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Breaking news,चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक फैसला, स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल/ डेंटल कोर्स में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को10 प्रतिशत आरक्षण

  वर्तमान शैक्षणिक वर्ष2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल/ डेंटल कोर्स (एमबीबीएस/ एमडी/ एमएस/ डिप्लोमा/ बीडीएस/ एमडीएस) के लिए अखिल भार...

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वर्तमान शैक्षणिक वर्ष2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल/ डेंटल कोर्स (एमबीबीएस/ एमडी/ एमएस/ डिप्लोमा/ बीडीएस/ एमडीएस) के लिए अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) योजना में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा

इससे लगभग 5,550 विद्यार्थी लाभान्वित होंगे



नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ । असल बात न्यूज़।

शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल/डेंटल कोर्स (एमबीबीएस/एमडी/ एमएस/डिप्लोमा/बीडीएस/एमडीएस) के लिए अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) योजना में ओबीसी को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज यह  ऐतिहासिक फैसला लिया है।


इस फैसले से हर साल लगभग 1500 ओबीसी विद्यार्थियों को एमबीबीएस में और 2500 ओबीसी विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर में तथा 550 ईडब्ल्यूएस विद्यार्थियों को एमबीबीएस में और लगभग 1000 ईडब्ल्यूएस विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर में लाभ मिलेगा।

माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहतकिसी राज्य में स्थित अच्छे मेडिकल कॉलेज में अध्ययन के इच्छुक किसी भी राज्य के विद्यार्थियों को निवास स्थान की शर्त से मुक्त योग्यता आधारित अवसर उपलब्ध कराने के लिए 1986 में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) योजना पेश की गई थी। अखिल भारतीय कोटे में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल उपलब्ध यूजी सीटों में से 15 प्रतिशत और कुल उपलब्ध पीजी सीटों में से 50 प्रतिशत शामिल होती हैं। पहले, 2007 तक एआईक्यू योजना में कोई आरक्षण नहीं होता था। 2007 मेंमाननीय उच्चतम न्यायालय ने एआईक्यू योजना में एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण पेश किया था। जब ओबीसी को एक समान 27 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए 2007 में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम प्रभावी हुआतो उसे सफदरजंग अस्पताललेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेजअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आदि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में भी लागू कर दिया गया। हालांकि इसे राज्य मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एआईक्यू सीटों पर लागू नहीं किया गया था।

वर्तमान सरकार ने पिछड़े वर्ग के साथ ईडब्ल्यूएस श्रेणी दोनों को उपयुक्त आरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध जताई है। केन्द्र सरकार ने अब एआईक्यू योजना में ओबीसी को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। देश भर के ओबीसी विद्यार्थी अब किसी भी राज्य में सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए एआईक्यू योजना में आरक्षण का लाभ लेने में सक्षम हो जाएंगे। एक केंद्रीय योजना होने के कारणइस आरक्षण के लिए ओबीसी की केंद्रीय सूची का इस्तेमाल किया जाएगा। इस आरक्षण से एमबीबीएस में 1500 और स्नातकोत्तर में 2500 ओबीसी विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।

उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित विद्यार्थियों को लाभदेने के क्रम में, 2019 में एक संवैधानिक संशोधन किया गया थाजिससे ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान संभव हुआ था। इस क्रम मेंअतिरिक्त 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण को समायोजित करने के लिए 2019-20 और 2020-21 के दौरान दो साल में मेडिकल/ डेंटल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ा दी गईजिससे अनारक्षित श्रेणी के लिए उपलब्ध सीटों की कुल संख्या में कमी न आए। हालांकिएआईक्यू सीटों में अभी तक यह लाभ नहीं दिया गया है।

इसे देखते हुए वर्तमान शैक्षणिक वर्ष2021-22 से सभी स्नातक/स्नातकोत्तर मेडिकल/डेंटल कोर्सों में एआईक्यू सीटों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण के साथईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इससे एमबीबीसी के लिए 550 से ज्यादा ईडब्ल्यूएस विद्यार्थी और पीजी मेडिकल कोर्सों के लिए लगभग 1000 ईडब्ल्यूएस विद्यार्थी हर साल लाभान्वित होंगे।

यह फैसला 2014 के बाद चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में हुए प्रमुख सुधारों के अनुरूप भी हैं। पिछले छह साल के दौरानदेश में एमबीबीएस की सीटें 2014 की 54,348 से 56 प्रतिशत बढ़कर 2020 में 84,649 और पीजी सीटों की संख्या 2014 की 30,191 से 80 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 54,275 हो गई है। इसी अवधि के दौरान, 179 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की गई और अब देश में 558 (सरकारी: 289, निजी : 269) मेडिकल कॉलेज हैं।