बिलासपुर। गोठान एक रक्षक बनकर हमारी रक्षा कर रहा है। पूरा देश छत्तीसगढ़ माडल की तरफ देख रहा है। ये बातें मुख्यमंत्री के कृषि, योजना और ग...
बिलासपुर। गोठान एक रक्षक बनकर हमारी रक्षा कर रहा है। पूरा देश छत्तीसगढ़ माडल की तरफ देख रहा है। ये बातें मुख्यमंत्री के कृषि, योजना और ग्रामीण विकास सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कही। वे राज्य के किसान उत्पादक संगठनों एवं कृषकों द्वारा उत्पादित कृषि तथा जनजातीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खा उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण, भारत सरकार (एपीडा) एवं बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविालय की ओर से आयोजित कृषि तथा जनजातीय उत्पादों के किसान उत्पादक संगठनों एवं कृषकों के लिए एक दिवसीय कौशल विकास कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
प्रदीप शर्मा ने आगे कहा कि देश में
हरित क्रांति, उन्न्तशील बीजों एवं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से हमने
इतना ज्यादा उत्पादन किया कि पूरे भूमंडल को हम तीन से चार वर्षों तक भोजन
उपलब्ध करा सकते हैं। लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद हमारी यह धारणा टूट गई
है। यूक्रेन एक ऐसा देश है जो पूरी दुनिया का 16 से 18 प्रतिशत गेहूं स्वयं
पैदा करता है। इस युद्ध ने गेहूं की खड़ी फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया है।
यूक्रेन गेहूं के मार्केट में नहीं आने से गेहूं का मूल्य इतना बढ़ गया है
कि वह आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है। आज पूरा विश्व, युद्ध के मुहाने
पर खड़ा है, जिसके कारण हमारे समक्ष वैश्विक खा संकट उत्पन्न् हो गया है।
गेहूं, मक्का और चावल अहम खा पदार्थ हैं।
साल
2022 में इन खा पदार्थों की कमी से हमारे समक्ष संकट के बादल मंडरा सकते
हैं। इस परिस्थिति में किसानों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, क्योंकि हमारे
सिर पर अन्न्दाता का ताज है। वैश्विक खा संकट की दशा में एपीडा की भूमिका
महत्वपूर्ण हो जाती है। कार्यक्रम के आरंभ में डा. आरकेएस तिवारी,
अधिष्ठाता ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि बिलासपुर जिले में वन उत्पादों व
बाजरा फसल की अपार संभावना है। लेकिन किसान परंपरागत खेती को छोड़ना नहीं
चाहते न छत्तीसगढ़ में उत्पादित कृषि उत्पादों में कीटनाशकों के अवशेष की
मात्रा मानक स्तर से अधिक होने के कारण निर्यात में सबसे बड़ी बाधा आती है।