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स्वरूपानंद महाविद्यालय में सर्टिफिकेट कोर्स ‘बी द बी ’ संपन्न

  भिलाई । असल बात न्यूज़। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के अेंग्रजी विभाग द्वारा अठारह दिवसीय निशुल्क  सॉफ़्ट स्किल डेवलपमेंट  ...

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भिलाई । असल बात न्यूज़।

स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के अेंग्रजी विभाग द्वारा अठारह दिवसीय निशुल्क  सॉफ़्ट स्किल डेवलपमेंट  सर्टिफिकेट कोर्स ‘बी द बी ’ संपन्न हुआ। 

कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने बताया कि ‘बी द बी ’ का उद्देश्य विद्यार्थी अपने अंदर वर्तमान परिपेक्ष्य में सफलता की कुजी का योग्य पात्र केवल वही हो सकता है जिसके पास बेहतर संवाद कौषल है। इसी उद्देष्य की प्राप्ति के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया ताकी विद्यार्थी अपने सकारात्मक पहलुओ को जान सके और उसमें सुधार एवं विकास कर सकंे, उसे अपने निजी जीवन एवं व्यावसायिक जीवन में इसका पालन कर सकें तथा जीवन में आने वाले परेशानीयों का सामना कर सकें। 

महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. दीपक शर्मा ने विभाग की सराहना करते हुये कहा महाविद्यालय में बहुत से विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम से आते है जिन्हें अंग्रेजी बोलने में झिझक होती है इस प्रकार के प्रयास से विद्यार्थियों मे आत्मविश्वास जागृत होता है जो उनके व्यक्तित्व विकास के लिये आवष्यक है। 

  महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ हँसा शुक्ला ने कहा कि साफ्ट स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्स माध्यम से विद्यार्थियों मे संप्रेशण कौशल का विकास होगा जिससे उनमे आत्मविश्वास, आत्म नियंत्रण, अनुशासन, नेतृत्व क्षमता  के गुण स्वतः विकासित होंगे। जिससे विद्यार्थी अपने विचारो को आत्मविश्वास के साथ प्रेषित कर सकें तथा केम्पस प्लेसमेंट यह कोर्स मील का पत्थर साबित होगा।

षिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष एवं उप प्राचार्य डाॅ. अज़रा हुसैन ने इस कार्यक्रम के लिये अंग्रजी विभाग को शुभकामनाएं दी।

     सटिफिकेट कोर्स के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ अरुणा पल्टा माननीय कुलपति, हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी ने बताया की सॉफ़्ट स्किल एक व्यापक क्षेत्र है जिसमे सम्प्रेषण कौशल, श्रवण ,कौशल, टीम कौशल , सृजनात्मकता और तर्कसंगती, समस्या निवारण कौशल तथा परिवर्तनशीलता आदी सम्मिलित है। शीर्षक ‘बी द बी’ की सराहना करते हुए मननीया कुलपति ने उसमे निहित कहानी को विद्यार्थियो के साथ साझा किया तथा  कहानी के सार को समझाते हुए बताया की जैसे मक्खी को केवल गन्दगी ही दिखती है और ये नकारत्मक्ता का प्रतीक है। उसी तरह  मधुमक्खी को केवल फूल दिखते है और वो उससे शहद बना लेती है और ये उसकी सकारत्मक होने का प्रतीक है। उसी तरह हमे भी अपने सारात्माक पक्षों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। हमे मधुमक्खी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिये।

कार्यक्रम प्रभारी श्रीमती संयुक्ता पाढ़ी ने विभिन्न सत्रो मे अपने प्रेसेंटेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया कि कैसे आत्म निर्भर हो कर चुनौतियो का सामना किया जा सकता है, कार्य स्थल पर तथा निजी जीवन में आत्म नियंत्रण, अनुशासन तथा सच्चाई एवं सौहार्द्र का क्या महत्व है, स्वअभिप्रेरित होना, सीखने की ललक होना तथा नेतृत्व कौशल का विकास कैसे किया जा सकता है इन सभी कौशलो को समझाने के लिये उन्होने डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम, अल्र्बट आईंसटाइन, न्यूटन, एलेक्जेंडर ग्राहमबेल, सुधा चंद्रन इत्यादि का जीवंत उदाहरण दिया तथा संक्षिप्त कहानियो/लोकोक्तियो/कहावतो के द्वारा अपने प्रत्येक व्याखानो को सवादात्मक तथा प्रभावकारी बनाया। 

