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कोरोना से निपटने आठ दवाइयों का बफर स्टाक रखने पर जोर , जानिए ये कौन सी है जीवन रक्षक दवाइयां

महामारी राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए, यह पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय है: प्रधानमंत्री सभी दलों के नेताओं ने महामारी के दौरान प्रधानम...

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महामारी राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए, यह पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय है: प्रधानमंत्री


सभी दलों के नेताओं ने महामारी के दौरान प्रधानमंत्री के प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को कोरोना के संक्रमण से बचाव नियंत्रण के लिए आठ दवाइयों का अनिवार्य रूप से बफर स्टॉक रखने को कहा है। कोविड-19 के मामले बढ़ने पर इन दवाइयों का स्टॉक रखने पर  महामारी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी । इन  8 दवाओं में एनोक्सापैरिनमिथाइल प्रेडिनिसोलोनडेक्सामेथासोनरेमडेसिविरटोसीलिजुमैब (कोविड-19 उपचार के लिए)एम्फोटेरिसिन बी डीऑक्सीकोलेटपॉसकोनाजोल (कोविड-म्यूकरमाइकोसिस केस के लिए)इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) (बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के लिए (एमआईएस-सी)  आईएस-सी) इत्यादि शामिल है। देश में  रेमडेसिविर का उत्पादन तथा   लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन के आयात को बढ़ा दिया गया है। देश केेेे प्रत्येक जिले  मैं एक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना को भी सुनिश्चित किया जा रहा है।


प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी ने भारत में कोविड-19 के हालात और महामारी के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने  संसद के दोनों सदनों के सभी दलों के नेताओं के साथ बातचीत की। इसी दौरान उन्होंने उक्त आशय की जानकारी दी। हैं

प्रधानमंत्री ने बैठक में भाग लेने और बहुत व्यावहारिक इनपुट और सुझाव देने के लिए सभी नेताओं को धन्यवाद दिया और कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से मिले इनपुट नीति बनाने में काफी मदद करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी राजनीति का विषय नहीं होना चाहिएयह पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि मानव जाति ने पिछले 100 वर्षों में ऐसी महामारी नहीं देखी है।

प्रधानमंत्री ने देश के हर जिले में एक ऑक्सीजन प्लांट सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी बताया।

प्रधानमंत्री ने नेताओं को भारत के तेजी से बढ़ते टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे पहले 10 करोड़ खुराक में करीब 85 दिन लगे थे जबकि पिछले 10 करोड़ डोज 24 दिन में ही लग गए। उन्होंने नेताओं को जानकारी दी कि दिन बीतने पर पूरे देश में स्टॉक औसतन 1.5 करोड़ से ज्यादा टीके का रहता है।

लोगों को कोई असुविधा न होयह सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा इंगित अग्रिम उपलब्धता के आधार पर जिला स्तर पर टीकाकरण अभियान की उचित योजना बनाने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि टीकाकरण शुरू होने के 6 महीने बाद भी बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका नहीं लग सका है। उन्होंने कहा कि राज्यों को इसके प्रति और अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।

कई देशों के हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री ने सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्परिवर्तन के कारण इस बीमारी का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता और इसलिए हम सभी को एक साथ मिलकर इससे लड़ने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने इस महामारी में कोविन और आरोग्य सेतु के रूप में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के भारत के अनूठे अनुभव के बारे में भी बताया।

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने महामारी के दौरान लगातार निगरानी और अथक परिश्रम के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की। सभी दलों के नेताओं ने महामारी के दौरान उनके प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। नेताओं ने महामारी को लेकर अपने अनुभवों के बारे में भी बताया। उन्होंने विभिन्न राज्यों के हालात पर प्रकाश डाला और अपने-अपने राज्यों में टीकाकरण अभियान के बारे में बताया। उन्होंने लगातार कोविड उपयुक्त व्यवहार सुनिश्चित करने की जरूरत बताई। नेताओं ने दिए गए प्रजेंटेशन की समग्र जानकारी को लेकर सराहना की।

स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने विस्तृत प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि आज की तारीख में केवल 8 राज्यों में 10 हजार से ज्यादा मामले हैं जिनमें ज्यादातर महाराष्ट्र और केरल राज्य से हैं। सिर्फ 5 राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से अधिक है।

बताया गया कि महामारी के दौरान प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 20 बैठकें कीं जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों के साथ 29 बैठकें कीं। केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने राज्य के मुख्य सचिवों से 34 बार संवाद किया जबकि 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कोविड-19 प्रबंधन में सहायता के लिए 166 केंद्रीय टीमों को तैनात किया गया।

भारत ने महामारी के दौरान अपनी दवा की उपलब्धता बढ़ा दी। रेमडेसिविर मार्च में 22 जगहों से बनती थीसीडीएससीओ की मंजूरी से इसे बढ़ाकर जून में 62 कर दिया गयाजिससे उत्पादन क्षमता 38 से बढ़कर 122 लाख शीशी प्रति माह हो गई। इसी तरहलिपोसोमल एम्फोटेरिसिन के आयात को बढ़ाया गया जिससे आवंटन 45,050 से बढ़कर 14.81 लाख हो गया। वैसेअभी मामले घट रहे हैंपर राज्यों को सलाह दी गई है कि वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताई गई कम से कम 8 दवाओं का बफर स्टॉक बनाए रखेंजिससे भविष्य में कोविड केस बढ़ने पर हालात से निपटा जा सकेये हैं: एनोक्सापैरिनमिथाइल प्रेडिनिसोलोनडेक्सामेथासोनरेमडेसिविरटोसीलिजुमैब (कोविड-19 उपचार के लिए)एम्फोटेरिसिन बी डीऑक्सीकोलेटपॉसकोनाजोल (कोविड-म्यूकरमाइकोसिस केस के लिए)इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) (बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के लिए (एमआईएस-सी) आईएस-सी)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पूर्वोत्तर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को खरीद में मदद करेगा।

सदस्यों को भारत की कोविड-19 टीकाकरण रणनीति से भी अवगत कराया गया। इस रणनीति का उद्देश्य है-

  • सभी वयस्क भारतीयों को जितनी जल्दी हो सकेसुरक्षित तरीके से मुफ्त टीकाकरण प्रदान करना।
  • स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित करना।
  • जोखिम वाली आबादी यानी 45 साल और उससे अधिक को सुरक्षा प्रदान करना (देश में कोविड से संबंधित 80 प्रतिशत मृत्यु इसी आबादी से)।

वैज्ञानिक और महामारी विज्ञान के साक्ष्य और दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार परअभियान के प्रत्येक चरण में नए प्राथमिकता समूहों को टीका कवरेज प्रदान किया गया। यह देश में कोविड-19 टीकों के उत्पादन और उपलब्धता के डायनेमिक मैपिंग पर आधारित है।

अमेरिका (33.8 करोड़)ब्राजील (12.4 करोड़)जर्मनी (8.6 करोड़)यूके (8.3 करोड़) की तुलना में भारत में सबसे अधिक टीके की खुराक (41.2 करोड़) दी जा चुकी है। 1 मई से 19 जुलाई की अवधि में शहरी क्षेत्रों में 12.3 करोड़ (42 प्रतिशत) टीके की खुराक दी गईजबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 17.11 करोड़ (58 प्रतिशत)। इसी अवधि में, 21.75 करोड़ पुरुषों (53%), 18.94 करोड़ महिलाओं (47%) और 72,834 अन्य को टीका लगाया गया।


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