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मजदूर नेता ने समझी मृत मजदूर के परिवार की पीड़ा, प्रवासी मजदूर के शव को उसके पैतृक गांव भिजवा कर पेश की मानवता की मिसाल

  दुर्ग, रायपुर। असल बात न्यूज।। घूम घूम कर मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट भरने वाले एक मजदूर और उसके परिवार की आर्थिक हालत क्या हो सक...

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दुर्ग, रायपुर।

असल बात न्यूज।।

घूम घूम कर मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट भरने वाले एक मजदूर और उसके परिवार की आर्थिक हालत क्या हो सकती हैं इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। ऐसे में उस मजदूर के साथ दुर्भाग्यपूर्ण कोई दुर्घटना हो जाए तो उसकी मदद करने बहुत ही कम लोग आगे आते नजर आते हैं। यहां दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बिहार से मजदूरी करने आए एक मजदूर की आकस्मिक मृत्यु हो गई। हालत यहां तक बन गई कि उस मजदूर के शव को उठाने तथा उसे उसके पैतृक गांव तक पहुंचाने में कोई आगे आने तैयार नहीं दिख रहा था । इसके लिए तात्कालिक तौर पर कोई तैयार नजर नहीं आ रहा था। मृतक के परिजन आर्थिक अक्षमता की वजह से  यहां पहुंचने में असमर्थ थे। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल को दुर्ग उनके कार्यकर्ताओं ने  इसके बारे में जानकारी दी तो उन्होंने तत्काल उस मृत मजदूर की मदद के लिए हाथ बढ़ाया जिसके बाद मृत मजदूर का शव उसके पैतृक गांव भिजवाया जा सका। ऐसी अनुकरणीय पहल और सहयोग निश्चित तौर पर मानवता की बड़ी मिसाल  है।

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कई बार परिस्थितियां ऐसी होती है कि छोटी सी मदद भी बहुत बड़ी होती है और वह कई पुण्य कार्यों से अधिक बड़ी बन जाती हैंi।  किसी मृत का शरीर पड़ा हो उसके अंतिम संस्कार के लिए अर्थभाव से जूझना पड़ रहा हो, परिवार के सदस्यों के पास अंतिम संस्कार का साधन जुटाने के लिए पैसे ना हो तो उस समय की गई मदद को हमारे शास्त्रों में भी कई पुण्य कार्यों से भी बड़ा माना गया  है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार के किसी गांव से वह मजदूरी यहां कमाने खाया था लेकिन उसकी अकस्मात मौत हो गई। रेलवे कैंपस में मौत हुई थी तो रेलवे प्रशासन ने औपचारिक कार्रवाई पूरी कर इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी। सामान्यता किसी भी मृत शरीर का अंतिम संस्कार भारतीय संस्कृति में उसके गांव में उसके परिजनों के द्वारा किए जाने की परंपरा  है। यदि परिजन हैं तो प्रशासन के द्वारा भी कोशिश की आती है कि उनका अंतिम संस्कार परिजनों  के ही हाथों हो। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि मृत मजदूर के शव को उसके घर तक कैसे भिजवाया जाए । बताया जाता है कि मृतक के परिजनों से बातचीत की गई तो उन्होंने आर्थिक दिक्कतों की वजह से यहां आने में  असमर्थता जताई।
एक मजदूर के परिजनों के असमर्थता , विवशता की बातें धीरे धीरे श्रम कल्याण से जुड़े लोगों कार्यकर्ताओं तक भी पहुंच गई। पुलिस प्रशासन के इस असमंजस के स्थिति की जानकारी छत्तीसगढ़ शासन में सन्निर्माण कर्मकार मंडल अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल को प्राप्त हुई। जिसपर उन्होंने पूरे मामले को बहुत गंभीरता से लिया। और उन्होंने पूरी सहृदयता का परिचय देते हुए  मृत शरीर को उसके गांव पहुंचाने के लिए तत्काल वाहन की व्यवस्था करवाई और अपने प्रतिनिधि के तौर पर कांग्रेस नेता अभिषेक बोरकर को भेजकर पूरी व्यवस्था करने को कहा। इस दौरान दुर्ग के स्थानीय युवा जनप्रतिनिधि भी मदद को आगे आ गए। 

 सन्नी अग्रवाल ने बताया कि उन्हें  घटना की जानकारी मिली। मृतक के परिजन कितने विवश है यह उन्हें समझ आया। इस पर उन्होंने इस श्रमिक परिवार की हर संभव मदद करने को कहा है। उन्होंने मृत शरीर को बिहार भिजवाने के लिए वाहन की व्यवस्था करवाई है। मजदूरों के कल्याण के विभाग के से जुड़े होने की वजह से वे एक मजदूर परिवार की पीड़ा को  अच्छे से समझते हैं।


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