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ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आज होगा रोका छेका

  - छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा रोका छेका पर अमल के शासन के निर्देशानुसार प्रशासन द्वारा की गई तैयारी दुर्ग । असल बात न्यूज़। छत्तीसगढ़ की पुर...

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-छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा रोका छेका पर अमल के शासन के निर्देशानुसार प्रशासन द्वारा की गई तैयारी

दुर्ग । असल बात न्यूज़।

छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा, रोका -- छेका की परंपरा दुर्ग जिले में आज से शुरू की जा रही है। खेतों में बुवाई का काम तेज होने लगा है। इसलिए अब जरूरी हो गया है कि हमारे पशु अब खेतों की और न पहुंचे। पशुओं को खेतों तक ना पहुंचे देने के लिए छत्तीसगढ़ में रोका छेका बहुत पुरानी परंपरा है।

 खरीफ फसल की मवेशियों से बचाव के लिए  रोकाछेका की परंपरा  के लिए यहां ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के निर्देशानुसार सभी गौठानों में इसकी तैयारियाँ की गई हैं। इसमें पारंपरिक पद्धति के अंतर्गत रोका छेका की रस्म की जाएगी। उल्लेखनीय है कि  छत्तीसगढ़ राज्य में आगामी फसल बुवाई के पूर्व खुले में चराई  कर रहें पशुओं को नियंत्रण में रखने हेतु रोका छेका प्रथा प्रचलित है, जिसमें फसल बुवाई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाली हानि से बचाने के लिए पशुपालक तथा ग्राम वासियों द्वारा पशुओं को बांधकर रखने अथवा पहटिया, चरवाहों की व्यवस्था इत्यादि का कार्य किया जाता है। इससे दो फसल का रास्ता भी खुल जाता है।

 जिला पंचायत सीईओ  सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि रोका छेका की तैयारियों के संबंध में प्रशासन द्वारा ग्राम स्तर में बैठक ली गई है जिसमें ‘‘रोका-छेका’’ के माध्यम से फसल बचाव का निर्णय ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीण जनों द्वारा किया गया ‘‘रोका-छेका’’ प्रथा अंतर्गत को गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रखरखाव की उचित व्यवस्था हेतु प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जा चुकी है। पहटिया, चरवाहे की व्यवस्था में पशुओं का गौठानों में व्यवस्था सुनिश्चित करने निर्देश दिये गये है। वर्षा के मौसम में गौठानों में पशुओं के सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबंध सुनिश्चित करने तथा वर्षा से जलभराव की समस्या दूर करने के लिए गौठानों में समुचित व्यवस्था तथा गौठान परिसर में पशुओं के बैठने हेतु कीचड़ आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित करने निर्देश दिये गए हैं। वर्षा/बाढ़ से को गोधन न्याय योजना अंतर्गत क्रय गोबर, उत्पादक वर्मी कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट को सुरक्षित रखने के प्रबंध किए जाने के निर्देश दिये गए हैं। जैविक खेती हेतु वर्मी कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट की महत्ता का व्यापक प्रचार प्रसार के निर्देश दिये गए हैं। गोधन न्याय योजना अंतर्गत उत्पादित वर्मी कंपोस्ट की खेती में उपयोग हेतु कृषकों को प्रेरित किया गया है। गौठान में पर्याप्त मात्रा चारा, पैरा आदि की व्यवस्था तथा गौठान से संबंधित समूह द्वारा उत्पादित सामग्री का प्रदर्शन किये जाने के निर्देश दिये गए हैं। ग्रामीणों की समुचित भागीदारी, रखरखाव हेतु ग्रामीणों का कार्य स्थानीय कला जत्था समूहों के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार किया जाने के निर्देश भी दिये गए।

*शहरी क्षेत्र में भी होगा कार्यक्रम*- सभी आयुक्तों को शहरी क्षेत्रों में भी रोकाछेका के आयोजन के निर्देश दिये गए हैं। इससे संबंधित सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। सभी शहरी गौठानों में भी इसकी तैयारी कर ली गई है।