Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

मन मोह रहा है भिलाई तीन का बाजार

  भिलाई। असल बात न्यूज।। 0  विशेष संवाददाता   यहां के भिलाई तीन का बाजार हमारी अपनी संस्कृति के रंग में रंगा नजर आ रहा है। यहां त्यौहार की ख...

Also Read

 भिलाई।

असल बात न्यूज।।

0  विशेष संवाददाता

 यहां के भिलाई तीन का बाजार हमारी अपनी संस्कृति के रंग में रंगा नजर आ रहा है। यहां त्यौहार की खुशियां नजर आ रही है । उत्सव नजर आ रहा है। असल में त्यौहार के अवसर पर बाजारों में भीड़  काफी बढ़ जाती है, चहल पहल बढ़ जाती है। शोरगुल बढ़ जाता है। लेकिन संस्कृति, अपनी परंपराओं के रंग,मिठास का अभाव हो तो  कि कहीं न कहीं कुछ कमी जरूर महसूस होती है। यहां स्थानीय व्यवसायियों ने बाजार में अपनी स्थानीय संस्कृति के सुमधुर गीत,गाने बजाने की व्यवस्था की है जिससे यहां पहुंचने वाले ग्राहकों और आम लोगों का मन प्रसन्नता और उत्सव के रंग से भर उठता है।

दीपावली पर्व  देश के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। ऐसे पर्व हमारी संस्कृति परंपराओं व्यवस्थाओं को मजबूत बनाते हैं। सबको साथ जोड़ने का काम करते हैं। लेकिन भारतीय बाजार अब आधुनिक और चकाचौंध से भरपूर  होता जा रहा है। व्यवसाई ऐसे त्योहारों का इंतजार अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए करते हैं। ऐसे पर्व के दौरान व्यापारी, सामान बेचने, ग्राहकों को बहलाने फुसलाने और अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश में लगे रहते हैं। अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश में लगे रहने वाले व्यवसायियों को पर्व के दौरान ही कभी देख चिंता नजर नहीं आती। ऐसे में भिलाई 3 के व्यापारियों ने नई मिसाल पेश की है। यहां बाजार में हमारी अपनी संस्कृति के गीत संगीत को बजाने के लिए जगह जगह loudspeaker लगाया गया है। इसकी सुमधुर आवाज ग्राहकों के साथ आम लोगों का भी मन मोह रही है।

उत्सव हो, हमारे तीज त्योहार हो और गीत-संगीत ना हो इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती। लेकिन मुनाफा कमाने की कोशिशों में ही लगे रहने वाले व्यवसाई वर्ग अब इसकी उपेक्षा भी करने लगा है। बाजार में हमारी संस्कृति के गीत संगीत अब बहुत ही कम सुनाई देते हैं। क्योंकि व्यापारियों को लगता है कि इससे उनका मन भटकता है। व्यवसाय प्रभावित होता है। उनकी कमाई प्रभावित होती है। भिलाई 3 में व्यवसायियों ने जो प्रयोग किया है निश्चित रूप से उनका व्यापार इस से बढ़ रहा है। अपनी संस्कृति के गीतों के मीठे बोल लोगों को आकर्षित कर रहे है। यहां पहुंच कर लोगों को ऐसे गीत संगीत से अपनी संस्कृति परंपराओं की सोंधी महक सहज याद आने लगती है तथा वे उस से स्वयं को जुड़े हुए महसूस करते हैं।  स्वाभाविक है कि ऐसे में यहां दुकानों में भीड़ भी बढ़ रही है। रास्ते में आने जाने वाले लोग भी यहां दुकानों में रुक रहे हैं और खरीददारी कर रहे हैं। वास्तव में त्योहार में सिर्फ अधिक से अधिक पैसा कमा लेना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हम अपनी संस्कृति, परंपराओं, सामाजिकता को भुलाने में लगे रहेंगे तो ऐसे त्यौहार भी हमारी खुशियों में रंग भरने में असफल ही साबित होंगे। दूसरे स्थानों के सिर्फ मुनाफा कमाने की कोशिशों में लगे व्यापारियों को भिलाई तीन के बाजार से जरूर कुछ सीखना चाहिए। यह सच्चाई है कि सरकार लाख कोशिश कर ले, लेकिन संस्कृति और परंपराओं की ही बात नहीं है सभी चीजों के बारे में यही बात लागू होती है कि हम, आम जनता स्वयं सजग , जागरूक  नहीं होगी तब तक किसी भी चीज का संरक्षण संवर्धन मुश्किल ही होगा।



..

................................

...............................

असल बात न्यूज़

खबरों की तह तक, सबसे सटीक , सबसे विश्वसनीय

सबसे तेज खबर, सबसे पहले आप तक

मानवीय मूल्यों के लिए समर्पित पत्रकारिता

................................

...................................