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कोरोना के संक्रमण के फैलाव के पीछे क्या किन्हीं रहस्यमयी ताकतों का हाथ, साधारण उपायों और व्यवहार से नियंत्रित हो सकता है कोरोना का फैलाव

  नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज। 0  चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए 0   अशोक त्रिपाठी मार्च और अप्रैल महीने में छत्तीसगढ़ में कोर...

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नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज।

0  चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए

0  अशोक त्रिपाठी


मार्च और अप्रैल महीने में छत्तीसगढ़ में कोरोना ने हर जगह, जमकर हाहाकार मचाया । प्रत्येक क्षेत्र में, हर दूसरे घर में संक्रमित मिल रहे थे। लाशों की ढेर लग गई । इतनी विकट, दिल दहला देने वाली नौबत थी कि लगभग सभी श्मशान घाट में एक साथ कई- कई लाशें जलाई जा रही थी। हालात ऐसे हो गए थे कि कई स्थानों पर श्मशान घाट में लाश जलाने के लिए जगह कम पड़ रही थी। चारो तरफ भय, चिंता और दहशत का वातावरण। अब कोरोना के संक्रमण  के फैलाव में गिरावट आ रही है। हालत सामान्य हो रहे हैं । लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है।सब कुछ सामान्य होने  की ओर बढ़ने से लोगों को कुछ राहत जरूर मिली है लेकिन अनजानी अनहोनी का  डर मन में अभी भी समाया हुआ है। लोगों को यह सब कुछ ऐसे लग रहा है जैसे यह रियल लाइफ नहीं रील लाइफ में हो रहा है। ऐसी घटनाएं हो रही है जैसे कुछ भी चीज, किसी के नियंत्रण में नहीं रह गई है। पिछले एक साल से ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जिससे लगता है कि इन सभी के पीछे कही कोई रहस्यमयी ताकते तो काम नहीं कर रही हैं। कोराना अपने आप आता है और चले जाता है। लेकिन जाता है तो मौत का तांडव मचा कर  जाता है। अपने साथ कई- कई जिंदगी को लेकर जाता है। कई परिवारों को तहस-नहस बर्बाद करके जाता है। कई परिवारों के घर का मुखिया, बाप, बेटा, मां, बहन,  प्रियजनों को छीन कर  चला जाता है। वह आता है, हम देखते रहते हैं वह तबाही मचाता चले जाता है। एक ही परिवार के कई- कई लोगों की जान चली जाती है। हम बेबस होकर सिर्फ देखते रह जाते हैं। कोरोना के संक्रमण से पीड़ित होने के बाद, लाखों लोग, दूसरे इफेक्ट से भी जूझ रहे हैं। उनका भी इलाज आसान नहीं है। कई लोगों के सामने अपना घर-  द्वार बेचकर इलाज करने की नौबत आ गई है। उसके बाद भी उसके परिवार के सदस्य जान बच जाएगी, इसका कोई दावा नहीं कर रहा है। कोरोना के संक्रमण का अचानक तेज गति से फैलाव  शुरू हो जाता है और वह लोगों की जान लीलने लगता है। उसके पहले सब ठीक-ठाक । तो फिर आखिर किसी भी समय इसके संक्रमण के फैलाव की गति तेज क्यों हो जा रही है और फिर क्या सिर्फ लाकडाउन की वजह  से इसके संक्रमण का फैलाव थम जाता है लेकिन तब भी इसके संक्रमण के फैलने की आशंका खत्म नहीं होती। चिकित्सा स्वास्थ्य विशेषज्ञों में भी इसका स्वरूप और गुण देखते हुए उसके फिर से वापस लौटने की आशंका लगातार बनी हुई है। यह लौटकर फिर आएगा ? इसकी आशंका से ही लोगों में दहशत व्याप्त है। ऐसे में सबसे पहला यही सवाल उठ रहा है और उठना स्वाभाविक भी है कि जब कोरोना अस्तित्व में है तो किसी जगह पर उसका फैलाव किसी विशेष समय में ही क्यों हो रहा है ? और आगे भी किसी विशेष समय में क्यों होगा ? किसी विशेष महीने में ही इसका संक्रमण क्यों फैलने  लगता है ? और बीच में हालात ऐसे सामान्य बन जाते हैं कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो ? कुछ हो ही ना हो रहा हो ? कोरोना वर्ष 2020 में भी मार्च महीने से भारत देश में सक्रिय हुआ था, और उसके एक्टिव केसेस संख्या लगातार बढ़ती गई।  और तकरीबन इस साल भी इसने यहां मार्च-अप्रैल में ही तांडव  मचाया है। पहले वर्ष  में जब यह आता है तो इससे एक विशेष वर्ग 50 से अधिक आय वर्ग के लोग इससे अधिक संक्रमित होते हैं और इसी संक्रमण की चपेट में आकर इसी  आयु वर्ग के लोगों की अधिक जान चली जाती है। तब ऐसा समझ में आता है कि अधिक उम्र होने तथा दूसरी कई संक्रामक बीमारियों के होने की वजह से शरीर के कमजोर होने की वजह से कोरोना हावी हो गया और इतनी अधिक मौत हो गई।

