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इतनी सील मिली कि देख कर चौंक जाएंगे आप, सट्टा खिलाने में उपयोग की जाती थी यह सील

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।   00 विशेष रिपोर्ट इतनी सारी सील, आपने संभवत किसी कोर्ट कचहरी में देखी होगी, लेकिन यह  सील सिक्का किसी कोर्ट कचहर...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।।  

00 विशेष रिपोर्ट

इतनी सारी सील, आपने संभवत किसी कोर्ट कचहरी में देखी होगी, लेकिन यह  सील सिक्का किसी कोर्ट कचहरी का नहीं है। यह सील सिक्का जिसे गिन पाना भी कठिन लगता है उसे स्थानीय पुलिस ने सटोरियों से बरामद किया है। सटोरियों के द्वारा इसे सट्टा खिलाने में उपयोग किया जाता था। बड़ी चालाकी और सुनियोजित तरीके से इसका इस्तेमाल किया जा रहा था। हर दिन के लिए अलग सील बनाई गई थी। खूब दिमाग लगाकर यह सील उपयोग में लाई जाती थी। अलग अलग दिन अलग-अलग चिन्ह निशान उपयोग किए जाते थे। हर दिन की सील में अलग तरह के निशान बनाए जाते थे ताकि उनकी सरल तरीके से पहचान की जा सके कि वह कौन से दिन की सील है और उसको पहचानने में किसी तरह की दिक्कत ना हो। इसका भी ध्यान रखा जाता था कि कोई किसी दूसरे दिन की सील को किसी और दिन दोबारा  चलाने का प्रयास ना कर सके। पहले कभी चिल्लहर नहीं होने पर जिस तरह से कागज पर लिखकर टोकन दे दिया जाता था और उसे देने पर पैसा या उसके बदले में सामान दे दिया जाता था वैसे ही इस सील का इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस ने भी जब इतने सारे सील सिक्का को बरामद किया तो उसे देखकर उनके भी आश्चर्य का ठिकाना ना रहा। 

यह सुना गया है कि अपराध जगत में दो नंबर के धंधे में  पूरे दिमाग तथा आधुनिकतम तौर तरीके का इस्तेमाल किया जाता है और दो नंबर के धंधे में भी पूरी इमानदारी की जाती है। संभवत ऐसे ही ईमानदारी दिखाने यह सील उपयोग की जाती थी ।

पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सील सिक्का दुर्ग शहर के आपापुरा इलाके से बरामद किया गया है। आपापुरा इलाके में पुलिस ने पहले भी कई सटोरियों का पकड़ा है तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। लेकिन शिकायत है कि छूटने के बाद ये लोग फिर सट्टा खिलाने के ही धंधे में लग जाते हैं। मामले में 4 आरोपियों को पकड़ा गया है। पुलिस ने बताया है कि आरोपियो के खिलाफ चार क जुआ एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। इसमें एक महिला आरोपी भी गिरफ्तार की गई है। आरोपियों के पास से लगभग ₹80 हजार रूपए बरामद किया गया है। पुलिस के अनुसार इस इलाके में संगठित तरीके से सट्टा खिलाया जा रहा था। 

सील का प्रयोग सट्टा पर्ची में किया जाता था। अलग-अलग दिन के लिए अलग-अलग चिन्ह वाली सील निश्चित किये गए थे।माना जाता है कि सील लग जाने के बाद  दस्तावेज पक्के हो जाते हैं। वैसे ही सट्टा खेलने खिलाने वाले लोग सील लगाकर अपने कागज को पक्का करते थे। है ना, दो नंबर के धंधे में ईमानदारी दिखाने  का काम । इसका दुखद पहलू यह है कि राज्य में अपराध लगातार संगठित होता जा रहा है और अपराधियों में डर दबाव कम होता जा रहा है। इसलिए अवैध धंधे ऐसे चलाए जाने लगे हैं।