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भाजपा को भरोसा है कि कौन होगा चेहरा ? के सवाल का कोई औचित्य नहीं

  00  वर्ष 2023 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे छत्तीसगढ़ का चेहरा 00 जानकार राजनीतिक विश्लेषको को मालूम है कि वर्ष 2003 के विध...

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 00  वर्ष 2023 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे छत्तीसगढ़ का चेहरा

00 जानकार राजनीतिक विश्लेषको को मालूम है कि वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने बिना किसी चेहरे के छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत दर्ज की थी

 रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग।

असल बात न्यूज़।। 

    00  पॉलीटिकल रिपोर्टर 

ताजा घटनाक्रमों के बीच राज्य में राजनीतिक सरगर्मी लगातार तेज होती दिख  रही है। कहा जा सकता है कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव अब सिर पर आ रहा है तो ऐसे में राजनीतिक सरगर्मी का तेज होना स्वाभाविक भी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ तमाम मंत्री पूरे 90 विधानसभा क्षेत्रों में दौरे पर हैं और प्रतिदिन ग्रामीणों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं, किसानों से मुलाकात कर रहे हैं। तो वहीं केंद्रीय मंत्रियों के लगातार दौरे और कार्यकर्ताओं की  बैठकों से भारतीय जनता पार्टी की सक्रियता भी काफी बढ़ती हुई दिख रही है। अभी ज्यादातर इलाकों में जमकर पर गर्मी पड़ रही है लेकिन कहा जा रहा है कि गर्मी के ये दिन राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण बन गए हैं। एक दिन पहले भाजपा के बिलासपुर में महत्वपूर्ण बैठक हुई है। संगठन के नेताओं की बैठक के बाद पार्टी के प्रदेश सह प्रभारी नितिन नवीन ने कहा है कि आने वाले एक साल में छत्तीसगढ़ में बड़ा परिवर्तन दिखेगा, और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। 

नितिन नवीन के शब्दों पर गौर किया जाए तो उन्होंने कहा है कि आगामी एक साल के भीतर छत्तीसगढ़ में बड़ा परिवर्तन होगा। यह सब राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है तथा  यह सवाल उठ सकता है कि यह परिवर्तन किस तरह का होगा ? यह परिवर्तन क्या भारतीय जनता पार्टी में होने जा रहा है ? अथवा उनका इशारा कांग्रेस की तरफ है ? अथवा वे सरकार के बारे में बात कर रहे हैं ? वैसे उन्होंने यह जरूर कहा है कि आने वाले वर्ष 2023 के चुनाव में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ में भाजपा का चेहरा होंगे और आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमल फूल के जरिए छत्तीसगढ़ में परिवर्तन लाएगी। नितिन नवीन ने जो बातें कही है यह कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा  सकती है। अभी आम लोगों के साथ पार्टी के भी कई लोग हैं जो यह सवाल उठाते रहे हैं कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में किस चेहरे को आगे लेकर चुनाव मैदान में जाने वाली है तो श्री नवीन ने जिस तरह से कहा है उससे यह समझा जा सकता कि यहां छत्तीसगढ़ से कोई चेहरा आगे नहीं किया जाने वाला है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही यहां चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे। ऐसे में संभवत अब यह सवाल उठाना बंद हो जाएगा कि पार्टी का चेहरा कौन होगा। जो राजनीति के पुराने जानकार लोग हैं वह जानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में कभी चेहरा अधिक महत्वपूर्ण ही रहा है। पार्टी को जब भी बड़ी जीत मिली है कार्यकर्ताओं का दम पर ऐसी जीत मिली है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा से बार-बार यही सवाल पूछा जाता था कि पार्टी  का चेहरा कौन होगा ? उस समय भी पार्टी नेतृत्व इस सवाल पर मौन नजर आया और इस मौन को विरोधियों के द्वारा उस समय कई तरह के  सवालों के कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई। लेकिन तब भाजपा ने बड़ा उलटफेर करते हुए छत्तीसगढ़ में बिना किसी चेहरे के बड़ी जीत हासिल की थी। जानकार राजनीतिक विश्लेषक समझते हैं कि चेहरा कोई बड़ी चीज नहीं है। कौन से मुद्दे हैं जो मतदाताओं को आकर्षित करने वाले हैं, प्रभावित करने वाले हैं उनके आधार पर मतदान होता है। पर मजेदार बात है कि चेहरे के नाम पर पार्टी में ही अंदरूनी खींचतान मची हुई है तथा कई नेताओं ने इसी मुद्दे पर अपनी तलवारे म्यान से निकाल रखी है। 

