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शरीर स्वस्थ तभी होगा जब मानसिक तौर पर रहेंगे स्वस्थ्य

  विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर विशेष 21 वी सदी में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कते बढ़ती जा रही है और तमाम शोध में यह पाया गया है कि...

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 विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर विशेष


21 वी सदी में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कते बढ़ती जा रही है और तमाम शोध में यह पाया गया है कि मानसिक तनाव की वजह से यह बीमारियां और अधिक बढ़ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि 2030 तक तनाव संबंधी बीमारियां संक्रामक रोगों से भी अधिक बढ़ जाएंगी। ऐसे में आवश्यकता है कि हम मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझें और उसके संरक्षण हेतु सजग व तत्पर हों।


        मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक रोगों का न होना ही नहीं है इसमें हमारी सांवेगिक, मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक सभी प्रकार की सेहत शामिल होती है। हमारी सोच, अनुभव और कार्य; सबको मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित करता है। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य व्यक्तियों को अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने में, तनावों से सामंजस्य बनाने में, उत्पादक कार्य करने में तथा समुदाय में सार्थक योगदान देने में सहायक होता है।


        मानसिक स्वास्थ्य जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। सफलता के जितने भी मानदंड हैं जैसेः आपके ग्रेड्स, जॉब, सामाजिक स्थिति; ये सब निरर्थक हैं यदि आपका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मान्यता है कि ‘बिना मानसिक स्वास्थ्य के कोई स्वास्थ्य नहीं है’। अगर हम शारीरिक रूप से बिलकुल फिट हों लेकिन हमारा मानसिक स्वास्थ्य ठीक न हो तो हमारा कोई मूल्य नहीं है। अतः आवश्यक है कि हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य की ही भांति मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करें।


        जीवन के दौर में यदि आप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करते हैं तो इससे आपका चिंतन, मनोदशा, व्यवहार सब कुछ प्रभावित होता है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं; जैसेः जैविक कारण, जीन्स या मस्तिष्क रसायन आदि। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण पारिवारिक इतिहास भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त बड़े कारण हैं जीवन के अनुभव; जैसेः तनाव, आघात, क्षति आदि।


        मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे व्यक्ति के चिंतन एवं कार्य व्यवहारों से अनेक प्राथमिक संकेत दिखाई देते हैं जैसेः बहुत अधिक या बहुत कम खाना; बहुत अधिक या बहुत कम सोना; एनर्जी की कमी महसूस करना; असहाय व निराश महसूस करना; खिन्न, परेशान, भयभीत व क्रोधित होना; अलग-थलग महसूस करना; परिवारजनों या मित्रजनों पर चिल्लाना या झगड़ा करना; मूड में उतार-चढ़ाव; सामान्य से अधिक धूम्रपान या मद्यपान करना या ड्रग्स का सेवन करना; दिमाग में कुछ स्मृतियों या विचारों का जम जाना जो चाह कर भी बाहर न किए जा सकें; आवाजें सुनाई देना या उन बातों पर विश्वास करना जो हकीकत में नही हैं; स्वयं या दूसरे को नुकसान पहुंचाने का विचार आना आदि।


        मानसिक स्वास्थ्य रक्षा के लिए इन संकेतों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है ताकि समय रहते सहायता प्रदान की जा सके। मानसिक स्वास्थ्य रक्षा के संबंध में दो दृष्टिकोण अपनाए जा सकते हैं –


1. दूसरों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा


2. स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा


        दूसरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हम तीन प्रकार के कार्य कर सकते हैं – समस्याओं की रोकथाम करना, संबल प्रदान करना और सहायता पहुंचाना।


        मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही उन्हें रोकना रोकथाम कहलाता है। रोकथाम सदैव उपचार से बेहतर होती है। इसके लिए कई तरह के कार्य किए जा सकते हैं; जैसेः मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, ‘सभी के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य’ विषय पर गोष्ठी आयोजित करना, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के संबंध में एंटी स्टिग्मा अभियान चलाना, मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता कार्यक्रम चलाना आदि। इस प्रकार के कार्यक्रमों को करके हम जन साधारण में जागरूकता उत्पन्न कर सकते हैं और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के उपाय सुझा कर उन्हें प्रेरित भी कर सकते हैं।


        इसके अतिरिक्त मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को सहारा देना और इन समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों की सहायता करना भी दूसरों के मानसिक स्वास्थ्य रक्षा की दिशा में किए जाने वाले कार्य हैं। समस्या गंभीर होने की दशा में प्रोफेशनल मदद आवश्यक है।


        मानसिक स्वास्थ्य रक्षा के संबंध में दूसरा दृष्टिकोण है ‘स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा’। स्वयं पर ध्यान न देना अधिकांश लोगों में देखा जाता है। जब तक मानसिक समस्याओं के शारीरिक लक्षण नहीं दिखने लगते तब तक हम उन पर ध्यान नहीं देते, लेकिन ऐसे अनेक कार्य हैं जो विज्ञान आधारित हैं, जिन्हें करके हम अपने मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं और उसे बेहतर भी बना सकते हैं। ये कार्य हैं –


