बेमेतरा । असल बात न्यूज।

 बेमेतरा जिले में सिंघाड़ा की खेती आसानी से की जा सकती है। किस्म जो लगायी गई थी यह वर्ष में 2 बार तुड़ाई की जाती है-पहली अक्टूबर-नवम्बर मंे। दूसरी जून-जुलाई में दो फसली के रूप में आसानी से ली जा सकती है। कृषि विज्ञान केन्द्र, धमतरी में यह प्रजाति उपलब्ध है। यदि किसानों के खेत में 12 महिना पानी उपलब्ध रहता है तो सिंघाड़ा की फसल ले सकते हैं। डाॅ. के.पी.वर्मा, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, बेमेतरा एवं डाॅ. एस.एस.चन्द्रवंशी, कृषि विज्ञान केन्द्र, धमतरी गतवर्ष सिंघाड़ा की फसल की जिला-बेमेतरा में अनुकूलता का परीक्षण करने के लिए कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, बेमेतरा में 10 अक्टूबर 2020 में छोटे से क्षेत्र में प्रयोग के लिए फसल लगायी गयी थी।और अब इस  फसल की तुड़ाई की गयी।  
 जिले में किसानों की बहुत सा रकबा ऐसी जगह स्थित है जहां खेत की जोत आने में दिसम्बर-जनवरी लग जाता है। इन खेतों में पानी का भराव अक्टूबर-नवम्बर तक बना रहता है। इन खेतों में सिंघाड़ा की फसल को आसानी से लिया जा सकता है। यानि सिंघाड़ा इन खेतों में धान का बहुत अच्छा विकल्प बन सकता है। क्योंकि इसकी खेती में लागत कम उपज ज्यादा मिलने के कारण किसानों की शुद्ध आय 1.5 से 2 लाख प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है। सिंघाड़ा 4 से 5 महीने का फसल है इसे दलदली तथा पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर लगाया जा सकता है। सिंघाड़े की खेती के लिए 100 से 300 मि.ली. मीटर गहरे पानी की आवश्यकता होती है।
सिंघाड़ा एक बहुत ही पौष्टिक जलीय फल है जिसका सेवन वर्तमान परिस्थितियों मंे करना उपयुक्त होगा। इसमें बहुत से औषधिय गुण विद्यमान है। मनुष्य को स्वस्थ जीवन जीने के लिए इन तत्वों आवश्यकता होती है जैसे-मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाॅसफोरस, सल्फर, सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, आयरन, जिंक, मैंग्नीज, काॅपर, आयोडीन, प्रोटीन, कार्बोहाइडट, जल आदि।
        सिंघाड़ा में एंटीआॅक्सीडेंट की अधिकता होती है इसमंे कैलोरी कम तथा फैट बहुत कम पाया जाता है। सिंघाड़ा फल का उपयोग व्रत के खाने के आलावा बहुत से व्यंजन बनाये जाते हैं।सिंघाड़ा में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं- प्रोटीन, कार्बोहाइडट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन एवं  फाॅस्फोरस होने के साथ-साथ विटामिन-बी16ए विटामिन-सी, तथा आयोडिन का अच्छा स्त्रोत है। सिंघाड़ा औषधीय गुणों से भरपुर होने के कारण थायराइड में लाभदायक है। इसमें एंटीआॅक्सीडेंट होता है जो सर्दी, खांसी, कफ को कम करता है, गर्भावस्था के समय सिंघाड़ा महिला के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यह शरीर को ठंडक देने के साथ-साथ शरीर में खून बढ़ाने एवं पीलिया मंे उपयोगी एवं त्वचा, दाँत तथा हड्डियों के लिए फायदेमंद है।