कार्यशाला में विशय विषेशज्ञ के रूप में डाॅ. तापस मुखर्जी प्राध्यापक अंग्रेजी शासकीय महाविद्यालय बोरी ने आत्मानुशासन, सहानुभूति, विचारों की गहराई आलोचनात्मक चिंतन, रचनात्मक लेखन कौशल आदि के बारे में बताया जैसे एक अच्छा तैराक बिना पानी में उतरे तैरना नही सीख सकता वैसे ही साफ्ट स्किल को भी दैनिक जीवन में निरंतर अभ्यास करते-करते ही आत्मसात् किया जा सकता है। 

डाॅ. शीला विजय स.प्रा. अंग्रेजी डाॅ. खूबचंद बघेल शासकीय महाद्यिालय भिलाई -3, ने नेतृत्व, कौशल, समूह कार्य, अभिव्यक्ति, समस्या निवारण कौशल, कार्य की नैतिकता के बारे में जानकारी देते हुए बताया वर्तमान समय में साफ्ट स्किल्स का महत्व उतना ही है जितना पाठ्यक्रम का।

 डाॅ. सुजाता कोले स.प्रा. अेंग्रजी सेंट थामस महाविद्यालय भिलाई ने स्वनिर्देशन, गूमिंग कार्य में नैतिकता व अच्छाई, पर अपने व्याख्यान में बताया वर्तमान समय में विद्यार्थियों को जानना आवश्यक है जब हम कार्य स्थल पर जाते है तब हमारे अंदर इन साफ्ट स्किल का होना अत्यंत आवश्यक है तभी हमारा प्रर्दशन उत्तम होगा, इसके साथ ही हमे तकनीकी ज्ञान भी होना आवष्यक है। उन्होने बताया की साफ्ट स्किल का होना ही पर्याप्त नही है बल्कि सही समय पर उसका प्रर्दशन करना अनिवार्य है।

डाॅ. नीलम गांधी स.प्रा. वाणिज्य सेंट थामस महाविद्यालय ने आत्मविष्वास, के महत्व को विभिन्न उदाहरणो के द्वारा समझाया। उन्होने पर्वतारोही अरूणिमा सिन्हा, धीरूभाई अंबानी, सुधाचंद्रन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियो में आत्मविष्वास का संचार किया। उन्होने कहा कि कभी-कभी गुच्छे की आखरी चाबी से ताला खुल जाता है। इसी तरह से लगातार कोषिष करते रहने सफलता मिलती ही है।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने अपने आतिथ्य उद्बोधन में कहा कि इस प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स विद्यार्थियों के लिये बहुत लाभप्रद होते है। विशेषतः वे विद्यार्थी जो हिन्दी माध्यम के है उसके लिये यह बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। कार्यक्रम की उन्मुक्त ह्रदय से सराहना करते हुए श्री श्रीवास्तव ने उसके सार्थकता के बारे बताया व कहा इससे विद्यार्थी नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर उन्मुख होगें कार्यक्रम में विद्वतजन व्याख्याताओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ा दिया है। विद्यार्थियों के प्रतिपुष्ठि से यह स्पश्ट है इस सर्टिफिकेट कोर्स से वे निश्चित रूप से लाभान्वित हुए है और आगे भी ऐसे सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन होते रहना चाहिए।

सर्टिफिकेट कोर्स की संयोजिका श्रीमती संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने बताया कि 148 विद्यार्थियों ने पंजीकरण करवाया, सर्टिफिकेट कोर्स के दौरान प्रत्येक सत्र के अंत मे दी जाने वाली असाईंमेट को विद्यार्थियो ने सक्रियता से संपन्न किया जिससे यह कार्यक्रम अंत्यंत प्रभावी एवं संतोषजनक रहा। 

छात्रा कृती गुप्ता,  बीएससी -प्रथम वर्ष ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। 

तकनिकी विशेषज्ञ जानकी जन्घेल सहायक प्राध्यापक गणित तथा सुपर्णा भक्ता सहायक प्राध्यापक गणित सहयोग से कार्यक्रम का समापन सुचारू रुप से हुआ। कार्यक्रम मे महाविद्यालय के सभी विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।