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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने, साधु संतों महात्माओं को दिया उच्च आसन, मंच पर स्वयं नीचे आसन पर बैठ संतो, महात्माओं का सम्मान कर भारतीय संस्कृति को किया प्रतिष्ठित , चारों तरफ हो रही है तारीफ

  भिलाई। असल बात न्यूज़।।  00  special भारतीय संस्कृति में ऋषि-मुनियों, महात्माओ, साधु संतों को हमेशा अधिक महत्व दिया गया है, उनसे हम सब सीख...

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 भिलाई।

असल बात न्यूज़।। 

00  special

भारतीय संस्कृति में ऋषि-मुनियों, महात्माओ, साधु संतों को हमेशा अधिक महत्व दिया गया है, उनसे हम सब सीखते हैं, ज्ञान प्राप्त करते हैं, उनका हमेशा से अधिक सम्मान किया जाता रहा है । राजा महाराजाओ ने भी  उनके सम्मान में उन्हें बैठने के लिए हमेशा से उच्च आसन प्रदान किया है स्वयं नीचे बैठकर और उन्हें हमेशा अपने से उच्च आसन देकर उनका सम्मान किया है। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आज इसी भारतीय परंपरा का निर्वहन किया।वे यहां ग्राम जजंगिरी में रोहिणी गौशाला के शुभारंभ समारोह में शामिल होने पहुंचे थे तो वहां   संत समागम में शामिल होने पहुंचे  दूर दूर के प्रतिष्ठित संत महात्मा भी  उपस्थित थे।  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारतीय संस्कृति परंपराओं का निर्वहन करते हुए  साधु संतों के सम्मान में मंच पर बैठना स्वीकार नहीं किया और स्वयं साधु महात्माओ से नीचे आसन पर बैठकर  उन सभी महात्माओं का सम्मान किया। उनके इस निर्णय की हर तरफ तारीफ हो रही है और इसकी प्रशंसा की जा रही है। 

भारतीय संस्कृति, परंपराओं के नुकसान  के बारे में अभी चारों तरफ चर्चाएं हो रही हैं तथा इस पर प्रत्येक वर्ग के लोगों द्वारा की चिंता जाहिर की जा रही है। ऐसे में राज्य में मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख पद पर आसीन मुखिया के द्वारा भारतीय संस्कृति परंपरा और मान्यताओं के अनुरूप काम किया जाता है तो निश्चित रूप से सभी का दिल,मन गदगद हो जाता है। सभी में नया उत्साह दिखता है। दुर्ग जिले के ग्रामीण क्षेत्र जांजगिरी में भी आज करीब, करीब ऐसा ही नजारा नजर आया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां छत्तीसगढ़ राज्य की खुशहाली के लिए संतों महात्माओं से आशीर्वाद लिया।

मुख्यमंत्री सबके साथ बैंठें, सब की बात सुने, सब की बात सुनकर काम करें तो किसका मन गदगद नहीं हो जाएगा। ग्राम जजंगिरी में रोहिणी गौशाला के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जब पहुंचे तो उन्होंने आसन पर विराजित ना होकर संतों के सम्मान में नीचे बैठना उचित समझा। इस पर मौजूद संतों ने मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमेशा भारत में परंपरा रही है कि हमेशा से धर्मगुरु ऊपर विराजित होते हैं और राजा उनका सम्मान करते हुए नीचे स्थान ग्रहण करते हैं। मुख्यमंत्री ने यह परंपरा निभाई है हम उनकी नम्रता के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने श्री राधे निकुंज आश्रम में किए जाने वाले विभिन्न कार्यों के लिए संस्थान द्वारा किये गए आग्रह पर 50 लाख रुपये की राशि देने की घोषणा भी की। संतों ने इस मौके पर मुख्यमंत्री के गोधन न्याय योजना की विशेष तौर पर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि गौ माता के संरक्षण के लिए जो यह कार्य मुख्यमंत्री ने शुरू किया है वह प्रशंसनीय है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी भारतीय परंपरा में धर्म अर्थ काम और मोक्ष को जीवन का आधार कहा गया है इसकी सबसे पहली कड़ी अर्थ है। गोधन और कृषि तभी सुदृढ़ होगी जब अर्थ सुदृढ़ होगा। इस दृष्टि से यह गोधन न्याय योजना शुरू की गई। आज संत समागम में जो हृदय से प्रशंसा आपने की, उससे लगा कि योजना अर्थ की दृष्टि से तो सफल हुई ही है संतों का आशीर्वाद भी इसे मिल गया है।