लोगों से जुड़ें


        अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य का दुश्मन है। यह आधुनिक जीवन का सबसे बड़ा ‘रिस्क फैक्टर’ है। इसे ‘न्यू स्मोकिंग’ कहा जाता है। टेक्नोलोजी के इस युग में हम पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं लेकिन अपनों से दूर भी हो गए हैं। आपसी संबंध अकेलेपन से सुरक्षा देते हैं और दूसरों से जुड़ाव के भाव को बढ़ाते हैं। जीवन की खुशियों और कठिनाइयों को साझा करने के लिए हमें साथ की जरूरत होती है। अतः बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों का साथ बनाए रखिए।


सकारात्मक बनें


        सिक्के के दो पहलुओं की तरह जीवन में प्रत्येक चीज के दो पक्ष होते हैं – अच्छा-बुरा, सकारात्मक-नकारात्मक। हम प्रयास करें कि हर चीज में छुपी हुई अच्छाई को देखें। सकारात्मक नजरिया मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है।


सक्रिय रहें


        सक्रियता शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखती है। शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। साथ ही कार्यों में व्यस्त रहने से हमें निरर्थक चीजों के बारे में सोचने का समय नहीं मिलता और मन स्वस्थ बना रहता है।


ना कहना सीखें


        कई बार हम केवल संकोच में अथवा अच्छा बनने के प्रयास में कामों का बोझ अपने ऊपर लाद लेते हैं। प्रायः दूसरों के काम को भी हम मना नहीं कर पाते और ढेर सारी जिम्मेदारी ओढ़ लेते हैं। परिणामस्वरूप हम तनाव का शिकार बनते हैं। जरूरी है कि हम अपनी सीमाओं को देखकर ही दूसरों की जिम्मेदारी को स्वीकारें अन्यथा विनम्रता से ना कहना सीखें।


परफेक्ट बनने का विचार त्यागें


        हर काम करने का सबका अलग-अलग तरीका होता है। सदैव परफेक्ट बनने का आपका विचार आपको गहरे तनाव में डाल सकता है। परफेक्शन के लिए लगातार दबावपूर्ण वातावरण में कार्य करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिमभरा होता है।


स्वयं का ध्यान रखें


        भरपूर नींद, पौष्टिक भोजन, व्यायाम, योग, प्राणायाम व ध्यान से आप अपनी शारीरिक व मानसिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।


मस्ती करें


        हास्य एक अत्यंत प्रभावशाली सुरक्षात्मक कारक है। यह पीड़ा, रोग आदि से उबरने में भी मदद करता है। जीवन में अत्यधिक गंभीर होने पर हम रूक्ष, अमैत्रीपूर्ण और अति आलोचक हो जाते हैं। मस्त एवं प्रसन्नचित्त रहकर हम तनाव को दूर कर सकते हैं।


प्रतिदिन विराम लें


        प्रतिदिन के कार्य के बीच में छोटे विराम की अवधि निकालें जिसमें आप पूर्णतः कुछ ऐसा करें जो आपके मन, शरीर और आत्मा को ऊर्जा दे। गाना गाएं, तेजी से टहलें, गहरी सांसें लें, कुछ भी करें जो आपको तरोताजा करे।


दूसरों की मदद करें


        समाज में जो व्यक्ति जरूरतमंद हैं उनकी सहायता अपनी सामर्थ्य के अनुसार अवश्य करें। आपके कार्य से दूसरों को खुशी मिलने से जो मानसिक संतुष्टि मिलती है वह मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायक होती है।


भौतिकवाद से बचें


        हम दूसरों को देखकर या लुभावने विज्ञापनों से आकर्षित होकर या अपने स्टेटस को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की चीजों का संग्रह करते हैं और अनावश्यक वस्तुओं पर धन व्यय करते हैं। इस तरह हम अपने जीवन को ‘गुड्स लाइफ’ बना लेते हैं। लेकिन हम अपने जीवन को ‘गुड्स लाइफ’ से ‘गुड लाइफ’ बना सकते हैं बशर्ते हम अपना समय व धन उन चीजों पर व्यय करें जो दीर्घकालिक हों, जैसेः संबंध बनाना।


समस्याओं का सामना करने का कौशल विकसित करें


        जीवन की कठिनाइयों व तनावों का सामना करने एवं उनसे कुशलतापूर्वक निपटने की कला अपने अंदर विकसित करना आवश्यक है। यह कला हमें प्रत्येक परिस्थिति से सामंजस्य बैठाने और उबरने में सहायता देती है और हमें तनावों से बचाती है।


        उपर्युक्त उपायों से हम अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल और संरक्षण कर सकते हैं और किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या के उत्पन्न होने से पूर्व ही उसकी रोकथाम कर सकते हैं क्योंकि ‘वन औंस ऑफ प्रीवेंशन इज वर्थ ए पाउंड ऑफ क्योर’।




Monika Sahu

Counseling and Rehabilitation Psychologist and Special Educator