रासायनिक उर्वरकों से भूमि की उर्वरा शक्ति हो रही कम, उत्पाद हो रहे विषैले
समस्याओं के निदान के लिए राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है सरकार

 

रायपुर । असल बात न्यूज़।

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वे अपने खेतों में अधिक से अधिक वर्मी एवं सुपर कंपोस्ट उपयोग करें, ताकि भावी पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण किया जा सके। उन्होंने कहा है कि वे एक किसान की हैसियत से यह अपील कर रहे हैं।  
    श्री बघेल ने किसानों के नाम अपने संदेश में कहा है कि रासायनिक उर्वरकों की दिनों-दिन बढ़ती कीमत से कृषि लागत बढ़ती जा रही है। लागत की तुलना में लाभ कम होता जा रहा है। रासायनिक उर्वरकों एवं पेस्टीसाइड्स के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही, वहीं कृषि उत्पाद में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ रही है। जिसका दुष्प्रभाव लोगों की सेहत और पर्यावरण पर पड़ रहा है। इन समस्याओं के निदान के उद्देश्य से हम छत्तीसगढ़ राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट बना रही हैं।
    मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट के विक्रय की व्यवस्था सोसायटियों के माध्यम से की गई है। किसान को वर्मी कम्पोस्ट मात्र 10 रूपए किलो और सुपर कम्पोस्ट 6 रूपए किलो की दर से उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा है - ष्मैं यह भी बताना चाहता हूं कि देश की एक प्रतिष्ठित कम्पनी द्वारा वर्मी कम्पोस्ट खाद 64 रूपए किलो में बेची जा रही है। इसकी तुलना में हम किसान भाईयों को 6 से 10 गुना कम कीमत में उच्च क्वालिटी की खाद उपलब्ध करा रहे हैं।
    मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने संदेश में कहा है- वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। फसल उत्पादन बेहतर होता है। खेती की लागत में कमी आती है। इनके उपयोग से मिट्टी की जलधारण क्षमता में सुधार होने के साथ ही मृदा क्षरण रूकता है। जैविक खाद से उत्पादित खाद्यान्न, फल एवं सब्जियों की पौष्टिकता एवं गुणवत्ता बेहतर होती है। जैविक उत्पादों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को लाभ होता है। यह खाद भूमि से पोषक तत्वों की हानि को रोकती है। वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट के उपयोग से फसलों में कीट-व्याधि का प्रकोप कम होता है।