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ढाई साल में छत्तीसगढ़ में विकास ठहर गया है, प्राथमिक सुविधाओं के काम, नौकरी में भर्ती, सब ठप - डॉ रमन सिंह

  रायपुर। असल बात न्यूज़। वरिष्ठ सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2021 22 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की अनुदान ...

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 रायपुर। असल बात न्यूज़।

वरिष्ठ सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2021 22 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की अनुदान मांगों की चर्चा पर बोलते हुए आज  कहा है कि छत्तीसगढ़ में पिछले ढाई साल में विकास ठहर गया है। शिक्षित युवाओं की  कहीं किसी नौकरी में भर्ती नहीं हो रही है। मूलभूत सुविधाओं के काम कहीं भी नहीं चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य पर  लगातार कद बढ़ता जा रहा है और अभी यह कर्जा  बढ़कर 76 हजार करोड़ रुपए का से अधिक का कर्ज हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कारणों से वे छत्तीसगढ़ राज्य के अनुदान मांगों का विरोध करते हैं।

वरिष्ठ सदस्य डॉ रमन सिंह ने अनुदान मांगों की चर्चा पर बोलते हुए कहा कि हम लोग उम्मीद भी नहीं कर रहे थे कि ढाई वर्षो में सरकार की ऐसी हालत हो जाएगी। कर्ज के बोझ से डूब चुकी सरकार के पास राज्य में सड़क, पुल, पुलिया, अस्पताल, स्कूल के भवन बनाने के लिए पैसे नहीं रह गए हैं। दुर्ग के उस मेडिकल कॉलेज को खरीदा जा रहा है जिसको all India of medical council से मान्यता भी नहीं है। यह medical college तीन बार बिक्री हो चुका है। इसके विभिन्न मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं। Engineering college जंहा 8000 से अधिक बच्चे प्रतिवर्ष ग्रेजुएट होकर निकलते हैं उनकी हालत अत्यंत खराब है।उनकी हालत सुधारने का सरकार का कतई ध्यान नहीं है। सरकार की तमाम योजनाएं केंद्र प्रवर्तित योजना ओ के सहारे चल रही है। सत्ता में आने के पहले सरकार में बैठे लोगों ने जन घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे सारे विषय अधूरे हैं। 10 लाख से अधिक शिक्षित नवयुवक रोजगार के लिए भटक रहे हैं। कहीं भी भर्ती नहीं हो रही है। शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही है।

 वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर रमन सिंह  ने कहा कि गरीबों की स्थिति और से और खराब होती जा रही है। कोरोना से पीड़ित हजारों परिवारों ने अपने परिवार के पीड़ित सदस्य को घर द्वार बेचकर लाखों रुपए खर्च कर इलाज कराया। अनुपूरक बजट में ऐसे पीड़ित परिवारों  को कोई मदद दी गई है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे सहित कई राज्यों में कोरोना से पीड़ित कई परिवारों को 50000 से लेकर ₹500000 तक की मदद दी जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य के अनुपूरक बजट में  कि इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। अन्य कई राज्यों ने कोरोना के इलाज में खर्च राशि को वापस करने की भी व्यवस्था की है लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसा कुछ नहीं किया गया है। बजट में इसके प्रावधान किए जाते तो लाखों परिवारों को इसका फायदा मिलता। सरकार को लाखों लोग धन्यवाद देते।

वरिष्ठ सदस्य डॉ रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य के चालू वर्ष के वित्तीय बजट का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके मूल बजट में ₹97 हजार 106 का प्रावधान रखा गया है उसमें से 83 हजार 27 करोड रुपए की राशि सिर्फ पेंशन ब्याज अनुदान सब्सिडी पर खर्च हो जा रही है। इस साल इस तरह से इस सरकार के पास खर्च करने के लिए उपयोग के लिए सिर्फ ₹13 हजार 800 की राशि है। इसी वजह से राज्य में तमाम योजनाएं बंद होती जा रही है। राजस्व घाटा, वित्तीय घाटा प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य का राजस्व घाटा अब बढ़कर 15 हजार 600 करोड रुपए करोड रुपए होने जा रहा है। यह राज्य की जीडीपी का 5.6% तक हो गया है जबकि इसको सिर्फ 3% तक सीमित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में जो योजना चल रही है उसकी 50% राशि केंद्र से आ रही है।

उन्होंने कहा कि केंद्र प्रवर्तित यहां चल रही तमाम योजनाओं में भी भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। जल जीवन मिशन के काम का टेंडर निरस्त करना पड़ता है।इससे ऐसा लगता है कि केंद्र के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है।

वरिष्ठ सदस्य डॉ रमन सिंह ने कहा कि बड़ी दुखद बात है कि छत्तीसगढ़ राज्य में आवास योजना का पैसा वापस लौट जाता है। राज्य से इस योजना के लिए पैसा नहीं मिलता इसलिए यह पैसा केंद्र को  वापस हो जाता है।आवास योजना में केंद्र सरकार का 60% अनुदान होता है तो राज्य सरकार को 40% राशि देनी होती है। राज्य सरकार से राशि नहीं मिली इसलिए गरीबों के लिए बनने वाले आवास बनने बंद हो गए। यह पैसा चले जाने से 7 लाख गरीबों को उनका आवास नहीं मिल रहा है। गरीबों को आवास नहीं पड़ रहा है लेकिन राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज खरीद रही है। नगरनार को खरीदने की बात की जा रही है।

उन्होंने कहा कि 30 जून 2021 की स्थिति में राज्य सरकार पर ₹76 हजार 648 का कर्ज बढ़ चुका है। ढाई साल पहले छत्तीसगढ़ पर सिर्फ 39 हजार 000 करोड  रुपए का कर्ज था। अभी प्रतिवर्ष ₹16 000 सो रुपए से अधिक का कर्ज लिया जा रहा है।इस तरह से राज्य की वित्तीय स्थिति चौपट हो गई है। राज्य सरकार अब निगम मंडल कंपनियों के जरिए भी कर्ज ले रही है।