00 राजनीतिक विशेषण भिलाई,दुर्ग। असल बात न्यूज।। 00 पॉलिटिकल संवाददाता यह सही है कि कार्यकर्ताओ में बेचैनी है, उनकी नजर अभी सिर्फ औ...
00 राजनीतिक विशेषण
भिलाई,दुर्ग।
असल बात न्यूज।।
00 पॉलिटिकल संवाददाता
यह सही है कि कार्यकर्ताओ में बेचैनी है, उनकी नजर अभी सिर्फ और सिर्फ स्थानीय निकाय के चुनाव की ओर लगी हुई है। कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि समय निकलता जा रहा है स्थानीय निकाय के चुनाव में देरी हो रही है, इसलिए उनमें बेचैनी बढ़ रही है। खास तौर पर कांग्रेसी खेमे में ऐसी बेचैनी अधिक है।इधर कार्यकर्ताओं की बेचैनी, उत्सुकता बढ़ रही है तो वहीं नगरपालिका जामुल और नगर निगम भिलाई चरोदा मे स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए कांग्रेसी खेमे में टिकट के दावेदारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। कार्यकर्ताओं को टिकट के लिए अपने नेताओं पर भरोसा है। ऐसे में जामुल और भिलाई तीन, चरोदा क्षेत्र के टिकट के दावेदारों की क्षेत्र के विधायक मंत्री गुरु रूद्र कुमार के बंगले में भी भीड़ बढ़ती जा रही है। फिलहाल कहा जा रहा है कि किसी भी कार्यकर्ता को टिकट के लिए अभी तक तो कोई आश्वासन नहीं मिला है। वैसे अभी स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए अधिकृत चुनाव कार्यक्रम की घोषणा तो नहीं हुई है लेकिन बंगले में भीड़ बढ़ती ही जा रही है।
दुर्ग जिले में भिलाई तीन, चरोदा नगर निगम, और नगर पालिका जामुल अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।इन क्षेत्रों का राजनीतिक कद लगातार बढ़ा है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का इन दोनों स्थानीय निकाय क्षेत्र से सीधे जुड़ाव है और उनका स्थाई निवास इसी क्षेत्र में है और यह भी कहा जा सकता है कि उनकी यहां के प्रत्येक छोटी बड़ी राजनीतिक गतिविधियों पर बारीक नजर जरूर होगी, इसलिए इन क्षेत्रों का स्वाभाविक तौर पर लगातार महत्व बढ़ता जा रहा है। और निश्चित तौर पर इन दोनों क्षेत्रों की राजनीतिक गतिविधियों की ओर पूरे प्रदेश की भी नजर लगी रही है।
नगर पालिका जामुल का क्षेत्र स्थानीय गांवो से बसा हुआ है। धीरे-धीरे यहां बाहर से आने वाले मजदूर भी बसते गए और यहां कई झुग्गी बस्तियां बस गई हैं जो कि श्रमिक बहुल हैं। इनमे से ज्यादातर श्रमिक आसपास के निजी उद्योगों में काम करते हैं और उद्योगों में चलने वाली हड़ताल, प्रदर्शन, आंदोलन में भी इन श्रमिकों की बड़ी भूमिका रही है।इस तरह से ये मजदूर सीधे तौर पर किसी राजनीतिक दल से जुड़े ना रहने के बावजूद भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं प्रदर्शन करते रहे हैं, जागरूक रहे हैं। इनकी अपने अधिकारों बस्ती, समाज के अधिकारों को लेकर जागरूकता सक्रियता रही है, इसी वजह से अभी टिकट मांगने वाले दावेदारों की जो लंबी लाइन है उसमें इस वर्ग से भी बहुत लोग शामिल हैं। चरोदा, भिलाई 3 नगर निगम क्षेत्र का भी कमोबेश यही हाल है। यहां की आबादी की अलग विशेषता है कि यहां नई-नई कई सारी कालोनियां विकसित होती गई हैं, और अब इस कॉलोनी के लोग प्रत्येक लोग राजनीतिक गतिविधियों को व्यापक तौर पर प्रभावित करने में सक्षम है। वहीं क्षेत्र में रेलवे कॉलोनी और बिजली कॉलोनी सालोंसाल पूर्व से बसी है, जहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। उन का अपना अलग प्रभाव है। कहा जाता है कि उस क्षेत्र से अलग रणनीति बनती है, राजनीतिक कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं जो कि आम लोगों को व्यापक तौर पर बहुत प्रभावित करते हैं। यहां विकसित कॉलोनियो में कई तरह की समस्याये अभी भी व्याप्त है। समय दर समय बीतता गया है, लेकिन यहां कई समस्याये जस की तस बनी हुई है। दोनों ही स्थानीय निकाय क्षेत्रों में आम लोगों की कई सारी मांगे हैं, समस्याएं हैं, जिसकी और जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं का बार-बार ध्यान आकर्षित कराया जाता रहा है। लेकिन उन समस्याओ के निराकरण के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
राजनीतिक शक्ति, हालात का विश्लेषण किया जाए तो यहां कभी भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व नजर आया है तो कभी कांग्रेस का दबदबा बना है। राजनीतिक मामले में कभी एकतरफा जैसी स्थिति नहीं रही है।
