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छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा देने से राज्य के किसानों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। जांजगीर-चांपा जिले के 7 हजार 397 तालाबों तथा 86 जलाशयों में मत्स्यपालन किया जा रहा है, जो हजारों लोगों के लिए आमदनी का माध्यम बना है। जिले के 6 हजार 500 मत्स्य पालक इस व्यवसाय से जुड़कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। जिले के मत्स्य पालकों को विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इससे वे आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। जल संग्रहण संरचनाओं के निर्माण से एक ओर जहां लोगों को रोजगार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों को अपनी फसल के लिए सिंचाई सुविधा भी मिल रही है।
    जांजगीर-चांपा जिले में कृषि के साथ-साथ तालाबों और जलाशयों में बड़ी संख्या में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। जिले के 7 हजार 682 ग्रामीण तालाब जिनका जलक्षेत्र 10 हजार 442 हेक्टेयर है, जिसमें से 7 हजार 397 ग्रामीण तालाब (जलक्षेत्र 10 हजार 306 हेक्टेयर) में मछली पालन किया जा रहा है। जिले में सिंचाई जलाशय 86 (जलक्षेत्र 1 हजार 659 हेक्टेयर) में मत्स्य पालन का कार्य भी किया जा रहा है।
      मछली बीज उत्पादन एवं संचयन के लिए जिले में 03 हैचरी एवं 06 शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र स्थापित है। शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों से मत्स्य पालकों को रियायती शासकीय दर पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराई जाती है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में जिले को 1550 लाख स्पॉन मत्स्य बीज का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। जिसके विरूद्ध 1556 लाख स्पान मत्स्य बीज का उत्पादन किया जा चुका है। स्टैंडर्ड फ्राई (मत्स्य अंगुलिका) के 300 लाख का लक्ष्य प्राप्त हुआ था, जिसके विरुद्ध 80 हजार स्टैंडर्ड फ्राई (मत्स्य अंगुलिका) का उत्पादन किया गया है।