इंदौर. फर्जी काल सेंटर के जरिये अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले जालसाज करण भट्ट को इंदौर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। डेढ़ साल से ...
इंदौर. फर्जी काल सेंटर के जरिये अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले जालसाज करण भट्ट को इंदौर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। डेढ़ साल से फरार इस ठग के खिलाफ अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने सुबूत सौंपे थे। क्राइम ब्रांच उसकी गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र में तलाश कर रही थी।
क्राइम ब्रांच ने 6 नवंबर 2020 को निपानिया स्थित ओके सेंट्रल बिल्डिंग में छापा मारकर फर्जी इंटरनेशनल काल सेंटर पकड़ा था। पुलिस ने यहां से जोशी फ्रांसिस (मैनेजर), जयराज पटेल (आइटी हेड), मेहुल (क्लोजर इंचार्ज), संदीप, यश प्रजापति, हिमांशु सांचला, अक्षत, चंचल, रोहित, विशाल, विश्व दवे, रोशन गोस्वामी, जितेंद्र रजक, अर्चित विजयवर्गीय, राहुल श्रीवास्तव, करण पटेल, कुलदीप, चिंतन गदोया, महिमा पटेल, आकृति ठाकुर, आलिया शेख सहित 22 लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन काल सेंटर का सरगना करण भट्ट और हर्ष भावसार फरार हो गए थे। पुलिस ने करण की तलाश में गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में छापे मारे, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। शुक्रवार रात क्राइम ब्रांच ने करण को मोबाइल लोकेशन के आधार पर गुजरात से गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी (अपराध) निमिष अग्रवाल ने करण की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच और जिला विशेष शाखा के अफसरों की टीम बनाई थी। उससे विदेशियों के संबंध में गोपनीय स्थान पर पूछताछ चल रही है। अफसरों ने उसकी अभी तक अधिकृत गिरफ्तारी नहीं ली है।
एफबीआइ अफसरों ने सौंपे थे क्राइम ब्रांच को सुबूत - आरोपित करण भट्ट डेट्स देम वेब साइट डाटकाम से अमेरिकी नागरिकों का डाटा (मोबाइल नंबर) निकालकर उन्हें अमेरिकी उच्चारण में वाइस मेल भेजता था। इसमें खुद को अमेरिकी सोशल सिक्युरिटी एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकारी बताता था। सोशल सिक्युरिटी नंबर (एसएसएन) में ड्रग ट्रेफिकिंग, बैंक फ्राड, आइडेंटिटी थेफ्ट, चेक फ्राड, ब्लीचिंग कांट्रेक्ट सहित अन्य अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की धमकी देकर खाते में रुपये जमा करा लेता था। करण के साथियों की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ भी चौंक गई। एजेंसी ने पीड़ित नागिरकों के कथन लिए और क्राइम ब्रांच को सौंपे। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने करण की तलाश तेज कर दी और उसे
चीन-हांगकांग के खातों में पहुंचा पैसा - एफबीआइ और क्राइम ब्रांच की संयुक्त पड़ताल में पता चला कि करण के गिरोह ने 20 हजार से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों के साथ धोखाधड़ी की है। करण का गिरोह जेम्स स्टूवर्ड, बेंजामिन अलबर्ट, हेरिप एस्कार्ट, जेनेथन रे, मार्टिन मेन, केलिना वलटर, जेनिफर वाकर और केविन हुसे जैसे अमेरिकी प्रचलित नामों का उपयोग करता था। विदेशियों से यूएस डालर (पांच से एक हजार) सैटलमेंट के नाम पर वसूलते थे। बाद में उन्हें गिफ्ट कार्ड (आइटून्स, गूगल पे) के माध्यम से रेडिंग कार्ड नंबर प्राप्त कर लिया जाता था। करण भट्ट, हर्ष भावसार के साथ मिलकर यासी इंफोटेक के खाते के जरिये भारतीय मुद्रा में कन्वर्ट करवा लेता था। जांच में यह भी बात सामने आई की विदेशियों से ठगा पैसा हांगकांग और चीन के बैंक खातों के जरिये भारत पहुंचा था।
दबोच लिया।