नगरपालिका जामुल में अभी अध्यक्ष पद कांग्रेस के पास था तो भिलाई 3 नगर निगम में महापौर भाजपा की है। नगरपालिका जामुल की कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हुए 6 महीने से अधिक समय बीत चुका है इसलिए वहां आगामी चुनाव को लेकर अधिक उत्सुकता और बेचैनी है। कांग्रेस से जुड़े टिकट के दावेदारों की उत्सुकता और बेचैनी इसलिए भी अधिक है क्योंकि उन्हें मालूम है कि कि प्रदेश में अभी उनकी पार्टी कांग्रेस की सरकार है, तो जल्दी चुनाव होने पर उनके लोगों की स्थानीय सरकार बनने पर उन्हें क्षेत्र में अधिक से अधिक काम करने का मौका मिल सकेगा। आमदा था इस वजह से जरूर प्रभावित रहेंगे। लोगों को समझ में आ सकता है कि सत्ताधारी दल के उम्मीदवारों को वोट देने क्षेत्र में विकास के कार्य अधिक तेज गति से हो सकते हैं। कहां जा रहा है कि इसी मुद्दे को लेकर मतदाताओं से वोट मांगने की भी मनस्थिति बन रही है।
फिलहाल तो इस पर माथापच्ची हो रही है कि किसे टिकट मिलेगी, कहां तक जोर लगाने से टिकट फाइनल हो सकती है। टिकट कौन दिला सकता है।इन सबके बीच पिछले तीन चार महीने से इन क्षेत्रों में राजनीतिक गतिविधियां भी लगातार तेज होती जा रही है। कांग्रेश के यहां छोटे-मोटे कई कार्यक्रमों के साथ भूमि विकास कार्यों के भूमि पूजन तथा लोकार्पण के कई बड़े कार्यक्रम हो चुके हैं जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित तमाम मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति रही है। इतने बड़े-बड़े नेताओं की उपस्थिति से निश्चित रूप से यहां कांग्रेसी खेमे में कार्यकर्ताओं का मनोबल और उत्साह बढ़ा है।पिछले महीने भर से जामुल और भिलाई तीन, चरोदा क्षेत्र में जो कार्यक्रम हुए हैं उसमें कार्यकर्ताओं ने जोरशोर से भारी शक्ति प्रदर्शन कर अपनी टिकट पक्की करने की कोशिश की है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के खेमे में अंदरूनी तौर पर तैयारियां की जा रही हैं। भाजपा के किसी प्रदेश स्तरीय वरिष्ठ नेता का यहां दौरा कार्यक्रम नहीं हुआ है।
चुनावी मुद्दे अभी ज्यादा नहीं उछल रहे हैं। सच भी है चुनाव की घोषणा होने के बाद मुद्दे उछलने लगेंगे। अभी तो बड़ा मुद्दा टिकट है। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों के टिकट के दावेदार टिकट हासिल करने के लिए उलझे हुए हैं। जैसी जानकारी मिली है उसके अनुसार जामुल और bhilai-3, चरोदा हर जगह प्रत्येक वार्ड में पार्षद पद की टिकट के लिए तीन तीन,चार चार दावेदार सामने आ रहे हैं। सभी अपने वार्ड में अपनी स्थिति काफी मजबूत तथा स्वयं को ही जीतने लायक में उम्मीदवार बता रहे हैं।
गुरु रूद्र कुमार अहिवारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं और राज्य में वरिष्ठ मत्री हैं तथा हजारों कार्यकर्ताओं से उनका सीधा जुड़ाव बना हुआ है तो अब टिकट मांगने के लिए उनके दरबार में कार्यकर्ताओं में भारी भीड़ जुट रही है। जामुल नगर पालिका और भिलाई चरोदा नगर निगम दोनों ही उनके विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। उनकी पारखी नजर , कार्यकर्ताओं की सक्रियता, समर्पण भावना, विश्वनीयता को भी टटोलती रही है। उनके ही निर्देशन पर कांग्रेस के द्वारा जामुल में संगठन को मजबूत बनाने के लिए तो बूथ और वार्ड स्तर पर स्थानीय कार्यकारिणी बनाई गई हैं।टिकट के दावेदारों को उन पर पूरा भरोसा है। लेकिन दिक्कत यही है कि एक एक वार्ड से टिकट के कई कई दावेदार हैं। मंत्री गुरु रुद्र कुमार को मालूम है कि टिकट के दावेदारों को उनसे बड़ी आस है। लेकिन वह अभी ऐसा कुछ भी करने से बच रहे हैं जिससे किसी को महसूस हो कि इसकी टिकट फाइनल की जा रही है। असल में सब कुछ संगठन के माध्यम से तय होना है। ऐसे में वे सार्वजनिक मंच से अपने उद्बोधन में वादों के कार्यकर्ताओं का नाम लेने से भी बच रहे हैं। ताकि इसका नाम छूट गया वह शिकायत ना करें लगे कि दूसरे का नाम क्यों लिया गया और उसका क्यों नहीं। निश्चित रूप से यह मुख्यमंत्री के प्रभाव क्षेत्र वाला राजनीतिक क्षेत्र है तो टिकट पर अंतिम मुहर उनके इशारे पर ही लगेगी। कांग्रेस में वैसे टिकट पर अंतिम फैसला संगठन के द्वारा ही लिया जाता है। फिलहाल, टिकट के दावेदार कार्यकर्ता हर जगह अपनी कोशिश में लगे हुए हैं। इसी से नेताओं के दरबार में हाजिरी लगाने कार्यकर्ताओं की भीड़ बढ़ती जा रही है।
..
................................
...............................
असल बात न्यूज़
खबरों की तह तक, सबसे सटीक , सबसे विश्वसनीय
सबसे तेज खबर, सबसे पहले आप तक
मानवीय मूल्यों के लिए समर्पित पत्रकारिता
................................
...................................