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क्या बस्तियां यूं ही धू धू कर जल जाती रहेंगी ?

0 बस्ती में कहीं ना कहीं ज्वलनशील पदार्थों का जखीरा  जमा होने का भी संदेह  0 क्या अग्नि, एक घर से दूसरे घर और फिर तीसरे और हर घर को आसानी से...

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0 बस्ती में कहीं ना कहीं ज्वलनशील पदार्थों का जखीरा  जमा होने का भी संदेह 

0 क्या अग्नि, एक घर से दूसरे घर और फिर तीसरे और हर घर को आसानी से यूं ही अपनी चपेट में ले सकती है ?

0 दिनदहाड़े हुई इस दुर्घटना में  सबसे पहले जिस घर में आग लगी, जिस केंद्र पर आग लगी, आग को वही नियंत्रित कर पाना क्या संभव नहीं था ?

0 दूसरे और तीसरे घर तक भी आगजनीको फैलने से रोक पाना क्या संभव नहीं था ? 


भिलाई, दुर्ग।

असल बात न्यूज़।। 

    00  विशेष संवाददाता

यह अच्छा हुआ है कि पावरहाउस फल मंडी के पीछे बस्ती में भीषण आगजनी की घटना में कोई जनक्षति नहीं हुई है, नहीं तो जिस तरह से अग्नि फैली बड़ी संख्या में घरों को अपनी चपेट में ले लिया और वहां सब कुछ तबाह हो गया, उससे वहां किसी तरह के बड़े हादसे से भी इनकार नहीं किया जा सकता था।  जिस तरह से एक एक  झोपड़ियां और घरेलू दैनिक उपयोग के सामान जलकर राख, बर्बाद हो गए वह दुखद है । इस नुकसान की भरपाई आसान नहीं होगी। इस गर्मी के आगमन के बाद से औद्योगिक क्षेत्र भिलाई में आगजनी की घटना बढ़ी है।इस आगजनी की घटना से एक बार फिर यह उजागर हुआ है कि अतिक्रमण से गलियां तंग होती जाएंगी, रास्ते संकरे हो जाएंगे तो किसी भी दुर्घटना के हालात में बचाव दल के वहां पहुंचने में देरी होगी और नुकसान का खतरा बढ़ता जाएगा।  इस हादसे से कई सवाल भी उठ रहे हैं। एक झोपड़ी में आग लगी और धीरे-धीरे उसने 90 घरों को अपनी चपेट में ले लिया क्या हालात इतने बदतर थे कि जिस पहली झोपड़ी में आग उठी आगजनी को क्या वही तुरंत ही नियंत्रित कर पाना संभव नहीं था कि कहीं आग को बुझाने के बजाय उसे भड़काने का काम किया गया ? उस बस्ती में कहीं कोई ज्वलनशील पदार्थों का भयानक जखीरा तो जमा नहीं था जिससे अग्नि अत्यधिक भीषण होती की गई ? एक कमजोर वर्ग की बस्ती में आग इतनी भीषण कैसे हो गई ? यह तो सही है कि  दमकल गाड़ियां, बचाव की दूसरी टीम, वहां अपेक्षाकृत देर से पहुंची जिससे आग बुझाने के प्रयास देरी से शुरू हुए। स्थानीय प्रशासन के द्वारा ऐसी दुर्घटनाओं के रोकथाम के लिए क्या कदम उठाया जाएगा ? 