छत्तीसगढ़ राज्य में जो राजनीति सरगर्मी  बढ़ रही है देखा जाए तो उसके पहले यहां जो खैरागढ़ विधानसभा का उपचुनाव हुआ है वह,इस सरगर्मी के बढने के पीछे टर्निंग प्वाइंट की तरह साबित हुआ है। और इस उपचुनाव के परिणाम के आने के बाद राजनीति की दिशा में काफी कुछ बदलाव दिख रहा है। यहां उपचुनाव में भाजपा  को जिस तरह से करारी हार का सामना करना पड़ा है निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ को लेकर उसकी चिंता में पड़ गई होंगी। दूसरी तरफ कांग्रेसी खेमे में काफी उत्साह दिख रहा है और कांग्रेसी नेताओं की आक्रामकता लगातार बढ़ती दिख रही है। कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जो ताजा भेंट मुलाकात यात्रा शुरू हुई है, वह भी, और अधिक उत्साह, चुस्ती फुर्ती के साथ शुरू की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, इस दौरान सभी 90 विधानसभा क्षेत्र में पहुंचने की कोशिश में है और उनके साथ कई मंत्री भी यात्रा पर जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस, उन विधानसभा क्षेत्रों के राजनीतिक हालात को समझने तथा उसे अपना और मजबूत गढ़ बनाने की रणनीति पर काम करने से भी निश्चित रूप से पीछे नहीं रहेगी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेसमें यहां जिस तरह से बड़ी जीत हासिल की है उसके बाद से उसे यहां लगातार सफलता ही हासिल होती गई है तो ऐसे में उसके नेताओं का मनोबल तथा उत्साह बढ़ा हुआ, दिखना स्वाभाविक है। 

कहा जा सकता है कि भाजपाई खेमे में चिंताएं बढ़ी है लेकिन कैडर बेस्ड इस पार्टी में छत्तीसगढ़ में वापसी के लिए नए रास्ते खोजे जा रहे हैं। पार्टी के लिए हम बात भी अभी जरूर चिंता का सबब बना हुआ रहेगा कि कांग्रेस को  पिछले विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत मिलने के पीछे आखिर क्या वजह रही ? और 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा यहां सिर्फ 14 सीटों पर सिमट कर  क्यों रह गई ? 

यह चिंता यहां जरूर मौजूद है लेकिन ऐसी चिंताओं को दरकिनार कर पार्टी के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के कामों से आम जनता खुस नहीं है। लोगों में असंतोष व्याप्त है। भाजपाई खेमे को भरोसा है कि प्रधानमंत्री आवास, शराबबंदी, बेरोजगारी भत्ता, युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर जो कुछ काम नहीं हुआ है उससे लोगों में  नाराजगी काफी बड़ी है। पार्टी अब इन्हीं मुद्दे को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ने का मन बना रही है। 

आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में भारतीय जनता पार्टी के दुर्ग जिले में भी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की उपस्थिति में महत्वपूर्ण बैठक हुई है। दुर्ग जिला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला है तो यहां राजनीतिक सरगर्मी का कैसा आलम होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस जिलों में भी भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है और निश्चित रूप से अभी भी उसकी राह आसान नहीं है बल्कि, यह कहा जा सकता है कि यहां वापसी के लिए उसे  अत्यंत कठिन मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी। इस जिले में आयोजित बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय भी उपस्थित थे। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने यहां पार्टी के पिछले कार्यक्रमों की समीक्षा की है तथा नेताओं को आगे की रणनीति पर युद्ध स्तर पर काम करने का निर्देश दिया है। कहा जा सकता है कि घर भेज तो दिए गए हैं लेकिन सब कुछ बहुत आसान नहीं है। जब आप सत्ता में होते हैं तो कई रास्ते खुद ब खुद खुलती आते हैं लेकिन जब सत्ता से बाहर होते हैं तो लोगों का विश्वास अर्जित करने के लिए आपके पास कोई ठोस एजेंडा होना चाहिए। पार्टी के नेता छत्तीसगढ़ में अपनी विचारधारा से भी भटकते दिखे हैं, जिससे आम कार्यकर्ताओ से उनकी दूरियां बढ़ी हुई नजर आती है। भाजपा में एक बात यह भी कही यह जा रही है कि पार्टी में अभी, व्यक्ति अधिक हावी होते जा रहे हैं पार्टी को कमजोर कर दिया गया है इस से भी निकलने की कोशिश करनी होगी।


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