कम लागत वाले एसी चार्ज प्वाइंट (एलएसी) के लिए भारतीय मानक जारी किए जाएंगे नई दिल्ली। असल बात न्यूज़। भारत में शहरों , कस्बों और गांवों को...
कम लागत वाले एसी चार्ज प्वाइंट (एलएसी) के लिए भारतीय मानक जारी किए जाएंगे
भारत में शहरों, कस्बों और गांवों को जल्द ही बिजली से चलने वाले वाहन (ईवी) बड़ी संख्या में चलते दिखने लगेंगे।इसके लिए कम लागत वाले नवीनतम चार्ज प्वाइंट्स को डेवलप किया जा रहा है, जिससे बिजली से चलने वाली दोपहिया वाहन और तिपहिया वाहनों को अपनाने में तेजी आ सकती है। आने वाले दिनों में जारी होने वाले भारतीय मानक से बिजली से चलने वाले वाहनों के लिए चार्जिंग बुनियादी ढांचे को तेजी से बढ़ाने की अनुमति होगी, जिसकी देश में बहुत आवश्यकता है।
ईवी को बढ़ावा देने के लिए भारत के परिवर्तनकारी गतिशीलता कार्यक्रम का उद्देश्य कॉर्बन उत्सर्जन को कम करना, वायु की गुणवत्ता में सुधार और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करना है। नीति आयोग (मिशन फॉर ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी एंड बैटरी स्टोरेज) द्वारा की गई कई पहल और एफएएमई-2 प्रोत्साहन के शुभारम्भ का उद्देश्य भारत में बिजली से चलने वाले वाहनों के उत्पादन और मांग को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, उपभोक्ताओं द्वारा ईवी को अपनाना, ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे की आसान उपलब्धता पर भी निर्भर करेगा। संभावित खरीदारों को घर से दूर होने पर अपने वाहनों के लिए चार्जर खोजने के लिए आश्वस्त होना चाहिए।
आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) वाले दोपहिया और तिपहिया वाहनों का हिस्सा हमारे देश में वाहन की कुल बिक्री का 84 प्रतिशत है। इसलिए, ईवीएस को सबसे तेजी से अपनाने की उम्मीद दोपहिया और तिपहिया वाहनों में है। पूर्वानुमान के अनुसार, 2025 तक उम्मीद है कि 4 मिलियन तक ऐसे वाहन हर साल बेचे जा सकते हैं, 2030 तक इनकी संख्या लगभग 10 मिलियन तक बढ़ सकती है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वाहनों की चार्जिंग सुविधा अत्यधिक सुगम होनी चाहिए और यह आसानी से जनता के लिए सुलभ हो; इसमें परस्पर आदान-प्रदान का समर्थन होना चाहिए, और सस्ती होना चाहिए। दुनिया भर में विकसित अधिकांश प्रणालियो में ऊर्जा के उच्च स्तर का समाधान मौजूद हैं और व्यापक रूप से उपयोग के लिए बहुत महंगी हैं।