रायपुर । असल बात न्यूज।

एक निजी विश्वविद्यालय ने पूरी फीस लेकर 2 छात्रों को B.ed प्रथम वर्ष में एडमिशन दे दिया, लेकिन बाद में इन छात्रों को पता चला कि उनका एडमिशन निरस्त हो गया है। जिससे उनकी एक साल की पढ़ाई खराब हो गई। महिला आयोग ने ऐसे पीड़ित छात्रों को face की पूरी राशि लौटाने तथा क्षतिपूर्ति के रूप में ₹10- 10 हजार रुपए देने का आदेश दिया है।

रायपुर स्थित एक निजी विश्वविद्यालय के खिलाफ 2  छात्रों के द्वारा महिला आयोग में  शिकायत किया गया था। प्रकरण के महत्व को ध्यान में रखते हुए आज इस प्रकरण पर राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने सुनवाई के दौरान पाया कि आवेदिकाओं के द्वारा अनावेदक संस्थान में बी.एड प्रथम वर्ष में प्रवेश हेतु प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के नियमानुसार दो किस्तो में फीस की पूरी राशि जमा कर दिए थे। मार्च 2021 में आवेदिकाओं को पता चला कि उनका प्रवेश निरस्त हो चुका है जिसके कारण उनका एक वर्ष का शैक्षणिक कार्यकाल का नुकसान हो गया है। 
    इस प्रकरण पर महिला आयोग के अध्यक्ष ने विश्वविद्यालय के द्वारा इस तरह के कृत्य पर गंभीर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना गैर जिम्मेदाराना है। छात्रों के इस एक वर्ष के समय की भरपाई करना संभव नही है। भविष्य में इस तरह की गलती का दोहराव विश्वविद्यालय द्वारा नही किए जाने की अपेक्षा की जाती है और छात्रों को उनके द्वारा जमा की गई फीस की राशि लौटाने तथा क्षतिपूर्ति के रूप में 10-10 हजार रूपये  तत्काल देने का आदेश दिए गए। महिला आयोग अध्यक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसी भी निजी शैक्षणिक संस्थान के द्वारा छात्राओं के साथ इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसका सभी आवश्यक रूप से रखें। बेटियों को शिक्षा के लिए वैसे ही संघर्ष करना पड़ता है, ऐसे कृत्यों से उनकी शिक्षा प्रभावित होती है। अतः यह कड़ा निर्णय लिया जाना आवश्यक है।