 कोरोना का ऐसा स्वरूप, गुण ऐसा नजर आ रहा है मानो वह बहुत अधिक समझदार, विवेकवान, चिंतनशील और पढ़ा लिखा है। दूसरी बार जब वह लौटता है तो वह इस आयु वर्ग के लोगों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाता है। शायद उसे लगता है कि उसने पहली बार में ही इस आयु वर्ग के लोगों को अधिक नुकसान पहुंचा दिया है। दूसरी बार में वह 20 साल से अधिक सभी आयु वर्ग के लोगों नुकसान पहुंचाने लगता है।इस आयु  से अधिक के लोगो की लिए वह जानलेवा, घातक बन जाता है। सब बेबस होकर देख कर रह जाते हैं कोरोना, तबाही मचाता आगे बढ़ता चला जाता है।  कहां अपना संक्रमण फैलाना है,? इसके लिए वह अपने मन पसंद के अनुसार क्षेत्र, प्रदेश को चुनता है। और कुछ दिन वहां तांडव मचाने  के बाद वह अपने पीछे बड़े घाव, ना भुला पाने वाले जख्मों को छोड़कर हजारों की जान लेते हुए आगे बढ़ जाता है। अस्पतालों में लोगों को, संक्रमितो को लूटने का खेल किस तरह से चला और चल रहा है ,इस विषय पर अलग से बात की जाएगी। अभी कोरोना की रहस्यमयी प्रवृत्ति, और चरित्र के बारे में हम चर्चा कर रहे हैं। कोई वायरस वातावरण में मौजूद है तो उसका ऐसा व्यवहार, ऐसी प्रकृति, ऐसा गुण सभी को निश्चित रूप से विचित्र लग सकता है ?

कोरोना के संक्रमण का फैलाव किसी जिले में शुरू होता है तो वहां एक क्षेत्र में नए संक्रमित मिलते हैं। उस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाने की तैयारियां चलती रहती है कि दूसरे किसी क्षेत्र में काफी संख्या में नए संक्रमित मिल जाते हैं। फिर उस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाने का सिलसिला शुरू होता है। संक्रमण से लोगों की मौत होने की खबरें आने लगती है। Positivity rate और मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता जाता है। जब यह सब सिलसिला शुरू होता है उसके पहले  कहीं lockdown नहीं रहता। नियमित दिनचर्या  चलती रहती है। लोगों में धीरे-धीरे निश्चितता बढ़ती जाती है। एक दिन अचानक महामारी फैलने लगती है। कोरोना के संक्रमण का फैलाव बढ़ने लगता है। सामाजिक दूरियां बढ़ाने, मास्क पहनने, बार-बार हाथ धोने पर जोर दिया जाने लगता है। यहां महत्वपूर्ण सवाल है कि मान भी लिया जाए कि आम लोग सरकार की guideline का पालन नहीं कर रहे हैं, नहीं करते हैं, और रोज ही नहीं करते हैं तो फिर  कोरोना के संक्रमण का फैलाव किसी विशेष दिन, महीने से ही क्यों तेज गति से बढ़ने लगता है, फैलने लगता है। लोग मास्क नहीं  पहनते हैं, सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं करते हैं लेकिन हर समय कोरोना के संक्रमण का फैलाव नहीं होता। कुछ विशेष दिनों के दौरान ही इसका संक्रमण फैलता है। यह सब कोरोना के रहस्यमई चरित्र को उजागर करता है। वास्तव में इन मुद्दों पर, इन तथ्यों पर बहुत गंभीरता पूर्वक  जांच पड़ताल करने की जरूरत है। कोरोना जब आता है, तो ऐसा तांडव मचाता है कि ऐसे सवालों, तथ्यों की ओर शायद किसी का ध्यान नहीं जा सकता है। कोरोना से 28 साल के युवक की जान चली जाती है। 20 से 25 साल की लड़कियों की जान चली जा रही है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर दूसरे सवालों की ओर किसी का ध्यान कैसे जा सकता है।

अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं कि 20 साल से कम के बच्चे कोरोना के संक्रमण से तीसरी लहर में अधिक शिकार हो सकते हैं। ऐसे में यह कहा जाए कि क्या कोरोना का संभवत दूसरे आयु वर्ग की उम्र के लोगों की जान लेते लेते से मन भर गया है और अब वह अपने बच्चों को अपने काल का शिकार बनाना चाहता  है।

केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के महकमे ने सरल दिशा-निर्देश जारी किया , जिनका पालन आसानी से किया जा सकता है। इसके तहत कहा गया है कि कोविड-19 के फैलाव की रोकथाम के लिये संक्रमण को रोका जायेमहामारी का मुकाबला किया जायेमास्कसामाजिक दूरीस्वच्छता का पालन किया जाये और घरों में हवा के आने-जाने की व्यवस्था हो। भारत में महामारी की भीषणता को देखते हुये हमें यह याद रखना चाहिये कि साधारण उपायों और व्यवहार से हम कोविड-19 के फैलाव को रोक सकते हैं।

परामर्श में हवादार स्थानों के महत्त्व को रेखांकित किया गया है। घरों में हवा आने-जाने की समुचित व्यवस्था होने से वायरल लोड कम होता है, जबकि जिन घरों, कार्यालयों में हवा के आने-जाने का उचित प्रबंध नहीं होता, वहां वायरल लोड ज्यादा होता है। हवादार स्थान होने के कारण संक्रमण एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने का जोखिम कम हो जाता है।

जिस तरह खिड़की-दरवाजे खोलने से हवा के जरिये महक हल्की हो जाती है, उसी तरह एक्जॉस्ट प्रणाली, खुले स्थान और हवा के आने-जाने की व्यवस्था से हवा में व्याप्त वायरल लोड कम हो जाता है और संक्रमण का जोखिम घट जाता है।

हवा के आने-जाने की व्यवस्था एक बेहतरीन सुरक्षा है, जिसके कारण घरों और दफ्तरों में हमें सुरक्षा मिलती है। कार्यालयों, घरों और बड़े सार्वजनिक स्थानों को हवादार बनाने से बाहर की हवा मिलती है। इसलिये ऐसा करने की सलाह दी जाती है। शहरों और गांवों, दोनों जगह ऐसे स्थानों को हवादार बनाने के उपाय तुरंत किये जाने चाहिये। इसी तरह घरों, कार्यालयों, कच्चे घरों और विशाल इमारतों को भी हवादार बनाने पर जोर दिया जाना चाहिये। पंखों को सही जगह लगाना, खिड़की-दरवाजे खोलकर रखना बहुत सरल उपाय हैं। अगर थोड़ी सी भी खिड़की खोलकर रखी जाये, तो उतने भर से ही बाहर की हवा मिलेगी और भीतर की हवा की गुणवत्ता बदल जायेगी। क्रॉस-वेंटीलेशन और एक्जॉस्ट फैन से भी रोग के फैलाव को रोका जा सकता है।

जिन बड़ी इमारतों में हवा के लिये कोई प्रणाली लगी हो, वहां हवा को साफ रखने और हवा के बहाव को बढ़ाने के लिये फिल्टर लगाये जाने चाहिये। इससे बाहर से सीमित मात्रा में आने वाली हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। दफ्तरों, प्रेक्षाग्रहों, शॉपिंग मॉल आदि में गेबल-फैन प्रणाली और रौशनदानों की सिफारिश की जाती है। फिल्टरों को लगातार साफ करना चाहिये और जरूरत हो, तो उन्हें बदल देना चाहिये। यह बहुत जरूरी है।

कोविड वारयस हवा के जरिये फैलता है। जब कोई संक्रमित बोलता, गाता, हंसता, खांसता या छींकता है, तो वायरस थूक या नाक के जरिये हवा में तैरते हुये स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच जाता हैं। संक्रमण के फैलने का यह पहला जरिया है। जिन व्यक्तियों में रोग के कोई भी लक्षण न हों, उनसे भी इसी तरह संक्रमण फैलता है। ये लोग वायरस फैलाते हैं। इसलिये लोगों को दो मास्क या एन 95 मार्का मास्क पहनना चाहिये।

कोविड-19 का वायरस मानव शरीर में घुसकर अपनी तादाद बढ़ाता जाता है। अगर उसे मानव शरीर न मिले, तो वह जीवित नहीं रह सकता। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण को रोकने से विषाणु मर जाता है। यह काम व्यक्तियों, समुदायों, स्थानीय निकायों और अधिकारियों के सहयोग और समर्थन से संभव हो पायेगा। मास्क, हवादार स्थान, सामाजिक दूरी और स्वच्छता ऐसे हथियार हैं, जिनसे हम वायरस के खिलाफ जंग जीत सकते हैं।

                                              

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