जानकारी के अनुसार पावर हाउस फल मंडी के पीछे स्थित इस बस्ती में दोपहर में लगभग 2:30 बजे के आसपास आगजनी की घटना हुई। यहां बस्ती में रहने वाले ज्यादातर लोग छिटपुट व्यवसाय करते हैं, दैनिक मजदूरी कर अपना जीविकोपार्जन करते हैं। यह सब लोग वर्षों पहले से यहां बसे हुए हैं। यहां बिजली, पानी, स्कूल शौचालय इत्यादि सभी प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध है। अतिक्रमण के चलते दूसरी बस्तियों की तरह यहां भी गलियां संकरी हैं। बड़े वाहनों का मुश्किल से आना जाना हो पाता है। बस्ती में प्रधानमंत्री आवास के भी कई घर बन गए हैं।  नवरात्र की अष्टमी थी इसलिए ज्यादातर घरों में पूजा-पाठ भी चल रहा था और कन्या भोज भी कराया गया था, जा रहा था। शायद किसी को एहसास भी नहीं रहेगा इसी समय आगजनी की भीषण दुर्घटना हो जाएगी और 90 से अधिक घर तथा दूसरे सामान जलकर राख हो जाएंगे।सूर्यदेव ढलान पर उतरने लगे थे और बताया जाता है कि गर्मी ऊतनी भीषण नहीं थी। कल इस क्षेत्र में भी तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। आग उठी, फैलती गई और फैलती गई और उसने सब कुछ स्वाहा कर दिया। एक एक कर 90 घरों को अपनी चपेट में ले लिया। यह अत्यंत आश्चर्य जनक ही लगता है कि 90 घरों को आग की चपेट में आ जाने आने से बचाने के लिए किसी को कोई उपाय नहीं सूझा, किसी को कोई उपाय नहीं दिखा। एक बात यह भी कि जिस तरह से प्रत्यक्षदर्शियों ने देखा है, घटना की  सोशल मीडिया पर वीडियो आई है कि आग की लपटे कई कई फीट ऊंची उड़ रही थी उससे आशंका जताई जा रही है कि वहां कहीं न कहीं ज्वलनशील पदार्थ का जखीरा जमा था। कल हवा जरूर तेज थी, लेकिन एक घर से दूसरे घरों में फिर तीसरे घर,चौथे घर और हर घर को आग ने अपनी चपेट में ले लिया, यह सब बहुत आसान नहीं होता। ऐसा फिल्मों में आसानी से दिखाया जाता है लेकिन वास्तविकता में ऐसा होना संभव नहीं होता जब तक कि वहां ज्वलनशील पदार्थों का जखीरा ना जमा हो। फिल्मों में भी ऐसे दृश्यों का फिल्मांकन करने के लिए ज्वलनशील पदार्थों का जखीरा जमा करना पड़ता है।

आग वहां इतनी तेजी से फैल गई और वहीं भीषण हो गई कि वहां जानकारी के अनुसार दो,दो सिलेंडर फट गए। अब यह पता नहीं चल सका है कि यह सिलेंडर एक ही घर में रखे थे कि अलग-अलग घरों में यह हादसा हुआ है। वैसे अभी सिलेंडर के दाम जिस तरह से इतने अधिक बढ़ गए हैं उससे एक ही घर में दो-दो भरा हुआ सिलेंडर होना मुश्किल से मिलता है। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार  दो,दो सिलेंडर फटे जिसके बाद अग्नि भड़क गई। दुर्घटना में लोगों का ठौर ठिकाना जल गया, दैनिक जरूरत की जो चीजें थी वह सब जल गई है। छोटे-छोटे जो पशु पाले गए थे वह सब भी जल गए। दुर्घटना के बाद कई समाजसेवी संगठन घटना में पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए सामने आए हैं लेकिन आग को फैलने से बचाने में कोई काम नजर नहीं हो पाया है शायद कोई मदद नहीं कर पाया। आगजनी के दौरान सिलेंडर में विस्फोट हुआ तो लोगों में दहशत फैल गई। लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। और अग्नि को बढ़ते देखकर लोग अपने अपने कीमती सामानों को निकाल कर सुरक्षित स्थान की ओर बाहर भागने लगे। उसके बावजूद भी आग इतनी भयानक हो गई थी कि उससे कई लोगों की नगदी तथा कीमती सामान जल जाने की जानकारी मिली है।

स्थानीय प्रशासन के द्वारा इस दुर्घटना के पीड़ितों के ठहरने तथा भोजन की व्यवस्था का काम शुरू कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ सिख पंचायत भिलाई दुर्ग ने भी इस दुर्घटना के पीड़ितों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। संगठन के द्वारा पीड़ितों की मदद के लिए कैंप एक गुरुद्वारे में भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है। 

यहां सवाल यह भी है कि हम विकास की बात करते हैं अधिकार केवल बने का दावा करते हैं विकसित बनने की राह पर आगे बढ़ने का दावा करते हैं तो क्या ऐसे विकास के समय में बस्तियों में ऐसे ही आग लग जाएगी ?और क्या बस्तियां यूं ही धू धूकर जलकर राख होते  रहेंगी।