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छत्तीसगढ़ में डीएव्ही पब्लिक स्कूल को बंद करने की साजिशः बृजमोहन

  0 पैंसठ हजार बच्चे और दो हजार से अधिक शिक्षकों का भविष्य अधर में  0 डेढ़ साल ने तनख्वाह नहीं मिली, पालक कर रहे सहायता रायपुर । असल बात न्य...

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0 पैंसठ हजार बच्चे और दो हजार से अधिक शिक्षकों का भविष्य अधर में 

0 डेढ़ साल ने तनख्वाह नहीं मिली, पालक कर रहे सहायता

रायपुर ।

असल बात न्यूज़।।

स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडिम स्कूल योजना लाकर अपनी पीठ थपथपाने वाली भूपेश सरकार प्रदेश के चौहत्तर ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित डीएव्ही मुख्यमंत्री स्कुल बंद करने का षड़यंत्र कर रही है। सरकार के इस षडयंत्र से पैंसठ हजार बच्चे और दो हजार से अधिक शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है।


श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में पूर्व में संचालित चौहत्तर डीएव्ही मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूलों में पिछले कई महीनों से तनख्वाह नहीं बटी है। एक तरफ तो सरकार कहती है कि राज्य ने पाँच लाख लोगों को रोजगार दिया है। जबकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेंत्रों में केन्द्रीय योजना के तहत खोले गए स्कूल जिसमें अंग्रेजी माध्यम से सीबीएसई पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा था। आज बंद होने की कगार है। उनके शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है वे नौकरियां छोड़ रहे हैं। उन स्कूलों में पढ़ने वाले पैंसठ हजार बच्चों और हजारों शिक्षकों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया गया है। इससे घृणित और कोई काम नहीं हो सकता है कि य़ह सरकार शिक्षा के मंदिर में भी राजनीति कर रही है।


श्री अग्रवाल ने कहा कि पूर्व में केन्द्र की योजना के तहत ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के विकास के लिए डीएव्हीपी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल खोले गए थे तथा छत्तीसगढ़ सरकार ने दो हजार अट्ठारह में तीस साल तक आर्थिक अनुदान देने का अनुबंध किया था। इन स्कूलों को ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में खोला गया था। 

उन्होंने कहा कि विगत डेढ़ वर्ष से कांग्रेस शासन ने षड्यंत्र के तहत इन स्कूलों को आर्थिक अनुदान देना बंद कर दिया है, जिससे इस में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का भविष्य अधर में हो गया है। 


श्री अग्रवाल ने कहा कि यह स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए थे। दंतेवाड़ा जिले के ग्राम जवांग डीएव्ही मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल का उदाहरण लें तो वहाँ चालिस शिक्षक कार्यरत थे, जिनमें से कई ने स्कूल छोड़ दिया है। इससे पालको में आक्रोश है। पालकों ने जिलाध्यक्ष को इस सम्बंध में पत्र दे कर लंबित वेतन दिलाने का अनुरोध किया है। खबर तो यह भी है कि पालक अपने बच्चों का भविष्य न बिगड़े कर के अपने स्तर से शिक्षकों को चावस-दाल उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन आखिर यह कब तक चलेगा। 


श्री अग्रवाल ने कहा कि अकेले बस्तर में पच्चीस स्कूलो में लगभग तेईस हजार बच्चे पढते हैं। उसी तरह पूरे प्रदेश की बात करें तो चौहत्तर स्कूलों में लगभग पैंसठ हजार बच्चे और जो हजार से अधिक शिक्षक इस सरकार की मनमानी के शिकार हो रहे हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार हवा-हवाई बातें बंद कर रोजगार के हर क्षेत्र पर ध्यान दे, न कि सिर्फ शोशेबाजी करने में, यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वनवासी क्षेत्रो में शिक्षा के प्रचार प्रसार से जुड़ा है।