Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Olympic में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने अपनी तैयारियों के दौरान क्या कहा था, जानिए

    भाला फेंक कर Olympic में स्वर्ण आईआईआईपदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा पर पूरे भारत वासियों को गर्व है। उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान  कहा ...

Also Read

 

 भाला फेंक कर Olympic में स्वर्ण आईआईआईपदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा पर पूरे भारत वासियों को गर्व है। उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान  कहा था-   जब प्रशिक्षण अच्छा होता है तो मैं सकारात्मक और प्रेरित रहता हूं।  



नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। 
असल बात न्यूज़।।

0  विशेष संवाददाता 

धैर्य और विश्वास और एकाग्रता के साथ बिना किसी चीख चिल्लाहट के शानदार प्रदर्शन, और नीरज चोपड़ा ने भारत को javelin throw में स्वर्ण पदक दिलाया है। उनके कठिन उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के दौरान वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के फैलाव का अत्यंत कठिन, भयावह दौर चल रहा था। प्रतिदिन हजारों लोगों के मौत हो जा रही थी।कई अपने, परिजन भी चले जा रहे थे। ऐसी खबरें दिल को तोड़ देने झकझोर देने वाली होती थी। नीरज चोपड़ा बताते हैं प्रशिक्षण के दौरान एकाग्रता लाने के लिए उन्होंने खबरों को पढ़ना बंद कर दिया। टेलीविजन देखना बंद कर दिया। यह अत्यंत दुखद था कि कुछ राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे और एक, दो के विधान की खबर भी मिली थी।  अत्यंत कठिन चुनौतियां थी और इसमें सफलता हासिल करने के लिए मन को एकाग्र, केंद्रित करना  जरूरी था।उनकी बेहतर तैयारी 90 मीटर के करीब पहुंचने के लिए  हो रही है, लेकिन उनका मानना था कि गया सब कुछ निश्चित रूप से, उस दिन पर निर्भर करेगा कि टोक्यो में डी-डे पर क्या होता है।

वैश्विक महामारी कोरोना का कहर ऐसा था कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में दहशत थी। हर आदमी  आशंकित था कि कब किसके साथ क्या हो जाएगा।लोगों को घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जा रहा था। परिवार के लोग भी नहीं चाहते थे कि उनका कोई सदस्य घर से बाहर निकले। लेकिन वे ओलंपिक खेल के लिए क्वालीफाई  थे और जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को ऐसे अत्यंत कठिन चुनौतियों के बावजूद,उस समय अपने पहले ओलंपिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना था है। कोरोना संकट की वजह से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं नहीं हो रही थी। एक अच्छे खिलाड़ी को बेहतर प्रशिक्षण के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर  की प्रतियोगिताओं के भी अपना बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जरूरत होती है। तथा ऐसी प्रतियोगिताएं नहीं होने से इसकी कमी राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक को आहत करती है। लेकिन स्थितियां विपरीत थी हम सब बेहतर अवसर की तलाश में थे।

ओलंपिक गेम के पहले अपने प्रशिक्षण के दौरान नीरज चोपड़ा ने भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक मीडिया सम्मेलन में कहा, "मेरा सबसे अधिक ध्यान मेरे खेल को बेहतर बनाने पर  है और अनिश्चित समय के बीच कड़ी मेहनत कर रहा हूं।" "अगर मैं अच्छी तरह से प्रशिक्षण ले रहा हूं, तो मैं स्वचालित रूप से सकारात्मक रह सकता हूं और खुद को प्रेरित कर सकता हूं। मैं अपनी रिकवरी और डाइट पर भी ध्यान देता हूं। बेशक, हमारे देश में फैले कोविड-19 की खबरें मन को प्रभावित करती हैं लेकिन मैंने अब समाचार देखना और पढ़ना बंद कर दिया है। मैं ओलम्पिक की तैयारी पर पूरा ध्यान लगा रहा हूं।"
उनको लग रहा था कि  कोविड-19 संबंधित यात्रा प्रतिबंधों ने उनके लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना कठिन बना दिया है। इस बार वे पहली बार ओलंपिक गेम कााा हिस्सा बना थे और उन्हें लग रहा था कि इस पहले ओलंपिक से पहले उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता की जरूरत है। आत्मविश्वास का स्तर 100 प्रतिशत होना चाहिए," नीरज चोपड़ा ने कहा, "मैं पटियाला में अच्छी तरह से प्रशिक्षण ले रहा हूं लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हमेशा एक अतिरिक्त लाभ देती  है। मैंने अपनी टीम के साथ बात की है और स्वीडन या फ़िनलैंड को हमारे प्रशिक्षण आधार के रूप में चुना है। वहां प्रतिस्पर्धी स्तर बेहतर है।"


