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सांसद विजय बघेल भारतमाला परियोजना मे अधिग्रहित जमीन का एकसमान मुआवजा नहीं देने का मुद्दा उठाएंगे लोकसभा में, असमान मुआवजे से नाराज आक्रोशित किसानों ने सांसद श्री बघेल से की मुलाकात

  दुर्ग, भिलाई। असल बात न्यूज।। राजनांदगांव से आरंग तक भारतमाला परियोजना के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन का अलग-अलग विकास खंडों में अलग-अलग ...

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 दुर्ग, भिलाई।

असल बात न्यूज।।

राजनांदगांव से आरंग तक भारतमाला परियोजना के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन का अलग-अलग विकास खंडों में अलग-अलग मुआवजा देने से किसानों में आक्रोश भड़क गया है। ऐसे नाराज किसानों ने सांसद विजय बघेल जी से आज मुलाकात की है तथा उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया है। इन किसानों ने बताया है कि एक ही परियोजना के लिए प्रभावितों को अलग-अलग विकासखंड में अलग-अलग मुआवजा राशि दी जा रही है। कहीं दोगुना तो कहीं चार गुना मुवावजा राशि दी जा रही है। सांसद विजय बघेल ने कहा है कि वे इस मामले को लोकसभा के आगामी सत्र में रखेंगे। वे मामले में किसानों को न्याय दिलाने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भी लिख रहे हैं।

 भारतमाला परियोजना के तहत सिक्स लेन सड़क बनाई जा रही है जिससे दुर्ग जिले में टेडेसरा से लेकर पाटन विकासखंड के विभिन्न गांव के किसान प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित किसानों की शिकायत है कि इस योजना के तहत जहां जमीन अधिग्रहित की जा रही है उसमें आरंग राजन गांव और दुर्ग जिले के प्रभावित लोगों को सिर्फ 2 गुना मुआवजा दिया जा रहा है जबकि पाटन और अभनपुर विकासखंड में यह मुआवजा चार गुना दिया जा रहा है।

सांसद विजय बघेल से सर्व श्री मनोज साहू टीकम चंद्राकर के आर मारकंडेय, दीपक साहू वीरेंद्र चतुर्वेदी मनोहर लाल साहू कुमार सिंह साहू अशोक कुमार रूपेश साहू के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसानों ने मुलाकात की है। ये किसान दुर्ग जिले के धनोरा, खमरिया, पुरई, हनोदा, चंदखुरी, पीसेगांव, कोलिहापुरी उतई,उमरपोटी, करगाडीह इत्यादि गांव से जुड़े हुए हैं। नाराज किसानों का कहना है कि मुआवजे की राशि तय करने में उनके क्षेत्र का समुचित आकलन नहीं किया गया है।दुर्ग तहसील का मुआवजा अवार्ड 25 /2/2019 की तिथि मे गुणांक 1 के आधार पर बना दिया गया, जबकि गुणांक 1 वाले कानून को हाई कोर्ट 30/10/2018 को ही अवैध घोषित कर निरस्त कर चुकी थी। जो कानून 30/10/2018 को शून्य घोषित कर दिया गया, उसी के आधार पर भूअर्जन अधिकारी द्वारा मुआवजा निर्धारित किया गया जो अवैध है ।