बिलासपुर। स्वच्छ भारत अभियान के तहत प्रदेशभर के नगरीय निकायों में मैकेनिकल सफाई का दौर चल रहा है। मशीनों के जरिए हो रही सफाई के अलावा प्...
बिलासपुर। स्वच्छ भारत अभियान के तहत प्रदेशभर के नगरीय निकायों में मैकेनिकल सफाई का दौर चल रहा है। मशीनों के जरिए हो रही सफाई के अलावा प्रतिदिन सुबह के वक्त डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन किया जा रहा है। सेवा के बदले शहरवासियों से प्रति महीने शुल्क भी लिया जा रहा है। निकायों द्वारा सेवा के नाम पर लिए लिए जा रहे शुल्क लिया जा रहा है। राज्य शासन ने अब निकायों से एक-एक पैसे का हिसाब देने कहा है। शासन द्वारा बरती जा रही कड़ाई से निकाय अफसरों में हड़कंप मच गया है।
प्रदेश में मिशन क्लीन सिटी योजना के तहत प्रदेश के 167 नगरीय निकायों में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इसमें मैनपावर के अलावा तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। रात में मशीन के जरिए शहर के प्रमुख सड़कों व चौक चौराहों की साफ सफाई की जा रही है। बिलासपुर नगर निगम सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था भी की जा रही है। स्वैपिंग मशीन के जरिए सफाई की जा रही है।
इसमें सफाई के अलावा प्रमुख चौक चौराहों पर लगी महापुस्र्षों की प्रतिमाओं की पानी से धुलाई भी की जा रही है। रात्रिकालीन सफाई के अलावा दिन में सफाई कामगारों के जरिए भी प्रमुख सड़कों व मोहल्लों की सड़कों की सफाई की जा रही है। घरों से कचरा इकठ्ठा करने के लिए ठेका कंपनी को ठेका दिया गया है।
सुबह के वक्त मोहल्लों में कचरा गाड़ी के जरिए घर-घर से कचरा उठाने का काम किया जा रहा है। सेवा के बदले लिए जा रहे शुल्क का राज्य शासन ने प्रदेशभर के नगरीय निकायों से हिसाब मांगा है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत किस-किस मद में कितनी राशि खर्च की जा रही है। सेवा शुल्क के नाम में शहरवासियों से वसूली जा रही राशि सहित अन्य मदों में खर्च की जा रही राशि का पूरा हिसाब देने कहा है।
बिना अनुमति नहीं कर पाएंगे खर्च
नगरीय प्रशासन विभाग ने प्रदेशभर के निकाय अफसरों को लिखे पत्र में साफ कर दिया है कि उपभोक्ता शुल्क की डिमांग,वसूली गई राशि को बिना अनुमति खर्च नहीं कर पाएंगे। इस पर राज्य शासन ने रोक लगा दी है। अलग-अलग हेड में की जा रही खर्च का पूरा हिसाब अब हर महीने देना होगा। राज्य शासन ने इसके लिए तिथि भी तय कर दी है। अब हर महीने की 15 तारीख को पूरा हिसाब नगरीय प्रशासन विभाग के हवाले करना होगा। निकायवार इसकी पड़ताल की जाएगी।
प्रपत्र में देनी होगी सिलसिलेवार जानकारी
राज्य शासन ने एक प्रपत्र भेजा है जिसमें हर महीने की 15 तारीख तक कालमवार जानकारी भरकर नगरीय प्रशासन विभाग के हवाले करना होगा। मसलन डिमांड की कुल राशि,सेवा शुल्क के नाम पर कितनी राशि वसूली गई। वसूली गई राशि कहां खर्च की गई। खर्च का पूरा हिसाब। इसमें यह भी जानकारी दी जाएगी कि वसूली गई राशि को खर्च करने के पहले राज्य शासन से अनुमति ली गई थी या नहीं। राज्य शासन ने इस पर अपनी अनुमति दी थी या नहीं।