 

नीरज को मालूम था कि  उसे टोक्यो में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा लेकिन वह इसके लिए अच्छी तरह से तैयार हो रहा था । नीरज के पास यह भी जानकारी थी कि दुनिया में भाला फेंकने वालों का वर्तमान समूह सबसे अच्छा है। उनमें से प्रत्येक 87 या 88 मीटर से ऊपर फेंक रहे हैं। ऐसे में उन्हेंहें लगता  कि प्रशिक्षण के दौरान वे जितनीीी दूरी तक जेवलिन थ्रो कर रहेे हैं वह दूरी कुछ प्रयासो सेेेेेे उसे भी से और बढ़ा सकते हैं।  उन्हें अपनी निरंतरता अब तक ठीक लग रही थी । वे 85 मीटर से ऊपर थ्रो करने लगे थे।दूसरा कौन है प्रशिक्षण मिल रहा था और जो उनकी नियमित दूरी बन गई थी उन्हहें लगने लगा था  कि उनके प्रशिक्षण ने उन्हें 90 मीटर फेंकने के करीब ला दिया है।उनकी तैयारी 90 मीटर के करीब पहुंचने के लिए बेहतर हो रही है, लेकिन तब भी उन्हें लगता था कि निश्चित रूप से, यह निर्भर करेगा कि टोक्यो में डी-डे पर क्या होता है। नीरज में स्वर्ण पदक जीत लिया है लेकिन प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने अपनी निरंतरता को बनाए रखने में  कहीं कमी नहीं होने दी।इससे निश्चित रूप से युवा खिलाड़ियों को सीख लेने की जरूरत है।


प्रशिक्षण के दौरान नीरज चोपड़ा कहते थे“मुझे खुशी है कि लोगों को मुझसे बहुत उम्मीदें हैं। लेकिन मुझे इसे दबाव के रूप में नहीं लेना चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं सोचना चाहिए जो मेरे दिमाग को प्रभावित करे। मुझे नहीं पता कि मैं पदक जीतूंगा या नहीं लेकिन मैं अपने प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। प्रतियोगिता के दौरान मेरा शरीर अपने आप एक अलग क्षेत्र में चला जाता है और मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की ताकत मिलती है, ”नीरज चोपड़ा ने कहा। 
उन्हें नवंबर 2018 में लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना में शामिल किया गया था।

 

हम आपको यह याद दिला दें कि covid-19 महामारी के प्रकोप के कारण, देश भर के सभी SAI केंद्रों में विभिन्न SAI खेल प्रचार योजनाओं के तहत आयोजित किए जा रहे सभी पारंपरिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और भारतीय एथलीटों के विदेशी प्रशिक्षण पर भी रोक लगा दी गई थी। इन कठिन समय में उनका मनोबल बढ़ाने और उन्हें प्रेरित रखने के लिए एथलीटों के साथ नियमित बातचीत की गई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, सोशल मीडिया जैसे फेसबुक लाइव, इंस्टाग्राम लाइव आदि के माध्यम से खेल मनोविज्ञान, खेल विज्ञान / चिकित्सा, COVID 19 में पोषण, शक्ति और कंडीशनिंग, उच्च प्रदर्शन खेल वातावरण, डोपिंग रोधी विशेषज्ञों द्वारा सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। कठिन समय के दौरान तनाव और अवसाद से निपटने के तरीके के बारे में एथलीटों को शिक्षित करना और अपने उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना ताकि प्रशिक्षण में बाधा न आए के जैसे उपाय किए गए थे।