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देश में कोविड-19 के विभिन्न म्युटेंट स्ट्रेंस का पता लगाने की नई तकनीक विकसित

  भारत की बड़ी सफलता -  डीएसटी इंस्टीट्यूट ने कोविड-19 के विभिन्न म्युटेंट स्ट्रेंस का पता लगाने  के लिए नॉवल जीन लक्ष्य के साथ नई मल्टीप्ले...

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भारत की बड़ी सफलता - 

डीएसटी इंस्टीट्यूट ने कोविड-19 के विभिन्न म्युटेंट स्ट्रेंस का पता लगाने  के लिए नॉवल जीन लक्ष्य के साथ नई मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर किट विकसित की

यह विशेष आरटी-पीसीआर किट एसएआरसी-सीओवी-2 म्यूटेशन का आसानी से पता लगाकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार 

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़।
भारत को बड़ी सफलता मिली है। कोविड-19 के विभिन्न mutant स्ट्रेंस का पता लगाने के लिए नई मल्टीपल rt-pcr किट विकसित करने में सफलता मिली है। देश में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है और अलग-अलग स्थानों पर इसके अलग-अलग mutant stren हाहाकार मचा रहे हैं।दूसरी लहर में तो कई अलग-अलग म्युटेंट्स  एक साथ संक्रमण फैला रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि नई किट में कोविड-19 का पता लगाने के मामले में 97.3% संवेदनशीलता और 100% विशिष्टता है।

नई किट मल्टीप्लेक्स टैकमैन केमिस्ट्री पर आधारित है, जो सिंगल रिएक्शन में तीनों जीन को बढ़ाती है। नैसॉफैरिन्जियल स्वैब नमूनों से आरएनए अलगाव के लिए आवश्यक समय के अलावा, जाँच के लिए एम्प्लिफिकेशन समय 45 मिनट है। दो पुष्टिकारक जीन की मल्टीप्लेक्सिंग से संभावित नए वेरिएंट की पहचान करने में मदद मिलेगी। यदि दो जीन में से कोई एक बढ़ने में विफल हो जाता है तो भी उसे अनुक्रम विश्लेषण के लिए चिन्हित किया जा सकता है।

कई अध्ययनों से पता चला है कि आरडीआरपी और ओआरएफ1बी-एनएसपी14 जीन कोविड-19 का पता लगाने में अधिक कारगर होते हैं। कोविड की दूसरी लहर में कई वेरिएंट पर निशाना साधने के लिए, आरडीआरपी और ओआरएफ-एनएसपी14 जैसे दो अधिक सटीक जीन का उपयोग करके ज़्यादा सटीक परिणाम दिए जा सकते हैं। ओआरएफबी-एनएसपी14 कोविड-19 में सबसे कम म्युटेटेड जीन में से एक है और वर्तमान में, ओआरएफ-एनएसपी14 की मदद से कोविड का पता लगाने के लिए बाजार में कोई किट उपलब्ध नहीं है।

वैश्विक महामारी कोरोना के फैलाव के लिए ज़िम्मेदार कोविड-19 वायरस के विभिन्न म्युटेंट स्ट्रेंस की पहचान करने के मामले में हाल ही में विकसित की गई मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर किट काफी ज़्यादा कारगर और सटीक है।

हम जानते हैं कि महामारी की दूसरी लहर कई अलग-अलग म्युटेंट्स के साथ हमें प्रभावित कर रही है, ऐसे में वायरस की सटीकता के साथ पहचान करने के लिए मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर जाँच में लक्षित जीन का चयन करना महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

वैसे तो माना जाता है कि कोरोना वायरस अन्य आरएनए वायरस की तुलना में क कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव एक जैसे ही होता है।  मगर एस, आर और एन जीन में म्युटेशंस अक्सर आरटी-पीसीआर जाँच में हस्तक्षेप करते हैं। उदाहरण के तौर पर, आरएनए में 6 बेसिस  को हटाने की वजह से “वेरिएंट ऑफ कंसर्न” बी1.1.7 (यूके वेरिएंट के नाम से भी जाना जाता है) में 69-70डेल हैं।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के एक संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नॉलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) द्वारा विकसित ये नई मल्टीप्लेक्स आरटी-पीसीआर किट म्युटेंट स्ट्रेंस की एक श्रंखला की पहचान करने के लिए आंतरिक नियंत्रण के तौर पर एसएआसएस सीओवी2 के दो अलग-अलग जीन को टार्गेट करती हैः आरडीआरपी एंड ओआरएफबी-एनएसपी14 और ह्युमन आरएनएसई पी जीन।


आईसीएमआर ने इस किट को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में मान्यता दिलाई है, और जांच के दौरान पाया गया है कि इस किट में कोविड-19 का पता लगाने के मामले में 97.3% संवेदनशीलता और 100% विशिष्टता है।

एससीटीआईएमएसटी ने इस किट के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए 14 मई, 2021 को ह्यूवेल लाइफसाइंसेज, हैदराबाद के साथ एक नॉन-एक्सक्लुसिव लाइसेंस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो आशुतोष शर्मा ने कहा कि “यह विशेष आरटी-पीसीआर किट एसएआरसी-सीओवी-2 म्यूटेशन का आसानी से पता लगाकर कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार बनेगा।”

 

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