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राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश हो गया है काफी महत्वपूर्ण,सपा के 'जाट दांव' की काट कैसे निकालेगी बीजेपी

  लखनऊ । असल बात न्यूज़।।  00 पॉलीटिकल रिपोर्टर   . देश के कई राज्यों में होने जा रहे राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में राजनीतिक विश्लेषकों की न...

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लखनऊ ।

असल बात न्यूज़।। 

00 पॉलीटिकल रिपोर्टर

 
. देश के कई राज्यों में होने जा रहे राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में राजनीतिक विश्लेषकों की नजर उत्तर प्रदेश की ओर लगी हुई है। राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में उत्तर प्रदेश काफी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि यहां कुल 11 राज्यसभा सदस्य को चुनाव होना है। उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर होने जा रहे राज्यसभा चुनाव के लिए हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी ने जहां 3 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अभी नामों पर मंथन में जुटी है। 8 सीटों के लिए पार्टी 20 नामों पर विचार कर रही है। हालांकि, सपा की ओर से चले गए जाट दांव से पार्टी के लिए माथापच्ची कुछ बढ़ गई है। माना जा रहा है कि जयंत चौधरी को सपा-रालोद गठबंधन की ओर से उतारे जाने के बाद भगवा कैंप पर भी जाटलैंड से किसी चेहरे को उच्च सदन में भेजने का दबाव बढ़ गया है।

विधानसभा चुनाव में अखिलेश और जयंत की जोड़ी ने भाजपा का गढ़ बन चुके पश्चिमी यूपी में चुनौती बढ़ा दी थी। किसान आंदोलन से प्रभावित रहे गन्ना बेल्ट में भले ही बीजेपी एक बार फिर मिठास चखने में सफल रही, लेकिन कई सीटों पर उसे जोरदार झटका लगा और गन्ना मंत्री सुरेश राणा तक चुनाव हार गए। हालांकि, पार्टी ने वेस्ट यूपी के प्रभावशाली समुदाय को साधने के लिए योगी मंत्रिमंडल में 3 जाट चेहरों को जगह दी। बागपत जिले के बड़ौत से जीते विधायक केपी मलिक, मथुरा से जीतकर आए लक्ष्मीनारायण और मुरादाबाद से भूपेंद्र चौधरी को मंत्री बनाया गया।

पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में वैसे तो विधानसभा चुनाव के दौरान सपा-रालोद गठबंधन का शोर सीटों में नहीं बदला। मेरठ, मुजफ्फरनगर और शामली जिले में ही गठबंधन प्रभावी दिखा। वेस्ट यूपी के 14 जिलों में भाजपा ने 70 सीटों में से 40 सीटों पर जीत दर्ज की। अब सपा ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला कर 2024 को लेकर पासा फेंका है। हालांकि यह कहना बहुत मुश्किल है कि 2024 तक यह गठबंधन कितना कारगर रहेगा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा जयंत को राज्यसभा भेजकर समुदाय के सम्मान के रूप में पेश करेगी और भाजपा इस नैरेटिव में पीछे रहा पसंद नहीं करेगी। इसलिए पार्टी में जाट चेहरों पर भी मंथन चल रहा है।